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AMAN SINHA
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  • अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी
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  • लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
 

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AMAN SINHA posted a blog post

सुख या संतोष

दोनों में से क्या तुम्हें चाहिए सुख या के संतोष क्षणभंगुर सा हर्ष चाहिए, या जीवन भर का रोष खुशी का जीवन लम्हो सा है, अब आए अब जाए छोटी सी उदासी मन की पहाड़ हर्ष का ढाए खुशी स्वभाव से चंचल पानी, कल कल बहता जाए कभी यहाँ है कभी वहाँ है स्थिर ना होने पाए खूशी है फूटे गागर जैसा कभी पूरा ना पड़ने पाए जिस गति से पहुंचे हम तक, दो गुनी चाल से जाए जितना पास जगाए हममे अपने आने की राह जाते समय अफसोस सहारे अलविदा हमें कह जाए पर संतोष है पूजी के जैसी हर दिन बढ़ता जाए चाहे समय हो ऊंचा नीचा हर समय काम ये आए संतोष…See More
Nov 9
Dr. Vijai Shanker commented on AMAN SINHA's blog post किसे अपना कहेंं हम यहाँ
"आदरणीय अमन सिन्हा जी , बहुत ही सार गर्भित , व्यंगात्मक और ज्ञानवर्धक प्रस्तुति के लिए ह्रदय से बधाई, सादर ,"
Nov 8
Sushil Sarna commented on AMAN SINHA's blog post किसे अपना कहेंं हम यहाँ
"वाह बहुत सुंदर प्रस्तुति सर"
Nov 5
AMAN SINHA posted a blog post

किसे अपना कहेंं हम यहाँ

किसे अपना कहें हम यहाँ खंजर उसी ने मारी जिसको गले लगाया किससे कहें हाल-ए-दिल यहाँ हर राज उसी ने खोला जिसे हमराज़ बनाया किसे जख्म दिखाये दिल का हार घाव उसी ने कुरेदा जिसको भी मरहम लगाया किसे साथी समझे अपना यहाँ मेरी जमीन उसी ने खींची जिसको कंधे पर बैठाया किसी चुने हमसफर अपना गड्ढा उसी ने खोदा जिसको रास्ता दिखलाया किसे बनाए मीत यहाँ मौके पर पीठ दिखाया जिसपर सबकुछ लुटायाकिससे करें उम्मीद यहाँ निवाला उसी ने छिना जिसको भूखा ना सुलाया कौन रहेगा साथ यहाँहर डोर उसी ने तोरी जिसको माला पहनाया किससे मांगे…See More
Oct 27
AMAN SINHA posted a blog post

सुनो, एक बात कहानी है

सुनो,एक बात कहानी हैगर गलत न समझो तोतो कह कर हल्का हो लूँहाँ अगर तुम्हें भली ना लगेतो कुछ ना कहना और चली जाना तुमपर एक इल्तजा है सुन लो “ना” ना कहनादिल कहीं भारी ना हो जाएबड़ी हिम्मत सेहिम्मत मैंने जुटाई हैतुमसे बात कर पानी की जुगत मैंने लगाई हैपर कहीं इंकार तेरा हो जाएतो फिर कहीं बिन कहे ना रह जाऊँपता हैं मुझको की मैं तेरा प्यार नहींतेरी नज़रों में तो मैं हूँ तेरा प्यार नहींलेकिन क्या करूँ मैं अपने दुश्मन दिल काबिना तेरे कहीं इसको मिलता करार नहींमेरा दिल हीं मेरा दुश्मन ब बैठा हैसमझाया लाख मगर…See More
Oct 8
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Sep 10
Dr. Vijai Shanker commented on AMAN SINHA's blog post फोन आया
"बदलते वक़्त में बहुत कुछ बदल जाता है. प्रस्तुति अच्छी है, बधाई आदरणीय अमन सिन्हा जी।"
Aug 29
AMAN SINHA posted a blog post

