आदरणीय लघुकथा प्रेमियो,
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बढ़िया कथा आदरणीय डॉ गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी हार्दिक बधाई आपको
बहुत सुन्दर कथानाक ,आँखों के आगे चित्रों को जीवंत करता हुआ , हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी सादर
लघुकथा अच्छी है अग्रज डॉ गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी, बधाई स्वीकारेंI मगर मुझे लगता है कि अभी इसमें काफी काट-छील की गुंजाइश हैI लघुकथा के प्रारंभ में हामिदा के लिए चिमटा लाने वाली बात ने "एलिमेंट ऑफ़ सरप्राइज" ख़त्म कर दियाI यदि यह लघुकथा ये नाचीज़ लिखता तो चूल्हा फूंकती दादी के हाथ में चिमटा होताI और यहीं भावुक होकर दादी हामिद का नाम लेकर उसको दुआएं देतीI
//बच्चे हामिद ने एक बार फिर बूढ़े हामिद का पार्ट खेल दिया था, बुढ़िया अमीना फिर से बालिका अमीना बन रोने लगी // यह पंक्ति निहायत गैर ज़रूरी है, मैं इसको भी कथा से हटा देताI
अति सुन्दर अनुज आपकी बेबाक टीप से मन प्रसन्न हुआ . बाकी संशोधन मैं कर ही लूँगा पर मार्ग दर्शन यूँ ही बना रहे, मार्च (एकाउंट्स )की व्यस्तता है अस्तु इतना ही , सादर .
आदरनीय गोपाल जी, पता नहीं क्यूँ हमें हमारे बजुर्गों की जिंदगी की सचाई अभी भी प्रभावित करती है, जब का जिंदगी में दोगलापन आ गया है, वो प्यार नजर नही आ रहा -सुंदर लघुकथा , बधाई हो
दादी आज भी वही हैं मगर जब उसी हमीद के होने की बात पढ़ती या सुनती हूँ तो दिल को सुकून मिलता है आस की किरण नजर आने लगती है इस घोर कलियुग में भी दिल को छू गई आपकी लघु कथा आ० डॉ गोपाल जी दिल से बधाई लीजिये .
बढ़िया कथा आदरणीय डॉ गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी हार्दिक बधाई .
मोहतरम जनाब गोपाल नारायण साहिब , दिल को छू लेने वाली अच्छी लघु कथा के लिए मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं
वाह ! एक अलग ही अंदाज़ सामने आया है कथा का यहाँ आपके द्वारा आदरणीय डॉ गोपाल नारायण जी . हामिद को दादी के साथ कथ्य को बांधने का मिजाज़ लघुकथा में चार चाँद लगा गया है . ढेरों बधाई आपको .
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