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PHOOL SINGH
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महर्षि वाल्मीकि

महर्षि वाल्मीकिमहर्षि वाल्मीकि का जन्ममहर्षि वाल्मीकि के जन्म के बारे में बहुत भ्रांतियाँ मिलती है कोई कहता है कि उनका जन्म महर्षि कश्यप और अदिति के नौवें पुत्र वरुण और उनकी पत्नी चर्षणी के घर में हुआ। और उनके बड़े भाई महर्षि भृगु भी परम ज्ञानी थे। कहीं कहीं जिक्र आता है कि वह भील जाति से सम्बन्ध रखते थे जिन्हे आजकल की भाषा में चुढे अर्थात भंगी कहा जाता है| भंगी जाति के लोग आज तक उनको पूजते आ रहे है और उनको अपना आदर्श और भगवान मानकर उनका सम्मान करते है| इस जाति में उनका पालन पोषण हुआ| यह भी कहा…See More
Apr 10
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Mar 6
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Jan 27
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महाराणा संग्राम सिंह

राजपूत राजाओं को संगठित करताएक मेवाड़ का अद्भुत शासक थाथर-थर कांपते शत्रु जिससे, वह संग्राम सिंह महाराजा था॥ वीरता-उदारता का समावेश था जिसमेंसिसोदिया वंश का गौरव थाविस्तार किया जो साम्राज्य का, हिंद देश का रक्षक था॥ सौ लड़ाइयाँ लड़ी थी जिसनेखो आँख-हाथ-पैर को बैठा थाएक छत्र के नीचे लाया राजपूतों को, शक्तिशाली ऐसा उत्तर भारत का राजा था॥ सतलुज से लेकर नर्मदा तकसाम्राज्य जिसका फैला थाग्वालियर से लेकर भरतपुर तक, परचम उसका लहराया था॥ हिंदुपत की उपाधि पातादो बार इब्राहिम लोदी को हराया थामहानायक था…See More
Jan 27
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वैंकुंठधाम आगमन

काल का नियम कठोर है होतासभी को इसको वरना होश्री राम अछूते रह सके न, क्या मानव जीवन का वर्णन हो|| आते साधू रूप में काल देवताश्री राम से वचन एक लेना होगुप्त बात कोई सुन सके न, इस बात की पुष्टि प्रथम हो|| मृत्यु दंड का भागी होगाविघ्न वार्तालाप में डाले जो  लक्ष्मण को द्वारपाल बनाया, हनुमान न उपस्थित उस क्षण हो|| पूरा हुआ अब समय आपका  वैंकुंठ धाम अब चलना होकर्म सभी तो हो चुके हैं, अवतरण जिनकी खातिर हो|| दुर्वासा ऋषि आ तब पहुँचते  माया प्रभु की अद्भुत होदुनियाँ जानती उनके क्रोध को, वर-श्राप भी उनके…See More
Jan 18
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चक्रवर्ती सम्राट विक्रमादित्य

जिसे कहते भारत का गौरवआज उस सम्राट की गाथा कहता हूँस्वर्णभूमि जो सुख-समृद्धि की, महिमा उस अमरावती की गाता हूँ॥ विश्व का केंद्र जो विश्व की धुरी थीजिसे उज्जयिनी नगरी कहता हूँकीर्ति सौरभ जिसका चहुँ ओर था फैला, उसे महाकाल से रक्षित पाता हूँ॥ स्वर्ण-रजत मोती-माणिक की न कमी जहाँ परधन-धान्य से राजकोष को भरा मैं पाता हूँसच्चे परितोष थे नगर के जो, उन्हें संज्ञा नवरत्न से सुशोभित पाता हूँ॥ पहचान करता सच्चा जौहरीअतुलनीय-अनमोल सम्राट उन्हें मैं कहता हूँहर क्षेत्र में महारत हासिल, जिनकी न तुलना किसी से…See More
Jan 15
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क्या युद्ध निश्चित था?

