For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल नूर की - किसी साधू के गहरे ध्यान से हम

२१२२, १२१२, २२ (११२) +१ 
.
किसी साधू के गहरे ध्यान से हम
बैठे रहते है इत्मिनान से हम.
.
तुम हो इक टूटती हुई दीवार
एक ढहते हुए मकान से हम.
.
गर ख़ुदा को वहाँ नहीं पाया,   
लौट आयेंगे आसमान से हम.   
.
बात जो कुछ है साफ़ साफ़ कहें
ऊँचा सुनने लगे हैं कान से हम.
.
बुतकदे में जलाने को दीपक
जाग जाते हैं इक अज़ान से हम.   
.
एक एल्बम में तुम हसीं थी बहुत 
साथ में थे बड़े जवान से हम. 
.
वस्ल का पल, ये जिस्म और वो “नूर”
हट गए अपने दरमियान से हम. 
.
निलेश "नूर"
मौलिक/ अप्रकाशित 

Views: 877

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 25, 2018 at 7:57am

आ. तस्दीक साहब, लेकिन क्या शब्द के बीच में मी को गिराकर मि पढना योग्य होगा?
मैं विचार करता हूँ पुन:
सादर 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 25, 2018 at 7:56am

धन्यवाद आ. तस्दीक अहमद साहब 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 25, 2018 at 7:55am

धन्यवाद आ. अफरोज़ जी 

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on October 18, 2017 at 1:56pm
जनाब नीलेश साहिब ,उम्दा ग़ज़ल हुई है ,मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं । मेरे ख़याल से बह्र पर कोई असर नहीं होगा क्योंकि शब्द इत्मीनान में पढ़ने पर मी का ये गिर जाएगा ।
Comment by Afroz 'sahr' on October 18, 2017 at 12:14pm
आ. निलेश जी इस रचना पर बहुत बधाई आपको
Comment by Nilesh Shevgaonkar on October 18, 2017 at 11:50am

जी,
मैं सोचता हूँ 
सादर 

Comment by Samar kabeer on October 18, 2017 at 11:48am
बह्र में तो नहीं आएगा ये शब्द,मिसरा बदलना होगा ।
Comment by Nilesh Shevgaonkar on October 18, 2017 at 11:26am

शुक्रिया आ. अजय जी 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on October 18, 2017 at 11:26am

शुक्रिया आ. समर सर... आपकी इस्लाह के अनुसार इत्मीनान और थीं कर लिया है मूल प्रति में .. लेकिन एक शंका है ..इत्मीनान    इत्मिनान पढने   से  बहर पर प्रश्न तो नहीं उठेगा ?...
अन्य सुझावों पर भी विचार करता   हूँ 
सादर 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on October 18, 2017 at 11:23am

शुक्रिया आ. दिनेश भाई जी 

व्यस्तता के चलते देर से आने की मुआफ़ी चाहूँगा 
सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
9 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
10 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
10 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service