कविता :- श्रम को सलाम है !
छेनियों हथौडियो की चोट को
उस ओट को सलाम है
छाले पड़े हाथों के वोट को सलाम है !
श्रम को सलाम
और श्रमिक को सलाम है
रोटी मिलती तब ही मिलता जब काम है !!
काम चाहे अच्छा हो
या कि उत्कृष्ट हो
होता किसका नाम है श्रम को सलाम है !!!
मेहनत मजूरी और घर से ये दूरी
पाती फोन कौन कहे
पीड़ा यहाँ आम है श्रम को सलाम है !!!!
धिक् है दुत्कार है
मौन सी चीत्कार है
फटकार हर धाम है श्रम को सलाम है !!!!!
मार्क्स लेनिन कौन कहे
बरम बाबा नाम है
पूजा परनाम है श्रम को सलाम है !!!!!!
Comment
धिक् है दुत्कार है
मौन सी चीत्कार है
फटकार हर धाम है श्रम को सलाम है !!!!!
मार्क्स लेनिन कौन कहे
बरम बाबा नाम है
पूजा परनाम है श्रम को सलाम है !!!!!!
सुप्रभात अरुण जी! आपकी पंक्तियाँ मर्मस्पर्शी हैं ......
मजदूरों को देखिये रखिये अच्छे भाव.
मधुर वचन सम्मान से भरते इनके घाव ..
काम चाहे अच्छा हो
या कि उत्कृष्ट हो
होता किसका नाम है श्रम को सलाम है !!!
मेहनत मजूरी और घर से ये दूरी
पाती फोन कौन कहे
पीड़ा यहाँ आम है श्रम को सलाम है !!!!
आह निःसंदेह भावनात्मक रचना अरुण जी.................... काश आपके इस रचना की टीस कुछ हम जैसो तो कुछ ना कुछ उन जैसो पर भी पड़े जो कमजोर वर्ग पर पैसो के दम जनवरो से भी बुरा सलूक करने मे शरमाते तक नही भले ही बाद मे ग़रीबी और मानवता को अपने कहकशे के साथ भरी महफ़िल मे अपने सामाजिकता और सामाजिक कद के चक्कर मे बेशर्मी से भाषण देने मे कोई शर्म ना महसूस हो
छेनियों हथौडियो की चोट को
उस ओट को सलाम है
छाले पड़े हाथों के वोट को सलाम है !
श्रम को सलाम
और श्रमिक को सलाम है
स्नेह के लिये पुनः आभार सौरभ जी !!
मौन सी चीत्कार है
फटकार हर धाम है श्रम को सलाम है !!!!!
मार्क्स लेनिन कौन कहे
बरम बाबा नाम है
पूजा परनाम है श्रम को सलाम है !!!!!! //
इन पंक्तियों से संसृत विडम्बनाओं और हाहाकारी परिस्थितियों को अनदेखा करना असंवेदनशीलता ही होगी. श्रम के प्रत्युत धिक्कार और दुत्कार तथा प्रति उपजी बियाबान चीत्कार एक ऐसी सच्चाई है जिसे देखते और फिर महसूस सभी करते हैं, किन्तु समझते कम हैं.
डा. पूरन सिंह ने भले ही अपने अमर निबंध ’मजदूरी और प्रेम’ में बरसों पहले किसी मजदूर के श्रम को कमतर आँकने को मानव और मानवता के प्रति घोर अन्याय कहा था लेकिन सार्थक साहित्य आजतक अपने सामाजिक दायित्त्व के प्रति अपनी लाचारी और निरर्थकता पर मौन ही दीखता है.. अरुणजी बहुत-बहुत धन्यवाद.
पुनश्च: संलग्न चित्र का पेस्टर कलर आपकी भावनाओं की टीस को उभारने में सर्वथा सक्षम है.
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