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बड़ी बात , छोटी सी कविता - डॉo विजय शंकर

हुकूमतें लाजवाल
हाकिम कामयाब
जनता त्रस्त बेहाल ,
अपने अपने नसीब हैं।

मौलिक एवम अप्रकाशित

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Comment by Dr. Vijai Shanker on November 10, 2016 at 9:45am
आदरणीय गिरिराज भंडारी जी , एक छोटी सी बात को बड़ा मान देने के लिए आभार एवं धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on November 10, 2016 at 9:45am
आदरणीय समर कबीर साहब , नमस्कार , एक छोटी सी बात पर बड़ी बात ( टिप्पणी ) करने के लिए आभार एवं धन्यवाद , सादर।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 10, 2016 at 9:39am

आदरनीय  विजय भाई , देखत मे छोटी लगे घाव करे गम्भीर , छोटी पर गम्भीर कविता के लिये हार्दिक बधाइयाँ ।

Comment by Samar kabeer on November 7, 2016 at 5:18pm
आली जनाब डॉ.विजय शंकर जी आदाब,चार पंक्तियों में आपने पूरा नावेल लिख दिया,क्या बात है,बहुत ख़ूब कमाल की प्रस्तुति हुई है मुहतरम,इस शानदार और बेमिसाल कविता के लिये दिल की गहराइयों से बधाई स्वीकार करें ।

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