For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल नूर की - दफ़्तर में तू पहला दिख

.

दफ़्तर में तू पहला दिख
काम न कर पर करता दिख.
.
ये बाज़ार का मंतर है
सस्ता बिक पर महँगा दिख.
.
कर व्यवहार परायों सा
दिखने में तू सबका दिख.
.
ऊँचों में तू ऊँचा उड़
पर बौनों में बौना दिख.
.
आग लगा कर बस्ती में
तू ही आग बुझाता दिख.
.
सब को लड़वाने के बाद
तू सब को समझाता दिख.
.
मेरी आँखें तरसती हैं
दूर कहीं से आता दिख.
.
मेरी मौत का जश्न मना
मेरी मौत पे मरता दिख
.
निलेश "नूर"
मौलिक/ अप्रकाशित 

Views: 293

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Nilesh Shevgaonkar on August 20, 2023 at 8:01am

आ. अमीरुद्दीन अमीर साहब,

ग़ज़ल तक आने और सराहने के लिए बहुत बहुत आभार।
ग़ज़ल 'नूर' की है अत: मन में मात्राओं को लेकर कोई संशय न रखें। आश्वस्त रहें कि ठीक ही कहा गया है,
सादर  

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on August 19, 2023 at 7:07pm

आदरणीय निलेश जी आदाब, उम्दा तंज़िया ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाएं। हरिक शे'र छद्मचरित्रता और इंसानी नीचता पर कठोर प्रहार है।

'सब को लड़वाने के बाद' मिसरे की मात्रा गणना पर संशय लग रहा है। 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on August 19, 2023 at 4:55pm

धन्यवाद आ. सौरभ सर 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on August 19, 2023 at 4:55pm

धन्यवाद आ। रवि जी 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 19, 2023 at 12:58am

आदरणीय नीलेश जी, छॊटे बहर की खूबसूरत गजल हुई है। बधाई । 

Comment by Ravi Shukla on August 8, 2023 at 2:30pm

 आदरणीय नीलेश जी छोटी बहर में अच्छे भाव के शेर कहे है आपने बधाई 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on August 6, 2023 at 1:08pm

बहुत बहुत धन्यवाद आ। लक्ष्मण जी 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on August 4, 2023 at 1:43pm

आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। बहुत बहुत हार्दिक बधाई।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on नाथ सोनांचली's blog post कविता (गीत) : नाथ सोनांचली
"आ. भाई नाथ सोनांचली जी, सादर अभिवादन। अच्छा गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।"ओबीओ…See More
Sunday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"धन्यवाद सर, आप आते हैं तो उत्साह दोगुना हो जाता है।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और सुझाव के लिए धन्यवाद।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. रिचा जी, अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। आपकी उपस्थिति और स्नेह पा गौरवान्वित महसूस कर रहा हूँ । आपके अनुमोदन…"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. रिचा जी अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई। "
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुइ है। हार्दिक बधाई।"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"शुक्रिया ऋचा जी। बेशक़ अमित जी की सलाह उपयोगी होती है।"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"बहुत शुक्रिया अमित भाई। वाक़ई बहुत मेहनत और वक़्त लगाते हो आप हर ग़ज़ल पर। आप का प्रयास और निश्चय…"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"बहुत शुक्रिया लक्ष्मण भाई।"
Saturday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आदरणीय अजय जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल हुई है बधाई स्वीकार कीजिये अमित जिनकी टिप्पणी से सीखने को मिला…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service