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Gajendra shrotriya
  • 42, Male
  • Kota , Rajasthan
  • India
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Gajendra shrotriya posted a photo
Jan 15
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-162
"धन्यवाद ! आदरणीय निलेश जी। आपका परामर्श संज्ञान में रहेगा।"
Dec 29, 2023
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-162
"हार्दिक आभार आदरणीय नादिर ख़ान साहेब।"
Dec 29, 2023
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-162
"बहुत आभार आदरणीय। आपके द्वारा निर्देशित संशोधन से निश्चित ही ग़ज़ल का स्वरूप  निखरता है। पुनः आभार।"
Dec 29, 2023
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-162
"वाह ! वाह ! बहुत ख़ूब आदरणीय नादिर ख़ान साहेब। बहुत अच्छे अशआर कहे हैं आपने। मतला, मक्ता और गिरह सभी पुरअसर हैं।"
Dec 29, 2023
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-162
"आदरणीय शिज्जू शकूर जी सादर अभिवादन। ख़ूबसूरत ग़ज़ल के लिए मेरी बधाई और शुभकामनाएँ स्वीकार करें।"
Dec 29, 2023
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-162
"//किसको तअल्लुकात निभाने की फ़िक्र है? हर राब्ते के पीछे ज़रूरत है आजकल//   वाह ! बहुत सही कहा।  ख़ूबसूरत ग़ज़ल के लिए बहुत बधाई और शुभकामनाएँ आदरणीय जयनित जी।"
Dec 29, 2023
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-162
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी  सादर नमस्कार। तरही मिसरे पर अच्छी ग़ज़ल कही आपने। बहुत बधाई।"
Dec 29, 2023
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-162
"आदरणीय निलेश जी सादर नमस्कार। विविध विषयों को कसे हुए शिल्प में बेहतरीन बुना है आपने। 'दरवेश' से 'तथागत'  हो जाने और इस ख़ूबसूरत ग़ज़ल के लिए बहुत बधाई और शुभकामनाएँ।"
Dec 29, 2023
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-162
"ताज़ा ग़मों से तो हमें राहत है आज कल माज़ी की बस जरा सी हरारत है आज कल हम पर ख़ुदा की ख़ूब इनायत है आज कलनासाज़ दुश्मनों की तबियत है आज कल आँगन को बूढ़े नीम से नफ़रत है आज कलघर को बड़े बुज़ुर्गो से दिक़्क़त है आज कल अम्मा की बाबूजी की ज़रूरत नहीं…"
Dec 29, 2023
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-162
"आदरणीय रवि शुक्ल जी नमस्कार। अच्छे अशआर बुने हैं आपने। मतला , मक्ता और गिरह सभी ख़ूब हुए हैं। हार्दिक बधाई इस ग़ज़ल के लिए।"
Dec 28, 2023
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-162
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी नमस्कार। अच्छी ग़ज़ल प्रस्तुत करने के लिए बधाई स्वीकार करें।"
Dec 28, 2023
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-162
"अच्छी ग़ज़ल कही आपने आदरणीय अमीरूद्दीन जी। मेरी शुभकामनाएँ स्वीकार करें।"
Dec 28, 2023
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-162
"मुशायरे का अच्छा आरम्भ करने के लिए बहुत बधाई आदरणीय अमित जी। मतला और गिरह के साथ ही सम्पूर्ण ग़ज़ल अच्छी लगी। बहुत शुभकामनाएँ।"
Dec 28, 2023
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-155
"धन्यवाद जतिन जी"
May 27, 2023
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-155
"आभार आदरणीया "
May 27, 2023

Profile Information

Gender
Male
City State
kota Rajsthan
Native Place
rajsthan
Profession
Teacher at state govt. Rajasthan

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इक ही दिन काफ़ी नही है - ग़ज़ल

