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SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR
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SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR's Discussions

आभार सम्पादक महोदय , प्रधान सम्पादक महोदय और प्रिय मित्रों का

आभार सम्पादक महोदय , प्रधान सम्पादक महोदय और प्रिय मित्रों का प्रिय मित्रों आप सभी हिंदी साहित्य प्रेमियों को 'भ्रमर' का नमन !आप सब के साथ ये साझा करते बहुत ही हर्ष हो रहा है की  मुझे (21.08.2012 -…Continue

Started Aug 25, 2012

 

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SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR commented on आचार्य शीलक राम's blog post मौन
"शिक्षाप्रद पद और क्षणिकाएं, बहुत खूब , जय जय श्री राधे।"
Dec 10, 2022
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"बहुत सुन्दर गीत गरीबी और गांव की छवि समेटे , निखार और रखिए। जय जय श्री राधे"
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"बहुत सुन्दर गीत, रिश्तों से अपनापन रूठा, बिछड़ी हंसी ठिठोली है.. ..आंगन आंगन भीत यहां। सब बदल गया राधे राधे"
Dec 10, 2022
SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR commented on AMAN SINHA's blog post नर हूँ ना मैं नारी हूँ
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Dec 10, 2022
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"वाह सुन्दर गजल, मैं नहीं हसरत किसी की आप सब की आरजू...."
Dec 10, 2022
SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR commented on आचार्य शीलक राम's blog post व्यवस्था के नाम पर
"बहुत सुन्दर रचना, आज के जीवन की झांकी दिखाती हुई, जय जय श्री राधे"
Dec 10, 2022
SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR commented on AMAN SINHA's blog post याद आ रही है
"अल्हड़ बचपन की यादों को पिरोए हुए अच्छी रचना बन्धु, जय श्री राधे।"
Mar 24, 2022
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"जीवन यात्रा की अच्छी झलकी दिखी, सुंदर संदेश , अच्छा प्रयास है, जय श्री राधे।"
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"बहुत सुन्दर और सार्थक दोहे, जय श्री राधे बन्धु।"
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Madhu Passi 'महक' left a comment for SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR
"आदरणीय सुरेंद्र कुमार शुक्ला जी आपका बहुत बहुत आभार। आपको मेरी लघुकथा अच्छी लगी , बस इसी तरह मेरा हौसला बढ़ाते रहिएगा।"
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Jul 26, 2020

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INSANIYAT , EEMANDARI , ACHHAIYON KA PUJARI

दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन -जाऊं ---भ्रमर ५ 

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SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR's Blog

चीख रही माँ बहने तेरी -क्यों आतंक मचाता है

क्यों मरते हो हे ! आतंकी

कीट पतंगों के मानिंद

हत्यारे तुम-हमे बुलाते

जागें प्रहरी नहीं है नींद…

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Posted on November 25, 2017 at 11:00am — 8 Comments

गुमशुदा हूँ मैं

गुमशुदा हूँ  मैं

तलाश जारी है

अनवरत 'स्व ' की

अपना ‘वजूद’

है क्या ?

 आये खेले ..

कोई घर घरौंदा बनाए..

लात मार दें हम उनके 

वे हमारे घरों को....

रिश्ते  नाते उल्का से लुप्त

विनाश ईर्ष्या विध्वंस बस

'मैं ' ने जकड़ रखा  है मुझे

झुकने नहीं देता रावण सा

एक 'ओंकार'  सच सुन्दर

मैं ही हूँ - लगता है

और सब अनुयायी

'चिराग'  से डर लगता है

अंधकार समाहित है

मन में ! तन - मन दुर्बल…

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Posted on May 10, 2016 at 12:30pm — 5 Comments

तुम तो जिगरी यार हो

तुम तो जिगरी यार हो

==================

दोस्त बनकर आये हो तो

मित्रवत तुम दिल रहो

गर कभी मायूस हूँ मैं

हाल तो पूछा करो ..?

