Posted on February 20, 2020 at 5:30pm — 1 Comment
एक
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मुझे,
मालूम है आप
मेरी लापरवाहियां और बेतरतीबी की लिए
ऊपर ऊपर डांटते हुए भी
अंदर अंदर खुशी से और मेरे लिए प्रेम से भरपूर रहती हो
मेरे बिखरे हुए कपड़ों व किताबों को सहेजना अच्छा लगता है
पर यहाँ हॉस्टल में आ कर अब मुझे अपने कपडे खुद तह कर के रखना सीख लिया है
वहां तो आप सुबह ब्रश में टूथ पेस्ट भी आप लगा के देती थी
टोस्ट में मक्खन भी लगा के हाथ में पकड़ा देती थी
और प्यार भरी झिड़की से जल्दी से खाने की हिदायत देती थी
पर…
Posted on February 15, 2020 at 5:30pm
प्रेम गली अति सांकरी
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सुमी,
सुना है, किसी सयाने ने कहा है। ' प्रेम गली अति सांकरी, जा में दुई न समाय'
जब कभी सोचता हूँ इन पंक्तियों के बारे में तो लगता है, ऐसा कहने वाला, सयाना
रहा हो या न रहा हो, पर प्रेमी ज़रूर रहा होगा,जिसने प्रेम की पराकष्ठा को जाना होगा
महसूस होगा रोम - रोम से , रग - रेशे से, उसके लिए प्रेम कोई शब्दों का छलावा न
रहा होगा, किसी कविता का या ग़ज़ल का छंद और बंद न रहा होगा, किसी हसीन
शाम की यादें भर न रही होगा,…
Posted on February 12, 2020 at 1:58pm — 4 Comments
गुफा
से निकले हुए लोगों ने
'कुर्सी' बनाई,
अपने राजा के लिए
ज़मीन पर बैठे - बैठे
राजा कुर्सी पर बैठा है शान से
कुर्सी बनाने वाले ज़मीन पर
सबसे पहली कुर्सी 'पत्थर' की थी
फिर इंसान ने लकड़ी की कुर्सी बनाई
बाद में सोने ,चाँदी ,हीरे, जवाहरात की भी....
इतिहास में तो कई बार नरमुंडों की भी कुर्सियां बनाई गयी
और फिर उस पर बैठ के 'राजा' बहुत खुश हुआ...
कुर्सी बनाई गयी थी
इस उम्मीद में कि इस पर बैठा हुआ
राजा राज्य में
सुख शांति…
Posted on September 23, 2017 at 3:06pm — 5 Comments
स्वागत है आप का आदरणीय मुकेश जी | सादर
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