For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

भीतर-बाहर

हाँफती धुमैली साँसों की धड़कन

लगता है यह गाड़ी अचानक

किन्हीं अनजान अपरिचित

दो स्टेशनों के बीच

ज़बर्दस्ती

रोक दी गई है, कब से

अमावस की रा्त ...

भीतर-बाहर

बिजली

बुझा दी गई है

इतना भयंकर आकारहीन सुनसान

(भीतर-बाहर)

भविष्यवाणी न कोई सिगनल

हरी झंडी नहीं

लाल झंडी भी नहीं, बस

हाहाकार करता कठिन संग्राम

अर्थहीन अधबना-पन

भीतर-बाहर

पूछूँ किससे, क्या पूछूँ, या न पूछूँ

बन्द कमरे में बन्द 

खिड़की की सलाखों के बीच से चीखूँ ?

माथा ... बन्द दरवाज़े पर पटकूँ ?

है दर्द भरी गहरी तड़फड़ाती अकुलाहट

भीतर-बाहर

शैश्वावस्था में जब कभी था गिरा

अनुरोध करती-सी कहती थी माँ

"चुप" ... "अच्छे बच्चे नहीं रोते"

"मैं हूँ न !"

अब कुलबुलाता शून्य

मानो फैलते अन्धकार की गति की लय

छा गई है भीतर-बाहर

अनवरत भयावनी खामोशी

पथरायी ज़िंदगी को कब से

बुखार-सा चढ़ा है

अनुताप का प्रच्छन्न प्रवाह ...

"कहाँ हो, माँ ?"

      ----------

-- विजय निकोर

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 730

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by vijay nikore on February 5, 2018 at 2:30pm

आपका हार्दिक आभार, आ० नरेन्द्र जी।

Comment by narendrasinh chauhan on February 5, 2018 at 2:23pm
खुब सुन्दर रचना
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 4, 2018 at 6:13pm

आ. भाई विजय जी, बेहतरीन रचना हुई है हार्दिक बधाई ।

Comment by vijay nikore on February 4, 2018 at 12:14pm

आपका हार्दिक आभार, आ० सुरेन्द्र जी। स्नेह बनाए रखें

Comment by vijay nikore on February 4, 2018 at 12:13pm

आपका हार्दिक आभार, आ० बृजेश जी

Comment by vijay nikore on February 4, 2018 at 12:12pm

भाई तस्दीक़ अहमद जी, इस रचना को मान देने के लिए हार्दिक आभार

Comment by नाथ सोनांचली on February 3, 2018 at 12:55pm

आद0 विजय निकोर जी सादर अभिवादन। विचारोत्तेजक औए सारगर्भित बेहतरीन रचना लिखी आपने। बहुत बहुत बधाई स्वीकार करें। सादर

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on February 2, 2018 at 9:59pm

आदरणीय विजय जी आपकी हर कविता बोलती हुई सी प्रतीत होती है..बहुत ही गहरे भावों से परिपूर्ण...

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on February 1, 2018 at 8:56pm

मुहतरम जनाब विजय साहिब ,एक और ज़बरदस्त रचना पढ़ने को मिली , मुबारकबाद क़ुबूल फरमायें।

Comment by vijay nikore on February 1, 2018 at 3:01pm

रचना को मान देने के लिए आपका हार्दिक आभार, भाई समर कबीर जी। आपका स्नेह मनोबल बढ़ाता है।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"स्वागतम "
12 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on नाथ सोनांचली's blog post कविता (गीत) : नाथ सोनांचली
"आ. भाई नाथ सोनांचली जी, सादर अभिवादन। अच्छा गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।"ओबीओ…See More
Sunday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"धन्यवाद सर, आप आते हैं तो उत्साह दोगुना हो जाता है।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और सुझाव के लिए धन्यवाद।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. रिचा जी, अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। आपकी उपस्थिति और स्नेह पा गौरवान्वित महसूस कर रहा हूँ । आपके अनुमोदन…"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. रिचा जी अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई। "
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुइ है। हार्दिक बधाई।"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"शुक्रिया ऋचा जी। बेशक़ अमित जी की सलाह उपयोगी होती है।"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"बहुत शुक्रिया अमित भाई। वाक़ई बहुत मेहनत और वक़्त लगाते हो आप हर ग़ज़ल पर। आप का प्रयास और निश्चय…"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"बहुत शुक्रिया लक्ष्मण भाई।"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service