क्यूँ रोकते द्रौपदी कोजब कर्ण लक्ष्य भेद में माहिर थाअपमान कराते द्रौपदी से उसका, जानते थे वो ज्येष्ठ पुत्र है कुंती का|| युद्ध से पहले क्यूँ न बतातेरंगमच के बाद ही क्यूँ न बतातेसुतपुत्र नहीं तू ज्येष्ठ पुत्र है, मेरी बुआ तू कुंती का||  क्या सच है कृष्णाशान्ति दूत बन आएं थेयुद्ध नहीं वो शान्ति चाहते, क्या ये सब उनके भाव बतलाएँ थे।। जहर घुलता जब बहती हवा मेंविष जुबा में घुलता हैअच्छे-अच्छे कड़वे होते, वाणी में मधु-सुधा न कहीं मिलता है।। दोहरी भूमिका न ज्यादा चलतीक्यूँ छवि न अपनी बदल सकेयुद्ध तो…See More
Jan 15
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कर्ण का विवाह

प्रथम रुषाली कर्ण की पत्नीजिसे पितृ इच्छा से पातादूसरी कहलाती सुप्रिया, खास भानुमती से जिसका नाता|| अंसावरी को वही बचाताथा आतंकवादियों ने जिसको घेरा  प्रेम करती उससे पहले, फिर सुतपुत्र कह धुत्कारा|| स्वयंवर जीता अंसावरी काप्रेम था उससे करताधुत्कार जिससे सह चुका था, अब स्वीकार न उसको करता|| दासी पद्मावती उससे प्रेम थी करतीविनती राजा से उसकी करताअटूट रिश्ता सदा उससे रहता, सच्ची संगनी जग पद्मावती को उसकी कहता|| द्रौपदी स्वयंवर में आया कर्णदुर्योधन का सहायक बनतापहली नजर में दिल हारता, जब द्रौपदी के…See More
Jan 13
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Jan 5
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भगवान परशुराम और कर्ण

हवन की अग्नि बुझ चुकी थीअब कहाँ से आगे की शिक्षा पानीगुरू द्रोण ने इंकार किया तो, बात गुरु परशुराम की आनी॥ ढूँढता जाता खोजता फिरताशिकन माथे पर आनीकैसे मिलेंगे परशुराम जी, थी राह महेंद्र पर्वत की अपनानी॥ फूलों से बगिया महकी सारीनीड़ों में खैरभैर भी जारीज्ञान की जिज्ञासा मन में भड़की, जिसकी खोज पूरी कर जानी॥ द्वार तृण-कुटी पर परशु भारीजो भारी भरकम भीषण-आभाशालीधनुष-बाण एक ओर टंगे थे, पालाश-कमंडलू एक पड़ा लौह-दंड अर्ध अंशुमाली॥ अचरज की थी बात निरालीआज वीरता तपोवन में किसने पालीधनुष-कुठार संग हवन-कुंड…See More
Jan 4
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महावीर कर्ण और दुर्योधन

सूर्यदेव का अंश कहलायामाता सती कुमारीजननी का क्षीर चखा न जिसने, था कवच-कुंडलधारी॥ अधिरथ-राधा ने था गोद लियाराधा माँ सुत वासुसेन को देख निहारीपालना बनी थी आब की धारा, बिछौना बनी पिटारी॥ निज समाधि में निरत हमेशाकिया स्वयं विकास भी भारीशोण का था भाई प्यारा, जिसे भ्रातप्रेम से दुनियाँ जानी|| गुरु द्रोण से शिक्षा पाताशिष्य अद्भुत व्यवहारीब्रहमसिर अस्त्र की मंशा रखता, जिसे गुरु ने नहीं स्वीकारी|| प्रतापी-तपस्वी, ज्ञानी-ध्यानीजिसका पौरुष था अभिमानीकोलाहल से दूर नगर के, जो सम्यक अभ्यास का था…See More
Dec 29, 2023
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वंदना- श्री गणेश

वंदना करूँ मैं गिरजालाल कीसिद्धि विनायक बुद्धिनाथ कीस्वर्ण मुकुट व नयन विशाला, तिलक-त्रिपुंड कृष्णपिंगाक्ष की|| सुंदर पीताम्बर तन सुशोभितबुद्धि-शुद्धि के दाता षडानन भ्रात कीरिद्धि-सिद्धि चँवर सुधारेपति-परमेश्वर उनके लम्बोदरनाथ की|| गजकर्ण संग एक सूँड है जिनकीप्रथम पूज्य प्रथमेश्वर महाराज कीमोदक, लड्डू जिनको प्यारे, माँ गिरजा के बाल-गोपाल की|| मूषकवाहन है जिनको प्यारासमृद्धि के दाता एकाक्षरनाथ कीपाश, अंकुश जो हाथ में धरते, गौरीसुत, गणाध्यक्ष प्रभात की|| मात-पिता की प्रदक्षिणा करतेदेवव्रत और…See More
Dec 26, 2023
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तिरंगा

