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surender insan
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surender insan replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-161
"आदरणीय दयाराम जी सादर नमस्कार जी। दिए गए मिसरे पर ग़ज़ल के प्रयास के लिए बहुतबहुत बधाई हो जी। मात्रा गिराना एक सहूलियत है जो उच्चारण पर आधारित है।  मेरे 22 को 11 ,12 ,21 लिया  जा सकता है फिर इसका उच्चारण मिरी, मिरे या मेर की तरह…"
Saturday
surender insan replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-161
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सादर नमस्कार जी। दिए गए मिसरे पर ग़ज़ल के बेहतरीन प्रयास के लिए बहुत बहुत बधाई हो जी।"
Saturday
surender insan replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-161
"आदरणीया रिया जी दिए गए मिसरे पर ग़ज़ल के बेहतरीन प्रयास के लिए बधाई स्वीकार करें जी।"
Saturday
surender insan replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-161
"भाई गुरप्रीत जी दिए गए मिसरे पर आपने बहुत अच्छी ग़ज़ल कही है इसके लिए बहुत बहुत बधाई हो जी।"
Saturday
surender insan replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-161
"आदरणीय नादिर खान जी। ग़ज़ल के बेहतरीन प्रयास के लिए बहुत बहुत बधाई जी।  कई चेहरे नज़र आते हैं मुझमें । मैं जब भी आइने में देखता हूँ ।। बेहद शानदार जी। क्या कहने ।  "
Saturday
surender insan replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-161
"आदरणीय दण्डपाणि जी सादर नमस्कार जी। ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है जी ,बाकी आदरणीय अमित जी ने बहुत बढ़िया सुझाव दिए है जी।"
Saturday
surender insan replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-161
"आदरणीया रचना जी सादर नमस्कार जी। बहुत बहुत शुक्रिया जी।"
Saturday
surender insan replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-161
"भाई गुरप्रीत जी सादर नमस्कार जी।  बहुत बहुत शुक्रिया जी।इस मे से कई शेर हटा दूँगा। कुछ ही रखूँगा। बहुत बहुत शुक्रिया जी।"
Saturday
surender insan replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-161
"आदरणीय समर कबीर साहब आदाब। ग़ज़ल पर आने केलिए और अपना कीमती वक़्त देने के लिए बहुत बहुत आभार जी। दिए गए सुझाव पे पूरी गौर करूँगा जी।"
Saturday
surender insan replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-161
"आदरणीय अमित जी ग़ज़ल पर आने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया जी। दिए गए सुझाव पे पूरी गौर करूँगा। गिरह का शेर रखता नहीं मैं । बहुत बहुत शुक्रिया जी।"
Saturday
surender insan replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-161
"आदरणीय भाई अजय गुप्ता जी सादर नमस्कार। ग़ज़ल पर आने के लिए और हौसला अफजाई करने के लिए बहुत बहुत आभार आपका।  यह कुछ उदाहरण देखिये जिनमें हक़ बात  यूँ इस्तमाल किया गया है पहले भी। हक़ बात तो ये है कि उसी बुत के वास्ते।ज़ाहिद कोई हुआ तो कोई…"
Nov 24
surender insan replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-161
"1222 1222 122 किसी भी इक जगह पर कब रुका हूँ।हवा जैसे हमेशा मैं चला हूँ।। सदा हक़ बात जो कहता रहा हूँ।कोई साथी नहीं तन्हा खड़ा हूँ।। कभी वादा निभाएगा नहीं वह।उसे अच्छी तरह से जानता हूँ।। मिलेगा एक दिन मुझको यक़ीनन।दुआ में जो ख़ुदा से माँगता…"
Nov 24
surender insan replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-161
"नमस्ते आदरणीय समर कबीर साहब जी।"
Nov 24
surender insan replied to अजय गुप्ता 'अजेय's discussion आयोजन कैलंडर संबंधित
"बहुत बढ़िया जी।"
Oct 9
surender insan replied to अजय गुप्ता 'अजेय's discussion आयोजन कैलंडर संबंधित
"जी सहमत हूँ आपकी बात से।  "
Oct 5
surender insan replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-157
"जी आदरणीय देखता हूँ जी।  ज़रूरी सुधार करता हूँ व दो-तीन शेर हटा दूँगा जी ,जैसे रदीफ़ क़ाफ़िया वाला ,हार जीत वाला आदि। बहुत बहुत दिली शुक्रिया आपका।"
Jul 29

Profile Information

Gender
Male
City State
sirsa (haryana)
Native Place
india
Profession
self work
About me
a simple parson. give respect take respect .always be happy & let others be happy.