-------------------------------…

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Posted on April 15, 2016 at 1:00pm — 4 Comments

अभिव्यक्ति की आजादी

पढ़ते हुए बच्चे का अनमना मन

टूटती ध्यान मुद्रा

बेचैनी बदहवासी

उलझन अच्छे बुरे की परिभाषा

खोखला करती खाए जा रही थी .......

कर्म ज्ञान गीता महाभारत

रामायण राम-रावण

भय डर आतंक

राम राज्य देव-दानव…

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Posted on March 4, 2016 at 11:00am — 6 Comments

Comment Wall (28 comments)

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At 11:39am on July 26, 2020, Madhu Passi 'महक' said…
आदरणीय सुरेंद्र कुमार शुक्ला जी आपका बहुत बहुत आभार। आपको मेरी लघुकथा अच्छी लगी , बस इसी तरह मेरा हौसला बढ़ाते रहिएगा।
At 8:35am on May 19, 2014, जितेन्द्र पस्टारिया said…

आपकी मित्रता का ह्रदय से स्वागत है आदरणीय सुरेन्द्र जी

सादर!

At 7:28pm on October 12, 2013, D.K.Nagaich 'Roshan' said…

आपका बहुत बहुत दिली शुक्रिया, आदरणीय शुक्ल जी .. आपको मेरी कोशिश पसन्द आई, मेरी मेहनत कामयाब हुई..

At 1:05pm on September 2, 2013, annapurna bajpai said…
आ० सुरेन्द्र कुमार जी आपका हमारी मित्र मंडली मे आपका स्वागत है ।
At 9:58am on April 25, 2013, केवल प्रसाद 'सत्यम' said…

 मित्रता सौभाग्य लाती है। मैं पावन हुआ।   आपका हार्दिक स्वागत है।

At 9:04pm on October 22, 2012, VISHAAL CHARCHCHIT said…

आपका हृदय से आभारी हूं सुरेन्द्र भाई.......मुझे भी अत्यंत प्रसन्नता हुई कि आप भी मेरे ही जनपद के हैं.......यह स्नेह दिनोंदिन प्रगाढ हो ऐसी कामना है !!!!

At 6:50am on October 3, 2012, कुमार गौरव अजीतेन्दु said…

आदरणीय ज्येष्ठ भ्राता सुरेन्द्र जी........आपका बहुत-बहुत धन्यवाद..........जय श्री राधे............

At 12:32pm on August 10, 2012, Sanjay Rajendraprasad Yadav said…

सुरेन्द्र भाई नमस्कार
"हम दोनों सागर के तट पर ना जाने कितनी बार एक साथ बैठ के साझा सूरज डुबा दिया करते थे क्या उन्हें उसका एक भी लम्हा याद नहीं आता होगा ! उनके स्पर्स को मै दिल से महसूस किया करता था ! क्या उनका स्पर्स मात्र एक छलावा था ? जो भी कुछ हो मै आज भी उन्हें यही दुवा दूंगा की

ओ जहाँ रहे वहाँ दर्द न हो...खुशी हो...रौशनी हो...खुशबुएं हों मुरादे मन की पूरी हो,..........!!! मै एक संस्था की अस्थापना करूंगा जो जरुरत मंद के लिए हमेशा कम करती रहेगी >>!!!!!!!!!!!!

At 12:09pm on August 10, 2012, Sanjay Rajendraprasad Yadav said…

सुरेन्द्र भाई नमस्कार ....!!!
दर्द में भी जीने का अपना एक मज़ा होता है ! उन्होंने जितने भी वादे किये थे उस वक्त बहुत सहज और सरल लगा था ! लेकिन आज ऐसा लगता है की उन्होंने एक बड़ा अजीब सा वादा किया था ! मुझे ख़ुशी इस बात की है की मैंने एक भी वादा तोड़ा नहीं ....किये भी वही...तोड़े भी वही......... !!!!

At 12:43am on August 4, 2012, डॉ. सूर्या बाली "सूरज" said…

सुरेन्द्र भाई नमस्कार ! ग़ज़ल पर आपकी सधी हुई प्रतिक्रिया और उत्साहबर्धन के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद ! ऐसे ही स्नेह और आशीर्वाद बनाए रखें ! साभार !

 
 
 

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