२२१ २/१२२ /२२१ २/१२२
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मेरा जह्न बुन रहा है, हर रब्त रब्त जाले,
पढता ग़ज़ल मै कैसे, लगे हर्फ़ मुझ को काले.
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मेरी धडकनों का मक़सद मेरी जिंदगी नहीं है,
के ये जिंदगी भी कर दी किसी और के हवाले.
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मेरी नाव डूबती है, तेरे साहिलों पे अक्सर,
मुझे काश इस भँवर से तेरी आँधियाँ निकाले.
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अगर आ सके, अभी आ, तुझे वास्ता ख़ुदा का,
मेरा दम निकल रहा है, मुझे गोद में समा ले.
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रहा देर तक भटकता किसी छाँव के लिए वो,…
ContinueAdded by Nilesh Shevgaonkar on November 19, 2013 at 3:25pm — 24 Comments
1212 1122 1212 22
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किसी के दिल से, निगाहों से जो उतर जाए,
भला वो शख्स अगर जाए तो किधर जाए.
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बहुत उड़ान ये भरता है आसमानों की,
कोई तो चाँद के दो चार पर क़तर जाए.
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सुलग रहे है जुदाई की आग में हम तुम,
इस आरज़ू में जले है, ज़रा निखर जाए.
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पता नहीं हैं हुई क्या हमारी मंज़िल अब,
निकल पड़े हैं जिधर लेके रहगुज़र जाए.
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सँभालियेगा इसे आप अब नज़ाक़त से,
कहीं न दिल ये मेरा टूट कर बिखर…
Added by Nilesh Shevgaonkar on November 18, 2013 at 8:38am — 17 Comments
२ १ २ २ १ १ २ २ १ १ २ २, २ २ /११२
दिल के ज़ख्मों से उठी जब से गुलाबी ख़ुशबू,
शह्र में फ़ैल गई मेरी वफ़ा की ख़ुशबू.
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ये महक, बात नहीं सिर्फ हिना के बस की,
गोरी के हाथों महकती है पिया की ख़ुशबू.
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फूल को ख़ुद में समेटे हुए थी कोई क़िताब,
फूल से आने लगी आज क़िताबी ख़ुशबू.
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वो कडी धूप में निकले तो हुआ यूँ महसूस,
जैसे निकली हो पसीने में नहाती ख़ुशबू.
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चंद लम्हात गुज़ारे थे तुम्हारे नज़दीक़, …
ContinueAdded by Nilesh Shevgaonkar on November 15, 2013 at 7:41am — 17 Comments
उठेगी जब तेरी अर्थी, ये नज्ज़ारा नहीं होगा,
चिता को आग देगा, क्या, तेरा प्यारा नहीं होगा?
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हमारे आंसुओं को तुम जगह लब पर ज़रा दे दो.
यकीं जानों कि इनका ज़ायका खारा नहीं होगा.
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नज़र मुझ से मिलाकर अब ज़रा वो बेवफ़ा देखे,
फिर उसके पास मरने के सिवा चारा नहीं होगा.
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बहुत से लोग दुनियाँ में भटकते है मुहब्बत में,
जहां भर में कोई सूरज सा आवारा नहीं होगा.
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ठहरता ही नहीं है ये कहीं भी एक भी पल को,
समय सा कोई भी फक्कड़ या…
ContinueAdded by Nilesh Shevgaonkar on November 12, 2013 at 10:48pm — 17 Comments
२१२२, २१२२, २१२
चाँद सूरज और सितारे आ गए,
ख्व़ाब में क्या क्या नज़ारे आ गए.
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ख़ूब मौका डूबने का था मिला,
और हम फिर भी किनारे आ गए.
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जब नज़र की बात नज़रों नें सुनी,
दरमियाँ क्या कुछ इशारे आ गए.
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है समाई धडकनों में धडकनें,
पास वो इतने हमारे आ गए.
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जब मिला ग़म या ख़ुशी कोई मिली,
आँखों में दो अश्क़ खारे आ गए.
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मौलिक व अप्रकाशित
निलेश 'नूर'
Added by Nilesh Shevgaonkar on November 10, 2013 at 9:30pm — 22 Comments
1222/ 1222/ 1222/ 1222
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नहीं चलता है वो मुझ को जो कहता है कि चलता है,
यही अंदाज़ दुनियाँ का हमेशा मुझ को खलता है.
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सलामी उस को मिलती है, चढ़ा जिसका सितारा हो,
मगर चढ़ता हुआ सूरज भी हर इक शाम ढलता है.
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न तुम कोई खिलौना हो, न मेरा दिल कोई बच्चा,
मगर दिल देख कर तुमको न जाने क्यूँ मचलता है.
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किनारे है…
Added by Nilesh Shevgaonkar on October 27, 2013 at 8:30am — 12 Comments
२१२२ १२१२ २२
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वक़्त ज़ाया करो, न राहों में,
मंजिलों को रखो निगाहों में.
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फूल ही फूल दिल में खिलते है,
आप होते हो जब भी बाहों में.
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है नुमाया पता नहीं क्या कुछ,
और क्या कुछ छुपा है चाहों में.
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तख़्त ताज़ों को ये उलट देंगी,
वो असर है मलंग की आहों में.
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है डराती मुझे मेरी वहशत,
तू मुझे ले ही ले पनाहों में.
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आज है वक़्त तू संभल नादां,
क्यूँ फंसा है बता गुनाहों में.
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साथ देने लगे हो…
ContinueAdded by Nilesh Shevgaonkar on October 24, 2013 at 11:47am — 14 Comments
122, 122, 122, 122
कोई दर्द आँखों में दिखता नहीं है,
है इंसान कैसा, जो रोया नहीं है??
