For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल -- भले मैं कभी मुस्कुराया नहीं ( दिनेश कुमार )

122--122--122--12

निगाहों से उसने पिलाया नहीं
मज़ा मुझको महफ़िल में आया नहीं

उदासी भी कब आई रुख़ पर मेरे
भले मैं कभी मुस्कुराया नहीं

बशर कौन है वो जिसे वक़्त ने
इशारों पे अपने नचाया नहीं

अभी दाद अपनी सँभाले रखो
अभी शे'र मैंने सुनाया नहीं

मैं झूठा हूँ चल ठीक है। ये बता
मुझे आइना क्यों दिखाया नहीं

दिलों के मिलन पर है सब मुनहसिर
कोई अपना कोई पराया नहीं

तू पत्थर है या एक हीरा 'दिनेश'
कोई जौहरी जान पाया नहीं

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 789

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by surender insan on June 26, 2017 at 12:04am
वाह वहुत बढ़िया ग़ज़ल हुई है जी। शेर दर शेर दिली दाद कबूल फरमाये जी।
Comment by vijay nikore on June 24, 2017 at 11:20am

गज़ल बहुत अच्छी बनी है।  मुबारकबाद ।

Comment by Ram Ashery on May 28, 2017 at 11:17am

अति सुंदर अभिव्यक्ति है आपको हृदय से बधाई स्वीकार हो 

Comment by Mahendra Kumar on May 15, 2017 at 10:48am

मैं झूठा हूँ चल ठीक है। ये बता
मुझे आइना क्यों दिखाया नहीं

वाह! क्या बात है. इस खूबसूरत ग़ज़ल के लिए ढेर सारी बधाई स्वीकार कीजिए आदरणीय दिनेश जी. सादर. 

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on April 23, 2017 at 4:34pm
वाह आदरणीय बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल हुई..बधाई

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on April 21, 2017 at 4:21pm

उदासी भी कब आई रुख़ पर मेरे
भले मैं कभी मुस्कुराया नहीं

बशर कौन है वो जिसे वक़्त ने
इशारों पे अपने नचाया नहीं

अभी दाद अपनी सँभाले रखो
अभी शे'र मैंने सुनाया नहीं/// वाह आ. दिनेश भाई क्या खूब बहुत सुंदर, ये अशआर खासे पसंद आए हालाँकि पूरी ग़ज़ल अच्छी लगी.

बहुत बहुत बधाई आपको

Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 20, 2017 at 9:06pm

वाह वाह वा.. क्या खूब ग़ज़ल हुई है आ. दिनेश भाई ..
बधाई 

Comment by Samar kabeer on April 20, 2017 at 6:11pm
जनाब दिनेश कुमार'दानिश'जी आदाब,ये ग्गज़ल भी उम्दा हुई,शैर दर शैर दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।
Comment by Ravi Shukla on April 20, 2017 at 1:21pm

अादरणीय दिनेश जी बहुत बढि़या गजल कही है आपने दिली मुबारक बाद कुबूल करें

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"बहुत आभार आदरणीय ऋचा जी। "
7 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"नमस्कार भाई लक्ष्मण जी, अच्छी ग़ज़ल हुई है।  आग मन में बहुत लिए हों सभी दीप इससे  कोई जला…"
7 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"हो गयी है  सुलह सभी से मगरद्वेष मन का अभी मिटा तो नहीं।।अच्छे शेर और अच्छी ग़ज़ल के लिए बधाई आ.…"
7 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"रात मुझ पर नशा सा तारी था .....कहने से गेयता और शेरियत बढ़ जाएगी.शेष आपके और अजय जी के संवाद से…"
7 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"धन्यवाद आ. ऋचा जी "
7 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"धन्यवाद आ. तिलक राज सर "
7 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
7 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"धन्यवाद आ. जयहिंद जी.हमारे यहाँ पुनर्जन्म का कांसेप्ट भी है अत: मौत मंजिल हो नहीं सकती..बूंद और…"
7 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"इक नशा रात मुझपे तारी था  राज़ ए दिल भी कहीं खुला तो नहीं 2 बारहा मुड़ के हमने ये…"
17 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय अजय जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल हुई आपकी ख़ूब शेर कहे आपने बधाई स्वीकार कीजिए सादर"
18 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय चेतन जी नमस्कार ग़ज़ल का अच्छा प्रयास किया आपने बधाई स्वीकार कीजिए  सादर"
18 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है बधाई स्वीकार कीजिए सादर"
18 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service