हरा-केसरिया, श्वेत रंग का, तिरंगा झड़ा कहलाता हैहरियाली-साहस, सत्य दर्शाताप्रतीक-एकता, अखंडता का बन जाता है॥ राम-कृष्ण-बुध जन्मे जहाँ पर, मन उस पवित्र भूमि को शीश नवाता हैआन-बान-शान भारत देश कीहर भारतीय की जान कहलाता है॥ सभी भाषाओं की जन्मधात्री, संस्कृत, जो सबसे पुरानी भाषा हैविभिन्न उत्कृष्ट संस्कार-संस्कृति की पवित्र भूमिजहाँ इंसान, मोक्ष-शांति-ज्ञान का मार्ग अपनाता है॥ अशोक-पृथ्वी जैसे धरती पुत्र, जहाँ, राणा-शिवाजी यौद्धा हैमातृभूमि के लिए तैयार हमेशाउनकी, जो देशभक्ति दिखलाता है॥ लक्ष्मी,…See More
Dec 26, 2023
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यक्ष और धर्मराज युधिष्ठिर संवाद

अपने इस काव्य पाठ काइस संवाद से आरंभ करता हूँजीवन को अनमोल शिक्षा देता, संवाद युधिष्ठिर और यक्ष के बीच का कहता हूँ।। गूढ रहस्य इस जीवनचक्र का   दृष्टि में लाना चाहता हूँहर इंसान को सीखना चाहिए, ये आज यहाँ बतलाता हूँ|| कुछ त्रुटि यदि हो जाएं तोप्रथम क्षमा माँगना चाहता हूँजीवन गाथा कर्ण की यहाँ में, आपके समक्ष लाना लाना चाहता हूँ|| यौद्धा-ज्ञानी जो बलवान थे सारेदुर्दशा पांडवों की बतलाता हूँसंयम जीवन कैसे रखना पड़ता, मैं वक्त की नजाकत कहता हूँ|| अजय विजेता भू-धरा केपड़ा उन्हे मृत भूमि पर पाता…See More
Dec 21, 2023
नाथ सोनांचली commented on PHOOL SINGH's blog post सम्राट अशोक महान
"आद0 फूल सिंह जी सादर अभिवादन। बहुत बेहतरीन सृजन सम्राट अशोक महान पर। आपकी यह एक कालजयी सृजन ह्। हृदयतल से बधाई निवेदित करता हूँ। अगर सम्भव हो तो मुझे 9532855181 पर जुड़ सकते हैं।"
Apr 4, 2023
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सम्राट अशोक महान

चन्द्रगुप्त का पौत्र, जो बिन्दुसार का पुत्र थाबौद्ध धर्म का बना अनुयायीजो धर्म-सहिष्णु सम्राट हुआ|| माता जिसकी धर्मा कहलाती, सुशीम नाम का भाई थाइष्ट देव शिव-शंकर पहलेज्ञान-विज्ञान का बड़ा जिज्ञासु हुआ|| परोपकार की भावना जिसमें, उत्सुक जो अभिलाषी थामहेंद्र-संघमित्रा का पिता न्यारासदा पुत्र-पुत्री का साथ मिला|| बेहतरीन अर्थव्यवस्था ग़ज़ब सुशासन, जिसका कल्याणकारी द्रष्टिकोण थादेवताओं का प्रिय प्रजा का रक्षकजिसका देवानांप्रिय भी नाम हुआ|| प्रजावत्सल वह कर्तव्यपरायण, भू-भाग का बड़े सम्राट थाधर्मग्रंथो…See More
Mar 28, 2023

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Male
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DELHI
Native Place
DELHI
Profession
KALSHANIA CONSULTANCY
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NOTHING MUCH

