For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल को सँवारा है इन दिनों.- ग़ज़ल

मापनी 221 2121 1221 212 

 

हर आदमी ही वक़्त  का मारा है इन दिनों.  

प्रभु के सिवा न कोई सहारा है इन दिनों.  

 

फिरते सभी नक़ाब में चेहरा छुपा-छुपा, 

चारों तरफ अजीब नज़ारा है इन दिनों. 

 

मिलना गले न हाथ मिलाना किसी से तुम,   

रहना सभी से दूर ये नारा है दिनों. 

 

तूफ़ान आँधियों के अलावा न कुछ दिखे, 

कश्ती से इतनी दूर किनारा है इन दिनों.

 

जो भी गए थे शहर सभी लौट आये हैं, 

मौसम हमारे गाँव का प्यारा है इन दिनों.

 

सूखे थे जो दरख़्त हुए सब हरे-भरे,

सावन ने उनको ख़ूब दुलारा है इन दिनों.

 

कैसे कहें कि घर में हमें बोरियत हुई,

बिखरी हुई ग़ज़ल को सँवारा है इन दिनों.

"मौलिक एवं अप्रकाशित"

Views: 635

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बसंत कुमार शर्मा on August 10, 2020 at 10:49am

आदरणीय बृजेश कुमार 'ब्रज'   जी सादर नमस्कार 

आपकी हौसला अफजाई के लिए दिल से शुक्रिया 

Comment by बसंत कुमार शर्मा on August 10, 2020 at 10:48am

आदरणीय सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप' जी सादर नमस्कार 

आपकी हौसला अफजाई के लिए दिल से शुक्रिया 

Comment by बसंत कुमार शर्मा on August 10, 2020 at 10:48am

आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी सादर नमस्कार 

आपकी हौसला अफजाई के लिए दिल से शुक्रिया 

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on August 8, 2020 at 2:42pm

वाह आदरणीय शर्मा जी बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल कही है...

Comment by नाथ सोनांचली on August 7, 2020 at 4:53pm

आद0 बसन्त कुमार शर्मा जी सादर अभिवादन

समसामयिक विषयो के इर्द गिर्द घूमती बेहतरीन ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकार कीजिए

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on August 6, 2020 at 4:49pm

आ. भाई बसंत कुमार जी, सादर अभिवादन ।बेहतरीन गजल हुई है । हार्दिक बधाई स्वीकारें ।

Comment by बसंत कुमार शर्मा on August 6, 2020 at 12:28pm

आदरणीय TEJ VEER SINGH जी सादर नमस्कार 

आपकी हौसलाअफजाई के लिए दिल से शुक्रिया 

Comment by बसंत कुमार शर्मा on August 6, 2020 at 12:28pm

आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' जी आदाब , आपकी हौसला अफजाई और सुझाव हेतु दिल से शुक्रिया 

इसी तरह मार्गदर्शन करते रहें सादर 

Comment by TEJ VEER SINGH on August 6, 2020 at 11:12am

हार्दिक बधाई आदरणीय बसंत कुमार शर्मा जी। बेहतरीन गज़ल।

जो भी गए थे शहर सभी लौट आये हैं, 

मौसम हमारे गाँव का प्यारा है इन दिनों.

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on August 5, 2020 at 9:48pm

आदरणीय बसंत कुमार शर्मा जी आदाब, अच्छी ग़ज़ल हुई है दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ। उर्दू के अल्फा़ज़ वक़्त, नक़ाब, दरख़्त और ख़ूब में नुक़ते लगा लें। 

मिसरा "मिलना गले न मिलाना किसी से हाथ,  बह्र में नहीं है देखियेगा, शायद कुछ छूट गया लगता है, मिसरा यूँ भी कर सकते हैं :" "मिलना गले न हाथ मिलाना किसी से तुम" 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"तकनीकी कारणों से साइट खुलने में व्यवधान को देखते हुए आयोजन अवधि आज दिनांक 15.04.24 को रात्रि 12 बजे…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, बहुत बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय समर कबीर जी हार्दिक धन्यवाद आपका। बहुत बहुत आभार।"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जय- पराजय ः गीतिका छंद जय पराजय कुछ नहीं बस, आँकड़ो का मेल है । आड़ ..लेकर ..दूसरों.. की़, जीतने…"
yesterday
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जनाब मिथिलेश वामनकर जी आदाब, उम्द: रचना हुई है, बधाई स्वीकार करें ।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना

याद कर इतना न दिल कमजोर करनाआऊंगा तब खूब जी भर बोर करना।मुख्तसर सी बात है लेकिन जरूरीकह दूं मैं, बस…See More
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"मन की तख्ती पर सदा, खींचो सत्य सुरेख। जय की होगी शृंखला  एक पराजय देख। - आयेंगे कुछ मौन…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"स्वागतम"
Saturday
PHOOL SINGH added a discussion to the group धार्मिक साहित्य
Thumbnail

महर्षि वाल्मीकि

महर्षि वाल्मीकिमहर्षि वाल्मीकि का जन्ममहर्षि वाल्मीकि के जन्म के बारे में बहुत भ्रांतियाँ मिलती है…See More
Wednesday
Aazi Tamaam posted a blog post

ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी

२१२२ २१२२ग़मज़दा आँखों का पानीबोलता है बे-ज़बानीमार ही डालेगी हमकोआज उनकी सरगिरानीआपकी हर बात…See More
Wednesday
Chetan Prakash commented on Samar kabeer's blog post "ओबीओ की 14वीं सालगिरह का तुहफ़ा"
"आदाब,  समर कबीर साहब ! ओ.बी.ओ की सालगिरह पर , आपकी ग़ज़ल-प्रस्तुति, आदरणीय ,  मंच के…"
Apr 10
Ashok Kumar Raktale commented on Ashok Kumar Raktale's blog post कैसे खैर मनाएँ
"आदरणीय सुशील सरना साहब सादर, प्रस्तूत रचना पर उत्साहवर्धन के लिये आपका बहुत-बहुत आभार। सादर "
Apr 9

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service