For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

नेम प्लेट ...

कुछ देर बाद
मिल जाऊंगा मैं
मिट्टी में
पर
देखो
हटाई जा रही है
निर्जीव काल बेल के साथ
लटकी
मेरी ज़िंदा
मगर
उखड़े उखड़े अक्षरों की
एक अजीब सी
चुप्पी साधे
पुरानी सी 
नेम प्लेट

मुझसे पहले 

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 954

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on August 31, 2017 at 5:01pm

आदरणीय फूल सिंह जी सृजन के भावों को आत्मीय प्रशंसा से शोभित करने का दिल से आभार। 

Comment by PHOOL SINGH on August 31, 2017 at 4:08pm

बेहतरीन रचना

Comment by Sushil Sarna on August 3, 2017 at 5:37pm

आदरणीय C.M.Upadhyay "Shoonya Akankshi"जी सृजन के भावों को आत्मीय मान देने का दिल से आभार।

Comment by C.M.Upadhyay "Shoonya Akankshi" on August 1, 2017 at 1:39pm

सच्चाई को खूबसूरती से बयाँ करती इस भावपूर्ण रचना के लिए हार्दिक बधाई सुशील सरना जी | 

Comment by Sushil Sarna on July 24, 2017 at 3:22pm

आदरणीय  vijay nikore   जी सृजन के भावों को आत्मीय मान देने का दिल से आभार। 

Comment by vijay nikore on July 24, 2017 at 11:44am

बहुत खूब ! सुन्दर भावाभिव्यक्ति । हार्दिक बधाई, आदरणीय सुशील जी।

Comment by Sushil Sarna on July 22, 2017 at 7:15pm

आदरणीय Mahendra Kumar   जी सृजन के भावों को आत्मीय मान देने का दिल से आभार। 

Comment by Mahendra Kumar on July 20, 2017 at 9:26pm

बहुत ही बढ़िया प्रस्तुति है आ. सुशील सरना जी. हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. सादर.

Comment by Sushil Sarna on July 17, 2017 at 4:38pm

आदरणीय सौरभ सर , आपको सप्रेम प्रणाम ... एक मुद्दत के बात आप का आना तृषित हृदय को तृप्ति का आभास दे गया। हार्दिक आभार। सृजन को अपने आत्मीय प्रशंसात्मक शब्दों से अलंकृत करने का दिल से आभार। इंगित त्रुटि वास्तव में टंकण त्रुटि है। इस ओर मेरा ध्यान आकर्षित करने का हार्दिक आभार। मैं इसे अभी एडिट कर पुनः प्रेषित करता हूँ। अनुजों पर अपना स्नेह बनाएं रखें। आपके प्रश्न का उत्तर यहां पर नहीं है। सादर ....

Comment by Sushil Sarna on July 17, 2017 at 4:38pm

आदरणीय समर कबीर साहिब,. आदाब ... सृजन आपकी सहमति देती प्रशंसात्मक प्रतिक्रिया का दिल से आभारी है। 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आपका हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी।"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। बहुत सुंदर लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
6 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"ध्वनि लोग उसे  पूजते।चढ़ावे लाते।वह बस आशीष देता।चढ़ावे स्पर्श कर  इशारे करता।जींस,असबाब…"
22 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"स्वागतम"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. रिचा जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अमित जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई रवि जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई रवि जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई समर जी, सादर अभिवादन।बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service