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"जब तुम्हारें शह्र में आना हुआ"

2122 2122 212

इस कदर था इश्क़ में डूबा हुआ।

चढ़ गया सूली पे वो हँसता हुआ।।

अब कहूँ क्या इश्क़ में क्या क्या हुआ।

हर कदम पर इक नया धोखा हुआ।।

जब किसी को इश्क़ में धोखा हुआ।

फिर उसे देखा नहीं हँसता हुआ।।

क्या बताऊँ मैं तुझे क्या क्या हुआ।

है मेरा जीवन बहुत उलझा हुआ।।

और कुछ तेरे सिवा दिखता नहीं।

इस कदर मैं तेरा दीवाना हुआ।।

मानता कब है किसी की बात वो।

वक़्त जिसका हो बुरा आया…

Continue

Posted on September 20, 2019 at 1:00pm — 2 Comments

दोहे

रक्षा करते देश की,दे कर अपनी जान।

वीर जवानों का करो,दिल से तुम सम्मान।।

बाहर से उजले दिखें, मन में भरे विकार।

ऐसे लोगों पर कभी,करना न ऐतबार।।

ये माना मैं जी रहा,तेरे जाने बाद।

लेकिन मुझको हर समय,तेरी आती याद।।

जीवन के पथ पर तुम्हें,छाँव मिले या धूप।

हर पल आगे ही बढ़ो,सुख दुख में सम रूप।।

मदिरा बहुत बुरी बला,किसने की ईजाद।

इसके कारण हो रहे,कितने घर बरबाद।।

थोड़े से भी हो…

Continue

Posted on April 4, 2019 at 2:30pm — 6 Comments

"किसी के साथ भी धोखा नहीं करतें"

 1222 1222 1222


सुकूँ वो उम्र भर पाया नहीं करतें।
बड़ों की बात जो माना नहीं करतें।।

बुजुर्गों की नसीहत ये पुरानी है।
बिना सोचे कभी बोला नहीं करतें।।

सफल होते हमेशा लोग वो ही जो।
किसी की बात सुन बहका नहीं करतें।।

जिन्हें आदत हमेशा जीतने की हो।
वो मैदां छोड़ कर भागा नहीं करतें।।

हमेशा से रहा इक ही उसूल अपना।
किसी के साथ भी धोखा नहीं करतें।।

मौलिक व अप्रकाशित

Posted on December 11, 2018 at 4:30pm — 14 Comments

"गर अदब में नाम की दरकार है"

2122 2122 212

गर अदब में नाम की दरकार है।

तो ग़ज़ल कोई नयी दरकार है।।

तू किसी को देख ले ग़मगीन तो।

आँख में तेरी नमी दरकार है।।

प्यार करते हो मुझे तुम भी अगर

इक नज़र चाहत भरी दरकार है।।



एक दूजे पे हमेशा हो यकीं।

दोस्ती में बस यही दरकार है।।

ये अँधेरा दूर होगा एक दिन।

इल्म की बस रौशनी दरकार है।।

बात सच्ची ही कहें हर शेर में।

शाइरी में ये रही दरकार है।।

तुम बढ़ा…

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Posted on October 1, 2018 at 12:00pm — 6 Comments

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At 11:48pm on July 7, 2016,
सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर
said…

आपका अभिनन्दन है.

ग़ज़ल सीखने एवं जानकारी के लिए

 ग़ज़ल की कक्षा 

 ग़ज़ल की बातें 

 

भारतीय छंद विधान से सम्बंधित जानकारी  यहाँ उपलब्ध है

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Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-104 (विषय: युद्ध)
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Er. Ganesh Jee "Bagi" replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-104 (विषय: युद्ध)
"भाई इसमें कथा कहाँ है ?"
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लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-104 (विषय: युद्ध)
"आ. भाई गणेश जी, सादर अभिवादन। एक सार्थक और संदेशपरक लघुकथा के लिए बहुत बहुत बधाई।"
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Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-104 (विषय: युद्ध)
"लगे रहो (लघुकथा) :नहीं, न तो मैं रणभूमि में हूँ और न ही मृत्युशैया पर .... मैं तो प्रयोगशाला में…"
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Er. Ganesh Jee "Bagi" replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-104 (विषय: युद्ध)
"प्रस्तुति पर एकमात्र टिप्पणी हेतु बहुत बहुत आभार आदरणीय उस्मानी जी । यदि कोई बेहतर शीर्षक आपके…"
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Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-104 (विषय: युद्ध)
"हार्दिक स्वागत आदरणीय सर जी विषयांतर्गत नारी विमर्श की बहुत ही मार्मिक बढ़िया सृजन बढ़िया आग़ाज़ और…"
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