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परिंदा क़ैद का आदी नहीं था, घर चला आया (ग़ज़ल)

1222   1222   1222   1222

निगाहों  में  किसी की  चंद-पल  रुक कर चला आया
परिंदा   क़ैद  का  आदी   नहीं  था,   घर  चला  आया

सितमगर  की  ख़िलाफ़त  में  उछाला था  जिसे हमने
हमारे   आशियाने   तक   वही   पत्थर   चला   आया

सभी  क़समों,  उसूलों,  बंदिशों  को  तोड़कर,आखिर
मैं  अरसे  बाद आज उसकी  गली होकर  चला आया

दनादन   लीलता   ही   जा   रहा   है   कैसे  हरियाली
कि चलकर शह्र से अब गाँव तक अजगर चला आया

उतरकर  गोद  से  माँ  की,  जहाँ  बचपन  गुज़ारा  था
वो  मेरा  गाँव   ख़्वाबों  में   मेरे  अक्सर  चला  आया

मैं  जज़्बातों  की आंधी में बिखर जाता, मगर ज्यों ही
तुम्हारा  नाम  आया,  बज़्म  से   उठकर  चला  आया

=================================

~जयनित कुमार मेहता~

 {मौलिक व अप्रकाशित}

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Comment by Rahul Dangi Panchal on March 13, 2016 at 9:59pm
वाह वाह वाह आदरणीय जयनीत जी मजा आ गया बहुत सुन्दर
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on March 12, 2016 at 7:20pm

क्या बात है क्या बात है आदरणीय बहुत खूबसूरत 

Comment by रामबली गुप्ता on March 10, 2016 at 7:04pm
शानदार ग़ज़ल की प्रस्तुति हेतु हृदयतल से बधाई स्वीकार करें आ.जयनित जी
Comment by Sushil Sarna on March 10, 2016 at 3:52pm

निगाहों में किसी की चंद-पल रुक कर चला आया
परिंदा क़ैद का आदी नहीं था, घर चला आया
सितमगर की ख़िलाफ़त में उछाला था जिसे हमने
हमारे आशियाने तक वही पत्थर चला आया

वाह वाह वाह आदरणीय जयनित कुमार जी गज़ब के अशआर रचे हैं आपने। इस बेहतरीन ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई।

Comment by Ravindra Prabhat on March 10, 2016 at 3:33pm

बेहतरीन गज़ल, बधाइयाँ।

Comment by जयनित कुमार मेहता on March 10, 2016 at 2:09pm
आदरणीय तेजवीर सिंह जी,आ. राम शिरोमणि जी,आदरणीय लक्ष्मण जी, आप सबों का हृदय से आभारी हूँ।।
Comment by Ravi Shukla on March 10, 2016 at 12:45pm

आदरणीय जयनित जी बहुत बहुत बधाई इस गजल के लिये अच्‍छे शेर हुए है जहां आखिरी शेर का कथ्‍य बहुत अच्‍छा लगा वही जज्‍बात को जो स्‍वयं ही बहुवचन है उसे जज्‍बातों करना थोड़ा अलग लग रहा है

सितमगर  की  ख़िलाफ़त  में  उछाला था  जिसे हमने
हमारे   आशियाने   तक   वही   पत्थर   चला   आया    बहुत ही बढि़या बात कही है आपने

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 10, 2016 at 11:23am

अति उत्तम

Comment by ram shiromani pathak on March 10, 2016 at 10:50am
वाह भाई वाह तो तीन शेर बहुत ही बेहतरीन हुए है।।इस सुन्दर ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई आपको।।सादर
Comment by TEJ VEER SINGH on March 10, 2016 at 10:39am

हार्दिक बधाई आदरणीय जयनित कुमार जी!बेहतरीन गज़ल!

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