For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

चाहतें - क्षणिकाएं -- डॉo विजय शंकर

ज़िन्दगी बोझ थी नहीं
अपनी ही चाहतों से
एक बोझ बना लिया
हमने ..............1.

सच में ,
चाहना तुझको था ,
तुझसे ही चाहते
रह गए .............2.


ज़िन्दगी भर
ज़िन्दगी को
ढूंढते रहे ,
वो मिली भी नहीं
और हम ज़िंदा भी रहे .....3.


मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 578

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by vijay nikore on January 25, 2017 at 2:54pm

बहुत ही खूबसूरत क्षणिकाएँ पेश की हैं। हार्दिक बधाई, आदरणीय विजय जी।

Comment by Dr. Vijai Shanker on December 26, 2016 at 10:04am
आदरणीय समर कबीर साहब , नमस्कार , मुझे पता नहीं क्यों हमेशा यही लगता है कि हर बड़ी बात बहुत सीधी सपाट और कुछ लफ्जों में बयाँ हो सकती है। बस बिना किसी कोशिश वही बात मेरे मित्रों / पाठकों तक पहुँच जाए इससे बड़ी बात और क्या हो सकती है। आपकी बातें खुद बेहद कीमती होतीं हैं। मनोबल बढ़ाती हैं। ह्रदय से आभार , धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on December 26, 2016 at 10:04am
आदरणीय महेंद्र कुमार जी , रचना पसंद आई , आभार एवं धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on December 26, 2016 at 10:04am
आभार एवं धन्यवाद आदरणीय बृजेश कुमार बृज जी , सादर।
Comment by Samar kabeer on December 25, 2016 at 5:05pm
आली जनाब डॉ.विजय शंकर जी आदाब,सभी क्षणिकाएं उत्तम हैं,चन्द शब्दों में बड़ी बात कहना हुनर मंदी है, और आप इस हुनर में यकता हैं ये मैं बख़ूबी जानता हूँ,इस शानदार प्रस्तुति पर दिल से बधाई स्वीकार करें ।
Comment by Mahendra Kumar on December 25, 2016 at 12:19pm
आदरणीय डॉ. विजय शंकर जी, अच्छी क्षणिकाएँ लिखी हैं आपने। हार्दिक बधाई। सादर।
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on December 25, 2016 at 11:24am
वाह बहुत सुन्दर
Comment by Dr. Vijai Shanker on December 25, 2016 at 8:02am
प्रिय मिथिलेश वामनकर जी , प्रस्तुति पर सुन्दर उदगार व्यक्त करने के लिए आभार एवं धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on December 25, 2016 at 8:02am
आदरणीय सुश्री प्रतिभा पांडेय जी , रचना को स्वीकृति एवं मान देने करने के लिए आभार एवं धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on December 25, 2016 at 8:02am
आदरणीय डॉo गोपाल नारायण जी , रचना को स्वीकृति एवं मान देने करने के लिए आभार एवं धन्यवाद , सादर।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service