For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

उसका बेहद अपनेपन से आना
नज़ाकत से छूना
अपनी सधी हुई उँगलियों से थामना
महसूस करना तपिश को
सुबह शाम जब चाहे...
दूर न रह पाने की
उसकी दीवानगी,
ये चाह कि उसके बिन पुकारे ही
सुन ली जाए उसकी हर उसकी धड़कन,
न न नहीं पसंद उसे अनावश्यक मिठास
न ही कृत्रिमता भरा कोई भी मीठापन
चाहे फीकी हो
पर सहज सादगी ही भाती है उसे...
बिना दो पल भी रुके
उसका लगा लेना अपने लबों से
घुलने देना हर अहसास को
क़तरा क़तरा अपने भीतर,
और डूब जाना इस ताज़गी में,
पलकों से ढाँप लेना
आँखों में उमड़ती तसल्ली को,
फिर लेना सुकून भरी लम्बी साँस...
सच!
बहुत हिफ़ाज़त से सहेजा है उसने
गर्म नाज़ुक एहसासों भरे
चाय और कशिश के इस अटूट साथ को

मौलिक और अप्रकाशित 

Views: 577

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on November 4, 2017 at 7:18pm

बहुत हिफ़ाज़त से सहेजा है उसने
गर्म नाज़ुक एहसासों भरे
चाय और कशिश के इस अटूट साथ को----------------कविता के रहस्य को खोलती ये अंतिम पंक्तियां  , साधुवाद  आदरणीया

Comment by Gajendra shrotriya on November 4, 2017 at 6:56pm
आदरणीया प्राची सिंह जी सादर अभिवादन!बहुत खूबसूरती से एक सार्थक और सांकेतिक बिम्ब काव्य रचा है आपने। वाह! बहुत बधाई आपको।
Comment by narendrasinh chauhan on November 4, 2017 at 5:48pm

सुंदर रचना 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on November 4, 2017 at 6:53am
आ. प्राची बहन, सुंदर रचना हुई है । हार्दिक बधाई ।
Comment by Afroz 'sahr' on November 2, 2017 at 9:07pm
सुंदर रचना नया ज़ाविया, नया फ्लेवर "चाय और कशिश" क्या बात है। बहुत बधाई आपको मोहतरमा डॉ.प्राची साहिबा,,,,
Comment by narendrasinh chauhan on November 2, 2017 at 5:44pm

,बहुत सुंदर रचना

Comment by Samar kabeer on November 2, 2017 at 3:02pm
मोहतरमा प्राची साहिबा आदाब,बहुत सुंदर रचना हुई है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on November 1, 2017 at 5:18pm
'चाय और कशिश'और अनावश्यक/ कृत्रिम मिठास, सादगी और अहसास... बहुत ही सधे हुए सांकेतिक भावपूर्ण सृजन के लिए सादर हार्दिक बधाई आदरणीया डॉ. प्राची जी।
Comment by Dr Ashutosh Mishra on November 1, 2017 at 4:07pm

आदरणीया प्राची जी इस सहजता से ओतप्रोत इस शानदार रचना केलिए ढेर सारी बधाई सादर 

चाय और कशिश .....ये नहीं समझ सका 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव’ अंक 146

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !! ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ छियालिसवाँ आयोजन है.…See More
3 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-152

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Dr. Ashok Goyal's blog post ग़ज़ल :-
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
17 hours ago
AMAN SINHA posted a blog post

पुकार

कैसी ये पुकार है? कैसा ये अंधकार है मन के भाव से दबा हुआ क्यों कर रहा गुहार है? क्यों है तू फंसा…See More
Saturday
Nisha updated their profile
Friday
Nisha shared Admin's discussion on Facebook
Friday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Chetan Prakash's blog post कुकुभ छंद आधारित सरस्वती गीत-वन्दनाः
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। सुन्दर रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
Friday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा सप्तक- लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार। दोहे के बारे में सुझाव…"
Thursday
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा सप्तक- लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"सार्थक दोहे हुए, भाई मुसाफिर साहब ! हाँ, चौथे दोहे तीसरे चरण में, संशोधन अपेक्षित है, 'उसके…"
Thursday
Chetan Prakash posted a blog post

कुकुभ छंद आधारित सरस्वती गीत-वन्दनाः

दुर्दशा हुई मातृ भूमि जो, गंगा ...हुई... .पुरानी है पावन देवि सरस्वती तुझे, कविता-कथा सुनानी है…See More
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

दोहा सप्तक- लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

जलते दीपक कर रहे, नित्य नये पड्यंत्र।फूँका उन के  कान  में, तम ने कैसा मंत्र।१।*जीवनभर  बैठे  रहे,…See More
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-98 (विषय: अवसर)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर उपस्थितिभाव.पक्ष की कमी बताते हुए मार्गदर्शक टिप्पणी हेतु हार्दिक…"
Wednesday

© 2023   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service