फोन आया

फोन आया, कई सालों के बाद फिर उसका फोन आया पहले जब घंटी बजती थी, दिल की धड़कन भी बढ़ती थी लेकिन आज फोन बजा तो धड़कन ने इशारा नहीं किया अंजान नंबर को भी पहले हम पहचान लेते थे फोन उसिका है ये जान लेते थे लेकिन आज नाम दिखा तो भी पहले सा एहसास ना हुआ नंबर वही पुराना था कोई गुज़रा हुआ जमाना थामेरे जैसा उस लड़की का ना कोई दीवाना था लेकिन आज फोन बजा तो दीवानापन नहीं आया पहले एक फोन की खातिर रातों जागा करते थे पड़ोसी चाची के घर बर्तन माँजा करते थे मगर आज घंटी बजी तो वो चाची भी रही नहीं"मौलिक व अप्रकाशित" अमन…See More
Aug 20
AMAN SINHA posted a blog post

एक जनम मुझे और मिले

एक जनम मुझे और मिले मैं देश की सेवा कर पाऊं दुध का ऋण उतारा अब तक, मिट्टी का ऋण भी चुका पाऊं  मुझको तुम बांधे ना रखना अपनी ममता के बंधन में मैं उसका भी हिस्सा हूँ तुमने है जन्म लिया जिसमे   शादी बच्चे घर संसार, ये सब मेरे पग को बांधे है लेकिन मुझसे मिट्टी मेरी बस एक बलिदान ही मांगे है  सब ही आंचल मे छुपे तो देश को कौन सम्हालेगा सीमा पर शत्रु सेना से फिर कौन कहो लोहा लेगा  तुमने दुध पिलाया मुझको तुमने हीं चलना सिखलाया है देश प्रेम है सबसे आगे ये तुमने ही पाठ पढाय है  जैसी मुझको प्रिय रही तुम…See More
Aug 15
Dr. Vijai Shanker commented on AMAN SINHA's blog post एक चेहरा जो याद नहीं
"कुछ मनमानी के चक्कर में, जीवन को जीना भूल गया l कुछ दौड भाग की चक्कर में, मैं खुद से मिलना भूल गयाll ❤ आदरणीय अमन सिन्हा जी , बहुत ही गंभीर प्रस्तुति , अच्छी लगी , हार्दिक बधाई।"
Aug 14
AMAN SINHA posted a blog post

नलके का पानी

ठंडा है मीठा है थोड़ा सा गाढ़ा है पर मेरे घर तक आता है नलके का पानी जब भी दिल चाहे प्यास बुझाता है ठंडक दे जाता है नलके का पानी जब से घर आया है सबको लुभाया है हिम्मत बढ़ाया है नलके का पानीपूरे मोहल्ले में बस अपना हीं घर है जिसमे हमारा एक खुद का जो नल है नज़रों में सबके इज्जत बढ़ाता है सम्मान दिलाता है नलके का पानीकतार में लगाना अब किस्सा नहीं है हमारी दिनचर्या का अब हिस्सा नहीं है हमारा बहुत हीं समय ये बचाता है शान सिखाता है नलके का पानी"मौलिक व अप्रकाशित" अमन सिन्हा See More
Aug 13
AMAN SINHA commented on AMAN SINHA's blog post ढूँढता हूँ कब से
"आदरणीय रवि शुक्ला साहब, मैं किसी भी विधा से परिचित नहीं | किसी भी "विधा और "अरकान" का ज्ञान मुझे नहीं| अतः इस अज्ञानता के लिए क्षमाप्रार्थी हूँ|"
Aug 8
Ravi Shukla commented on AMAN SINHA's blog post ढूँढता हूँ कब से
"आदरणीय अमन मंच पर आज जितनी रचनाएं अभी तक पढ़ कर टिप्पणी कर पाया हूँ उनमें से किसी में भी रचनाासे पूर्व उसका अरकान / बहर लिखी नहीं दिखाई  दी मुझे जिससे कुछ अनुमान नहीं हो पाया आपकी की रचना को किस विधा में रखा जाए । प्रयास के  लिये बधाई "
Aug 8
AMAN SINHA posted a blog post

जॉन तुम जीवन हो

तुमको पढ़ा तुमको जाना तो ये समझ में आया हैकितनी बेकरारी को समेट कर तूने कोई एक शेर बनाया है रईसी ऐसी की बस इशारों में मुआ हर काम हो जाएफकीरी ऐसी की जो सब पाकर भी बेइंतजाम हो जाए हमने सुने है किस्से तेरी बेरुखी की ज़िंदगी सेशोहरत पाकर भी कोई कैसे तुझसा बेनाम हो जाए लिखा जो तूने कहा जो तूने कोई ना जान सकातू सभी का है अभी पर तब तुझे कोई ना पहचान सका आज नज़्में तेरी दासतां बताती हैकैसे गुजरी तेरी ज़िंदगी बताती है लोग कहते है तुझे कद्र खुद की थी हीं नहींकाश एक दिन मेरा तुझसा गुज़र जाए कभी था सभी कुछ पास…See More
Aug 6
AMAN SINHA posted a blog post

