For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

'अभिव्यक्ति की आज़ादी' (लघुकथा)

"ए ऑटो वाले भैया! 'दिन्नू' तक के क्या लोगे?"


"..द..द..दिन्नू?"


"हां, भय्या 'दीनू जंक्शन'! मतलब नये नाम वाले 'डीडू यानि कि 'डीडीयू'!"


"पढ़ी-लिखी तो लगती हो आप! पूरा सही नाम 'दीनदयाल उपाध्याय' क्यों नहीं बोल पा रहीं? हम तो वहीं के चक्कर लगाते हैं न! आइए बैठिये; दस रुपये यहां से, बस!"


"भैया, पूरा नाम तो भाषण देने वाले ही कह पायेंगे! हमारे पास इतना टाइम कहां?"


"तो 'दीनसराय' कहो या फिर 'मुगलसराय' ही कहती रहो न! इसके लिए तो टाइम भी है और प्रेक्टिस भी  है न! कोई गौरक्षक जैसा आपका क़त्ल थोड़े न करेगा 'बोलने की आज़ादी' पर; है न?"


(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 724

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on August 9, 2018 at 5:54pm

टिप्पणियों द्वारा अनुमोदन और विचार साझा करने हेतु और पुनः स्नेहिल हौसला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत शुक्रिया मुहतरम जनाब मोहम्मद आरिफ़ साहिब , मुहतरमा नीलम उपाध्याय साहिबा ,  मुहतरम जनाब समर कबीर साहिब , मुुुहतरमा नीता कसार साहिबा,  मुहतरमा बबीता गुप्ता साहिबा, मुहतरम जनाब विजय निकोरे साहिब, जनाब तेजवीर सिंह साहिब , जनाब तस्दीक़ अहमद ख़ान साहिब और जनाब विनय कुमार साहिब।

Comment by विनय कुमार on August 8, 2018 at 6:05pm

बहुत बढ़िया तंज किया है आपने आ शेख शहज़ाद भाई, बहुत बहुत बधाई आपको

Comment by vijay nikore on August 8, 2018 at 1:14pm

इस अच्छी लघु कथा के लिए हार्दिक बधाई, भाई शेख़ उस्मानी जी।

Comment by TEJ VEER SINGH on August 7, 2018 at 7:49pm

हार्दिक बधाई आदरणीय शेख उस्मानी साहब जी।बेहतरीन कटाक्ष पूर्ण लघुकथ। जमीनी हक़ीक़त यही है कि लोग अब भी उसे मुगल सराय ही बुलाते हैं।जैसे गुरुग्राम को आज भी गुड़गाँव कहते हैं।यह बदलाव सिर्फ़ कागजात में है जिसका आम जनता को कोई लाभ नहीं। केवल कुछ नेता अपनी आत्म तुष्टि हेतु करोड़ों रुपये बर्बाद कर देते हैं।

Comment by Samar kabeer on August 7, 2018 at 2:18pm

जनाब शैख़ शहज़ाद उस्मानी जी आदाब,अच्छी लघुकथा हुई है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on August 6, 2018 at 9:43pm

जनाब शहज़ाद उस्मानी साहिब आ दाब  , उम्दा लघुकथा हुई है मुबारकबाद क़ुबुल फरमाएं l 

Comment by babitagupta on August 6, 2018 at 6:20pm

सैम समायिक मुद्दों पर तीखा प्रहार करती उम्दा रचना,हार्दिक बधाई स्वीकार कीजियेगा आदरणीय शहजाद सरजी.

Comment by Neelam Upadhyaya on August 6, 2018 at 4:38pm

आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, नमस्कार ।  कटाक्ष करती हुयी बहुत ही बढ़िया लघुकथा की प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई। 

Comment by Mohammed Arif on August 6, 2018 at 1:25pm

आदरणीय तस्दीक़ अहमद जी आदाब,

                             बहुत ही कटाक्षपूर्ण और सामयिक लघुकथा । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
15 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर left a comment for लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार की ओर से आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद। बहुत-बहुत आभार। सादर"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय गिरिराज भंडारी सर वाह वाह क्या ही खूब गजल कही है इस बेहतरीन ग़ज़ल पर शेर दर शेर  दाद और…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
" आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय जी…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आपकी प्रस्तुति में केवल तथ्य ही नहीं हैं, बल्कि कहन को लेकर प्रयोग भी हुए…"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
"आदरणीय सुशील सरना जी, आपने क्या ही खूब दोहे लिखे हैं। आपने दोहों में प्रेम, भावनाओं और मानवीय…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी इस बेहतरीन ग़ज़ल के लिए शेर-दर-शेर दाद ओ मुबारकबाद क़ुबूल करें ..... पसरने न दो…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)
"आदरणीय धर्मेन्द्र जी समाज की वर्तमान स्थिति पर गहरा कटाक्ष करती बेहतरीन ग़ज़ल कही है आपने है, आज समाज…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। आपने सही कहा…"
Oct 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"जी, शुक्रिया। यह तो स्पष्ट है ही। "
Sep 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service