जीवन संगिनी

हार हार का टूट चुका जब

तुमसे ही आश बाँधी है

मैं नहीं तो तुम सही

समर्थ जीवन की ठानी है||

 

मजबूर नहीं मगरूर नहीं मैं 

मोह माया में चूर नहीं मैं

साथ तुम्हारा मिल जाए तो

लक्ष्य से भी दूर नहीं मैं ||

 

सुख दुःख की घटना तो

जीवन में घटती रहती है

छोटी छोटी नोक झोंक भी

हर रिश्ते में होती है 

छोड़ न देना साथ निभाना

तुमसे, प्रेम की डोर जो बाँधी है||

 

गलत किये थे कुछ निर्णय

ये बात भी स्वीकारी है

मैं  गलत और तुम सही

गलती मैंने मानी है

मझधार में फसीं जिंदगी की

नैया पार लगानी है||

 

जीवन संगिनी बनकर,

मेरी जिंदगी, सँवारी है

घर नहीं मेरे दिल में रहना

बस ख़्वाहिश ये हमारी है

मैं नहीं तो तुम सही

समर्थ जीवन की ठानी है||

 

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सम्राट समुद्रगुप्त

उदार शासक एक वीर योद्धा

कला-प्रतिभा का संरक्षक जिसे कहा

गुप्त वंश एक महान योद्धा, जिसे भारत का नेपोलियन सबने कहा।।

 

चंद्रगुप्त प्रथम का राजदुलारा

कुमारदेवी का पुत्र रहा

विनयशील जो मृदुलवाणी का, प्रखर बुद्धि का स्वामी हुआ।।

 

उत्तराधिकारी का प्रबल दावेदार

पराजित अग्रज काछा भी उससे हुआ

विजय अभियान की ख़ातिर जाना जाता, अजय-अभय एक योद्धा रहा।।

 

गृह कलह को शांत है…

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Posted on March 1, 2024 at 4:30pm

महाराणा संग्राम सिंह

राजपूत राजाओं को संगठित करता

एक मेवाड़ का अद्भुत शासक था

थर-थर कांपते शत्रु जिससे, वह संग्राम सिंह महाराजा था॥

 

वीरता-उदारता का समावेश था जिसमें

सिसोदिया वंश का गौरव था

विस्तार किया जो साम्राज्य का, हिंद देश का रक्षक था॥

 

सौ लड़ाइयाँ लड़ी थी जिसने

खो आँख-हाथ-पैर को बैठा था

एक छत्र के नीचे लाया राजपूतों को, शक्तिशाली ऐसा उत्तर भारत का राजा था॥

 

सतलुज से लेकर नर्मदा…

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Posted on January 23, 2024 at 2:54pm

चक्रवर्ती सम्राट विक्रमादित्य

जिसे कहते भारत का गौरव

आज उस सम्राट की गाथा कहता हूँ

स्वर्णभूमि जो सुख-समृद्धि की, महिमा उस अमरावती की गाता हूँ॥

 

विश्व का केंद्र जो विश्व की धुरी थी

जिसे उज्जयिनी नगरी कहता हूँ

कीर्ति सौरभ जिसका चहुँ ओर था फैला, उसे महाकाल से रक्षित पाता हूँ॥

 

स्वर्ण-रजत मोती-माणिक की न कमी जहाँ पर

धन-धान्य से राजकोष को भरा मैं पाता हूँ

सच्चे परितोष थे नगर के जो, उन्हें संज्ञा नवरत्न से सुशोभित पाता…

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Posted on January 15, 2024 at 10:00am

तिरंगा

हरा-केसरिया, श्वेत रंग का, तिरंगा झड़ा कहलाता है

हरियाली-साहस, सत्य दर्शाता

प्रतीक-एकता, अखंडता का बन जाता है॥

 

राम-कृष्ण-बुध जन्मे जहाँ पर, मन उस पवित्र भूमि को शीश नवाता है

आन-बान-शान भारत देश की

हर भारतीय की जान कहलाता है॥

 

सभी भाषाओं की जन्मधात्री, संस्कृत, जो सबसे पुरानी भाषा है

विभिन्न उत्कृष्ट संस्कार-संस्कृति की पवित्र…

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Posted on December 21, 2023 at 11:51am

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