उँगलियों पर रहे थिरकती,
लेखा-जोखा समय का रखती,
देखो वो चली, विदा ले चली,
हाथ हिलाते, हँसते-मुस्काते,
ये बारह माहों की गिनती,
तीन सौ पैंसठ दिनों का सफर,
खत्म कर पकड़ेगी, इक कोरी-नई ड़गर,
इसके नए पन्नों पर होगी ,
अब लिखी इक इबारत नई,
छोड़ अनेकों पीछे, अनेकों साथ जोड़ते,
देखो वो आई, आ ही चली,
इक नूतन बारह माहों की गिनती,
समय-प्रवाह थपेड़े में ,
जीवनयात्रा के रेले में,
इक वर्ष और कम होगा,
कुछ और होंगे नवल सुख ,
कुछ और अलग गम होगा,
होंगी नई उमंगें और आशाएँ नई,
देखो वो खड़ी, दस्तक देने आ चली,
ये नूतन बारह माहों की गिनती,
छोड़ विगत, वर्तमान सँवारें,
आगत के सहर्ष पाँव पखारें,
सर्वत्र सुख, समृद्धि, शांति हो,
प्रार्थनाएं में यूँ नित उच्चारें,
नूतन ओज-उल्लासों से,
सत् -कामनाओं की भर गठरी,
लो पुलकित ह्रदयों पर छा चली,
नूतन बारह माहों की गिनती,
शुभ हो ,असीम मंगलमय,
शत्-शत् अभिनंदन यह करती...!!
मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
आ. अपर्णा जी, सुंदर रचना के लिए हार्दिक बधाई ।
वाह वाह सुन्दर भावभरी कविता..हार्दिक बधाई
मोहतरमा अर्पणा शर्मा जी आदाब,नव वर्ष के स्वागत में बढ़िया रचना हुई है,बधाई स्वीकार करें ।
बहुत सुन्दर रचना नूतन वर्ष के स्वागत मे , बधाई व नववर्ष की शुभकामनाएँ प्रिय अर्पणा जी
आदरणीया अपर्णा जी आदाब,
नववर्ष के आगमन और बीते वर्ष के आरोह-अवरोह को दर्शाती बेहतरीन रचना । हार्दिक बधाई स्वीकार करें । नववर्ष की असीम मंगल कामनाएँ ।
आद0 अर्पणा शर्मा जी सादर अभिवादन। बेहतरीन सृजन। पूरा लेखा जोखा कह दी आपने, बहुत बहुत बधाई आपको
नव वर्ष मंगलमय हो। बहुत बढ़िया सृजन। हार्दिक बधाई आदरणीया अपर्णा शर्मा जी।
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