मातृ-दिवस विशेष

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2122/ 2122/2122/212

इक ही दिन काफ़ी नही है ममता के सम्मान को

कम पड़ेंगे सौ जनम भी, माँ तेरे गुणगान को

जो बना देती है क़ाबिल एक नन्हीं जान को

है ज़रूरत माँ कि ममता की बहुत इंसान को

लाख लानत भेजिए उस सरफिरे नादान को

माँ को खुद से दूर करके ढूँढे जो भगवान को

माँ का दिल इससे बड़ा है जिसमें तुम रहते मियाँ

नाज़ से देखो न अपने बंग्ले आलीशान…

Continue

Posted on May 12, 2019 at 12:30pm — 3 Comments

मेरी दस्तार ख़ानदानी है- ग़ज़ल

2122/1212/22

------------------------------

हार तूफ़ान से न मानी है

कश्ती ने तैरने कि ठानी है



मेरी पलकों पे ये जो पानी है

ऐ मुहब्बत तेरी निशानी है



हमने माना बहुत पुरानी है

पर बहुत ख़ूब ये कहानी है



दिल पे चस्पां है जो नही मिटती

यूूँ तेरी हर शबीह फानी है



राख मैं कर चुका तेरे ख़त को

याद लेकिन मुझे ज़बानी है



हर किसी दर पे ये नही झुकती

मेरी दस्तार ख़ानदानी है



पहली बारिश है तिफ़्ल बन…

Continue

Posted on January 9, 2019 at 11:59am — 16 Comments

चेह्रा फ़क़त हसीं न हो दिल भी हसीं रहे - तरही ग़ज़ल

221  2121 1221 212



राह- ए- बदी से हम कभी वाक़िफ़ नहीं रहे 

फिर भी तेरे निशाने पे वाइज़ हमीं रहे     

कर ग़ौर अपने तौर-तरीकों पे एक बार

चहरा फ़क़त हसीं न हो दिल भी हसीं रहे 



दिल के दियार की ज़रा रौनक बहाल हो

गर इस मकाँ में आप सा कोई मकीं रहे

कर इश्क या जगा दे तसव्वुफ़ तेरी रज़ा

ऐ दिल तेरे खिलाफ़ कभी हम नहीं रहे 



अब भी यहीं हैं फूल कली चाँद सब मगर

दिलकश तुम्हारे बाद ये उतने नहीं रहे



दिल के…

Continue

Posted on December 6, 2017 at 8:30pm — 12 Comments

दिल बड़ा अपना बनाने की ज़रूरत आज है-ग़ज़ल

2122 /2122/ 2122 /212



दिल बड़ा अपना बनाने की ज़रूरत आज है

टूटते रिश्ते बचाने की ज़रुरत आज है



प्यार जितना है जताने की ज़रूरत आज है

अपनापन खुलकर दिखाने की ज़रूरत आज है



हँसते आँगन में पसर जाए न सन्नाटा कहीं

सब गिले शिकवे भुलाने की ज़रूरत आज है



दिल के रिश्तों को ज़ुबाँ से तोड़ना मुमकिन कहाँ

अपनों को अपना बनाने की ज़रूरत आज है



घर बनाना है अगर मज़बूत फिर खुद को हमे

नींव का पत्थर बनाने की ज़रूरत आज है



अपने हक़ की बात करना… Continue

Posted on November 5, 2017 at 7:00pm — 20 Comments

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At 7:22pm on April 6, 2014,
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
said…

आदरणीय गजेन्द्र श्रोतिया जी,
सादर अभिवादन !
मुझे यह बताते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी प्रस्तुति  ग़ज़ल ("ओबीओ लाइव तरही मुशायरा" अंक 45 में प्रस्तुत) को "महीने की सर्वश्रेष्ठ रचना" सम्मान के रूप मे सम्मानित किया गया है, तथा आप की छाया चित्र को ओ बी ओ मुख्य पृष्ठ पर स्थान दिया गया है | इस शानदार उपलब्धि पर बधाई स्वीकार करे |

आपको प्रसस्ति पत्र शीघ्र उपलब्ध करा दिया जायेगा, इस निमित कृपया आप अपना पत्राचार का पता व फ़ोन नंबर admin@openbooksonline.com पर उपलब्ध कराना चाहेंगे | मेल उसी आई डी से भेजे जिससे ओ बी ओ सदस्यता प्राप्त की गई हो |


शुभकामनाओं सहित
आपका
गणेश जी "बागी

संस्थापक सह मुख्य प्रबंधक 

ओपन बुक्स ऑनलाइन

 
 
 

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"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
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"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
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"आ. भाई सुशील जी, सादर आभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
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लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . असली - नकली
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Friday

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