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हैरत नहीं अगर कोई नाकाम हो गया- ग़ज़ल

221 2121 1221 212

जो होना था फ़रेब का अंजाम हो गया

इक मुह्तरम जहान में बदनाम हो गया

 

आफ़ाक़ के सफर में नहीं मिलती मंज़िलें

हैरत नहीं अगर कोई नाकाम हो गया

 

जलने लगे चराग सितारे चमक उठे

दीदारे ताबे हुस्न सरे शाम हो गया

 

बेदार शब तमाम जला चाँद अर्श पर

जाहिर जुनूने इश्क़ सरे बाम हो गया

 

तेरी मुहब्बतों से मुनव्वर किया दयार

आलम फ़रोज़ शम्स को आराम हो गया

 

मौलिक व अप्रकाशित

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Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on April 1, 2015 at 10:45am
अच्छे अश’आर हुए हैं आ. शिज्जू जी, दाद कुबूल करें
Comment by Shyam Mathpal on March 31, 2015 at 8:16pm

आ0 भाई शिज़्जू जी,

सुंदर ग़ज़ल. हार्दिक बधाई,

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on March 31, 2015 at 5:10pm
जलने लगे चराग सितारे चमक उठे

दीदारे ताबे हुस्न सरे शाम हो गया


इस शेर पे दिल बाग़ बाग़! मंजर बार बार दिमाग में कौधता है!सुन्दर गजल पर दिली दाद क़ुबूल फ़रमाए आदरणीय!
Comment by नादिर ख़ान on March 31, 2015 at 1:01pm

 जनाब शिज्जु साहब गज़ल का हर शेर लाजवाब है, दिल को छू  रहा है। हमारी तरफ से इस बेहतरीन गजलगोई के लिए मुबारकबाद ....


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on March 31, 2015 at 9:33am

रचना की सराहना के लिए मैं आप सभी का तहेदिल से शुक्रिया अदा करता हूँ

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 31, 2015 at 6:11am

आ0 भाई शिज़्जू जी, सुंदर ग़ज़ल हुई है, हार्दिक बधाई,

Comment by Hari Prakash Dubey on March 30, 2015 at 7:39pm

जो होना था फ़रेब का अंजाम हो गया

इक मुह्तरम जहान में बदनाम हो गया...बहुत बढ़िया  

आफ़ाक़ के सफर में नहीं मिलती मंज़िलें

हैरत नहीं अगर कोई नाकाम हो गया..........बहुत खूब ,हार्दिक बधाई आदरणीय शिज्जु सर ! सादर 

Comment by Shyam Narain Verma on March 30, 2015 at 4:55pm
बहुत सुन्दर गजल।  ढेरों दाद कुबूल करें। सादर
Comment by Samar kabeer on March 30, 2015 at 11:20am
जनाब शिज्जु "शकूर" जी,आदाब,अच्छी ग़ज़ल हुई है,शैर दर शैर दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाऐं |
Comment by Nilesh Shevgaonkar on March 30, 2015 at 11:04am

बहुत ख़ूब..... अच्छे तरही मुशायरे की एक पहचान ये भी है ...कि उसी काफिये और बहर पर एक दो और भी अच्छी ग़ज़ले बन जाती हैं.
एक शेर आपको दिए जाता हूँ ..
परवरदिगार तेरे करम से हुई ग़ज़ल  
तूने किया कमाल मेरा नाम हो गया.
.
सादर  
 

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