तेरी मर्ज़ी है

कभी दिलबर बताते हो, कभी रहबर बताते होये मर्ज़ी है बस तेरी, जो मर्ज़ी बताते होकभी सुनते हमारी बात, कबसे जो दबी दिल मेंहमें अपना बताकर तुम, बड़ा दिल को जलाते हो जीवन है सफर लंबा, मगर जो तुम हो तो कट जाएराह है जो सदियों की, वो पल भर में सिमट जाएबिना तेरे ना चल पाएं, कदम दो चार भी हम तोथाम कर हम तेरा दामन, चलो उस पार हो जाए तेरी आँखों के ये मोती, नहीं बेकार जाएंगेरहेंगे दूर हम जितना, उतने हीं पास आएंगेजतन में छोड़े रखना तुम, बुँदे दो चार खुशियों केमिलेंगे जब भी हम तुमसे, ये अश्क़ छलक हीं जाएतेरी…See More
Jul 30
AMAN SINHA posted a blog post

ढूँढता हूँ कब से

ढूँढता हूँ कब से मुझमे मुझसा कुछ तो होसोच हो, आवाज़ हो, अंदाज़ हो, ना कुछ सही सबर तो हो क्यूँ करूँ परवाह खुद की संग क्या ले जाना हैबिन बुलाये आए थे हम बिन बताए जाना हैक्यूँ बनाऊ मैं बसेरा डालना कहाँ है डेराजिस तरफ मैं चल पड़ा हूँ उस गली है बस अंधेरा क्या करूँ तालिम का मैं बोझ सा है पड गयाहै सलिका खूब इसमे, पर, सर पर मेरे चढ़ गयाइसकी लिबास में मैं  दब के जैसे रह गयाआरजू उड़ने की थी पर रेंगता ही रह गया कोठियाँ ये गाडियाँ सब मेरे है किस काम कीउम्र एक बीता दी हमने भूख में सिर्फ नाम कीपर मिला न वो सिला…See More
Jul 23

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सुख या संतोष

दोनों में से क्या तुम्हें चाहिए सुख या के संतोष 

क्षणभंगुर सा हर्ष चाहिए, या जीवन भर का रोष 

खुशी का जीवन लम्हो सा है, अब आए अब जाए 

छोटी सी उदासी मन की पहाड़ हर्ष का ढाए 

खुशी स्वभाव से चंचल पानी, कल कल बहता जाए 

कभी…

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Posted on November 9, 2023 at 1:36pm

किसे अपना कहेंं हम यहाँ

किसे अपना कहें हम यहाँ 

खंजर उसी ने मारी जिसको गले लगाया 

किससे कहें हाल-ए-दिल यहाँ 

हर राज उसी ने खोला जिसे हमराज़ बनाया 

किसे जख्म दिखाये दिल का 

हार घाव उसी ने कुरेदा जिसको भी मरहम लगाया …

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Posted on October 27, 2023 at 10:21pm — 2 Comments

सुनो, एक बात कहानी है

सुनो,

एक बात कहानी है

गर गलत न समझो तो

तो कह कर हल्का हो लूँ

हाँ अगर तुम्हें भली ना लगे

तो कुछ ना कहना और चली जाना तुम

पर एक इल्तजा है सुन लो “ना” ना कहना…

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Posted on October 8, 2023 at 7:31am

ना जइयो परदेस सजनवा

ना जइयो परदेस सजनवा, बिन तेरे हिया ना लगे रे 

तोहरी राह तकते तकते हमरी, प्राण निकल ना जावे रे

जे तू हमरी सुध ना लेवे, ना हमारी पाती लौटावे रे 

तोहरी क़सम हम तोहरी खातिर भूख प्यास भी त्यागे रे

ना जइयो परदेस सजनवा, बिन तेरे हिया ना लगे…

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Posted on September 9, 2023 at 11:57pm

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