For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

२१२२, २१२२,२१२२, २१२२  

क्या सुनाऊं दोस्त तुझको ज़िन्दगानी की कहानी,
चार सू तूफ़ान हैं और अपनी कश्ती बादबानी.
***

जब मिले पहले पहल तुम, ख्व़ाब थे रंगीन सारे,
सुर्ख आँखें हैं मेरी उस दौर की ज़िन्दा निशानी.
***

याद की इन आँधियों में दिल बिखर जाता है ऐसे,   

जिल्द फटने पर बिखरती डायरी जैसे पुरानी.
***

देर तक रोता रहा क़ातिल मेरा, मैंने कहा जब, 
जान तू ले ले मेरी तो होगी तेरी मेहरबानी.
***
खो गए है हर्फ़ सारे, बुझ गए जज़्बात मेरे,
क्या बने मिसरा-ए-ऊला क्या बने मिसरा-ए-सानी. 
***

“नूर” भटकेगा हमेशा टीस इक दिल में छुपाकर,
जो नज़र से कह न पाया काश कह देता ज़ुबानी. 
.
निलेश "नूर"
***************************************************
मौलिक व अप्रकाशित 

Views: 891

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Nilesh Shevgaonkar on July 12, 2014 at 12:06pm

इसीलिए दूसरी पर कोशिश की है ..पहली पर नहीं :)


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 12, 2014 at 12:03pm

//1) कभी किसी का दिल मत दुखाओ //

यह विन्दु बड़ी विकट परिस्थितियाँ पैदा करता है आदरणीय.. .. :-))
मुझे भी ’पिता पुत्र और उनका गधा’ की कथा याद आ रही है.. !!

सादर

Comment by Nilesh Shevgaonkar on July 12, 2014 at 11:44am

शुक्रिया आ. वंदना जी 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on July 12, 2014 at 11:44am

शुक्रिया आ. सौरभ सर ...
बचपन में कक्षा चौथी में एक कहानी पढ़ी थी ..हरपाल सिंह नायक था उस कहानी का ..उसमे कुछ 5 सीखों का ज़िक्र है. बाक़ी तीन तो याद नहीं रहीं लेकिन दो सीखें अबतक याद हैं ..
1) कभी किसी का दिल मत दुखाओ
2) ज्ञान की बात कहीं मिले तो सीख लो ...
दूसरी सीख को अमल में लाने की कोशिश करता रहता हूँ ..
सादर

 

Comment by vandana on June 10, 2014 at 6:00am


“नूर” भटकेगा हमेशा टीस इक दिल में छुपाकर
जो नज़र से कह न पाया काश कह देता ज़ुबानी.

कमाल की ग़ज़ल है आदरणीय 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on June 9, 2014 at 11:33pm

जय हो.. . आपका सादर आभार आदरणीय. आपने मेरे कहे को इज़्ज़त दी.

वैसे मैं अपने वाले शेर की सानी पर जो कुछ सोचा है, आप भी सोचियेगा कि आखिर मैंने ऐसा क्यों सोचा.

:-)))

Comment by Nilesh Shevgaonkar on June 9, 2014 at 11:18pm

आदरणीय सौरभ सर,
बहुत बहुत आभार .....मेरी भावनाओं को "असली" शब्द देने के लिए ...
बस यही तो मज़ा है OBO का .....मैंने ..बदलाव कर दिया है ..
सादर  


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on June 9, 2014 at 2:53pm

देर तक रोता रहा क़ातिल मेरा, मैंने कहा जब, 
जान तू ले ले मेरी तो होगी तेरी मेहरबानी... ...

इस शेर ने हिला के रख दिया. इस शेर के होने पर आपको दिल से बधाइयाँ, आदरणीय नीलेश नूरजी.

फिर,

“नूर” भटकेगा हमेशा बस इसी ख्वाहिश कि ख़ातिर,
जो नज़र से कह न पाया काश कह देता ज़ुबानी.
वाह-वाह-वाह !

लेकिन सादर कहूँ तो मैं कुछ यों कहता -
“नूर” भटकेगा हमेशा टीस इक दिल में छुपाये
जो नज़र से कह न पाया क्या कहेगा वो ज़ुबानी ?
आदरणीय, यह कोई सुझाव या सलाह एकदम नहीं है. बल्कि आपके कहे पर मेरा सादर अनुमोदन है. तथा, इस ज़मीन को एक पाठक के तौर पर शिद्दत से जीना है.
सादर

Comment by Nilesh Shevgaonkar on June 8, 2014 at 6:09pm

शुक्रिया बृजेश जी 

Comment by बृजेश नीरज on June 6, 2014 at 10:05pm

बहुत शानदार ग़ज़ल! आपको बहुत-बहुत बधाई!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Dec 13

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Dec 12
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service