For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

यारियां .../रूठे ...


1. यारियां ...

एक ही पल में कितनी दूरियां  हो जाती हैं
हर नफ़स अश्कों से यारियां  हो  जाती  हैं
धड़कनें ख़ामोश ज़िस्म बेज़ान हो जाता  है
गिरफ़्त में हालात के खुद्दारियां हो जाती हैं

....................................................

2. रूठे ...

न जाने कितने शबाबों की शराब अभी बाकी है
न जाने कितने जख्मों का हिसाब अभी बाकी है
कैसे चले जाएँ भला हम उठ के अभी मैखाने से 
बेवज़ह रूठे हर सवाल का जवाब अभी बाकी है

सुशील सरना

मौलिक एवं अप्रकाशित 

Views: 694

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on July 11, 2017 at 2:13pm

आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को आत्मीय मान देने का दिल से आभार।

Comment by Sushil Sarna on July 11, 2017 at 2:13pm

आदरणीय सुरेन्द्र नाथ सिंह जी सृजन \को अपने आत्मीय स्नेह से शोभित करने का दिल से आभार।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 11, 2017 at 6:11am
भाई सुशील जी हार्दिक बधाई।
Comment by नाथ सोनांचली on July 9, 2017 at 7:40pm
आद0 सुशील सरना जी सादर अभिवादन। बेहद संजिदगी भर सृजन। मुक्तक अच्छे बन पड़े है। बधाई स्वीकारें।
Comment by Sushil Sarna on July 8, 2017 at 9:35pm

आदरणीय  Samar kabeer साहिब सृजन के भावों को आत्मीय मान देने का दिल से आभार। 

Comment by Samar kabeer on July 8, 2017 at 7:06pm
जनाब सुशील सरना जी आदाब,बढ़िया मुक्तक हुए हैं,बधाई स्वीकार करें ।
Comment by Sushil Sarna on July 8, 2017 at 1:50pm

आदरणीय मो.आरिफ साहिब सृजन के भावों को आत्मीय मान देने का दिल से आभार। 

Comment by Mohammed Arif on July 8, 2017 at 7:47am
सुशील सरना जी आदाब, बहुत ही सुंदर मुक्तक । दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा अष्टक (प्रकृति)
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। उत्तम दोहे रचे हैं हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छः दोहे (प्रकृति)
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। उत्तम दोहे रचे हैं हार्दिक बधाई।"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी प्रस्तुति को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी ।हार्दिक आभार "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion गजल : निभत बा दरद से // सौरभ in the group भोजपुरी साहित्य
"किसी भोजपुरी रचना पर आपकी उपस्थिति और उत्साहवर्द्धन किया जाना मुझे अभिभूत कर रहा है। हार्दिक बधाई,…"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहे (प्रकृति)
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। उत्तम दोहे रचे हैं हार्दिक बधाई।"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुन्दर लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
Wednesday
Shyam Narain Verma replied to Saurabh Pandey's discussion गजल : निभत बा दरद से // सौरभ in the group भोजपुरी साहित्य
"नमस्ते जी, बहुत ही सुन्दर भोजपुरी ग़ज़ल की प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Tuesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey added a discussion to the group भोजपुरी साहित्य
Thumbnail

गजल : निभत बा दरद से // सौरभ

जवन घाव पाकी उहे दी दवाईनिभत बा दरद से निभे दीं मिताई  बजर लीं भले खून माथा चढ़ावत कइलका कहाई अलाई…See More
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
Sunday
Shyam Narain Verma commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"नमस्ते जी, बहुत ही सुन्दर और ज्ञान वर्धक लघुकथा, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
Feb 1
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
Feb 1

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service