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मेरी बात मानों, न यूँ ज़िद करो अब,
दुखाना किसी दिल को अच्छा नहीं है.
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सभी है किसी और की खाल ओढ़े,
तेरे शह्र में, कोई सच्चा नहीं है.
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मुझे देख रंगत बदलता है अपनी,
वगरना वो बीमार लगता नहीं है.
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लगाया करो आँख में…
ContinueAdded by Nilesh Shevgaonkar on October 22, 2013 at 6:27pm — 13 Comments
१२२२,१२२२,१२२२,१२२२
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वो लेतें है शिकायत में, कि लेतें है मुहब्बत में,
हमारा नाम लेतें है वो अपनी हर ज़रूरत में,
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मै राजा और तुम रानी, ये दुनियाँ सल्तनत अपनी,
हक़ीक़त में नहीं होता, ये होता है हिक़ायत में.
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ये रुतबा, ओहदा, शुहरत, सभी हमनें भी देखें है,
छुपा है कुछ, नुमाया कुछ, शरीफ़ों की शराफ़त में.
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मेरे ही क़त्ल का इल्ज़ाम क़ातिल ने मढ़ा मुझ पर,
गवाही भी वही देगा, वो ही मुंसिफ़…
Added by Nilesh Shevgaonkar on October 22, 2013 at 9:40am — 24 Comments
1212 1122 1212 22 .... अंतिम रुक्न ११२ भी पढ़ा गया है ..
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नज़र, नज़र से मिला, सब्र आज़माते रहे,
मेरे रक़ीब मुझे देख, तिलमिलाते रहे.
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घटाएँ, रात, हवा, आँधियाँ करें साज़िश,
मगर चिराग़ ये बेखौफ़ जगमगाते रहे.
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गुनाह, जुर्म, सज़ा, माफ़ आपकी कर दी,
ये कह दिया तो बड़ी देर सकपकाते रहे.
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खफ़ा खफ़ा से रहे बज़्म में सभी मुझसे,
वो पीठ पीछे मेरे शेर गुनगुनाते रहे.
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मिला हमें न सुकूँ दफ्न कब्र में होकर,
किसी…
Added by Nilesh Shevgaonkar on October 20, 2013 at 10:30pm — 26 Comments
1212 1122 1212 22
झटक के ज़ुल्फ़ किसी ने जो ली है अंगडाई,
ये कायनात लगे है हमें कुछ अलसाई.
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किसी से प्यार न पाया सभी ने ठुकराया,
मिली यहाँ है मुहब्बत में सिर्फ रुसवाई.
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किये थे रब्त सभी आपने कत’आ मुझसे,
जो कामयाब हुआ तब बढ़ी शनासाई.
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बता रहे थे मुझे, एक दिन, सभी पागल,
हुए सभी वो यहाँ लोग, आज सौदाई.
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मुहब्बतों के सफ़र से ही लौट कर हमनें,
न करिए इश्क़ कभी, बात सबको समझाई.…
Added by Nilesh Shevgaonkar on October 17, 2013 at 3:30pm — 11 Comments
१२२२, १२२२, १२२२, १२२२,
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हुआ है तज्रिबा मत पूछ हम को क्या मुहब्बत में,........पहले तज़ुर्बा लिखा था जो गलत था .. अत: मिसरे में तरमीम की है.
लगा दीदा ए तर का आब भी मीठा मुहब्बत में.
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जो चलते देख पाते हम तो शायद बच भी सकते थे,
नज़र का तीर दिल पे जा लगा सीधा मुहब्बत में.
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ख़ुमारी छाई रहती है, ख़लिश सी दिल में होती है,
अजब है दर्द जो ख़ुद ही लगे चारा मुहब्बत में.
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रवायत आज भी भारी ही…
ContinueAdded by Nilesh Shevgaonkar on October 17, 2013 at 9:00am — 16 Comments
1 २ १ २ २ / १ २ १ २ २/ १ २ १ २ २ /१ २ १ २ २
चलो चलें अब यहाँ से यारो, रहा न अपना यहाँ ठिकाना,
नहीं रहा अब, जो हम से रूठे, किसे भला है हमें मनाना.
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था इश्क़ हमको, था इश्क़ तुमको, मगर बगावत न कर सकें हम,
न तुम ने छोड़ा, न बेवफ़ा हम, न तुम ने समझा, न हम ने जाना.
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शराब छोड़ी, नशा बुरा था, नज़र से पी ली, नज़र मिलाकर,
नज़र नज़र में नशा चढ़ा यूँ, वो भूल बैठा मुझे पिलाना.
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न फेरियें मुंह, अभी से साहिब, अभी सफ़र ये शुरू हुआ है,
कत’आ करो…
Added by Nilesh Shevgaonkar on October 15, 2013 at 1:00pm — 21 Comments
1222, 1222, 122.
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ज़रूरत से ज़ियादा क्यूँ करें हम?
लहू दिल से निचोड़ा क्यूँ करें हम?
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फ़ना हो जाएगा सबकुछ जहां में,
ये झूठा फिर दिखावा क्यूँ करें हम?
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उगेंगे एक दिन कांटें ही कांटें,
ज़हन में याद बोया क्यूँ करें हम?
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नहीं परवाह है उनको हमारी,
बिना कारण ही रोया क्यूँ करें हम?
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हमारे काम खुद ही बोलतें है,
ज़ुबानी कोई दावा क्यूँ करें हम?
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जुदा है रास्ते तुमसे हमारे,
बिछड़ना है तो झगड़ा क्यूँ…
Added by Nilesh Shevgaonkar on October 13, 2013 at 12:30pm — 26 Comments
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