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Ravi Shukla
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Ravi Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"आदरणीया रचना जी आपका जो मतलअ है वह ख्याल मुझ तक तो संप्रेषित हो रहा है यह बात मैं भी स्वीकार करता हूं कि अगर इस बात को शेर में कहा जाता तो शायद और अधिक स्पष्ट हो सकता था मतले में थोड़ी सी मजबूरी हो सकती है लेकिन मुझे आपका ख्याल मतले मे भी समझ आ रहा…"
Sep 28
Ravi Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"आदरणीया रचना जी आपका जो मतलअ है वह ख्याल मुझ तक तो संप्रेषित हो रहा है यह बात मैं भी स्वीकार करता हूं कि अगर इस बात को शेर में कहा जाता तो शायद और अधिक स्पष्ट हो सकता था मतले में थोड़ी सी मजबूरी हो सकती है लेकिन मुझे आपका ख्याल मतले मे भी समझ आ रहा…"
Sep 28
Ravi Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"वाह वाह  आदरणीय दिनेश जी बहु खुब ग़जल कही आपने शेर दर शेर मुबारक बाद  कुबूल करें "
Sep 28
Ravi Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मुशायरे में पेश इस ग़ज़ल के लिए आपको हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ शदियों , सुबास  की टंकण त्रुटियां हो गई है देख लीजियेगा सादर "
Sep 28
Ravi Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"आदरणीय दयाराम  जी तरही  मिसरे पर ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है  मुशायरे में सहभागिता के लिये हार्दिक बधाई स्वीकार करें"
Sep 28
Ravi Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"जाऊं न भूल वाला मिसरा जाऊं लफ्ज से शुरुअ होने से मिसरे के प्रभाव को कम कर  रहा है ऐसा हमें लग रहा है  मै अपनी हैसियत को जहां भूलने लगी  त्वरित सुझाव हे देखियेगा "
Sep 28
Ravi Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"मौसम हुआ जो सर्द पर कुछ देर मै भी रुका था कोई सुझाव के लिये  मगर दफ्तर की मसरूफियत में बात निकल गई आपकासुझाव अच्छा हे   "
Sep 28
Ravi Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"मतलअ बेहतर हुआ  मफहूम पहले से जियादा समण  आ रहा है मेरे कहे को मान देने के लिये आभार आदरणीया "
Sep 28
Ravi Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"आदरणीया रचना जी तरही मिसरे पर बहुत अच्छे अशआर कहे है आपने 5 वे शेर का अंदाज़ ख़ास पसंद आया । मुशाएरे के बाद गिरह का शेर काम का नहीं रहता तो आसान तरीका आपने भी चुना गिरह का , ताे गिरह कामयाब हुई । बहुत बहुत बधाई"
Sep 27
Ravi Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"आदरणीया ऋचा जी उम्दा हुए है अशआर  तरही मिसरे पर कही गई ग़ज़ल पर मुबारक बाद कुबूल करें मतले में वो कौन है इसका जवाब नहीं मिला।  तीसरे शेर के सानी में रवानी बढ़ाने की गुंजाइश लग रही है । शेष शुभ शुभ ।"
Sep 27
Ravi Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"आदरणीय अजय गुप्ता जी तरही मिसरे पर अच्छी ग़ज़ल कही है आपने शुरु के कुछ शेर जियादा अच्छे लगे ।सादर"
Sep 27
Ravi Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"आदरणीय जैफ साहब अच्दी ग़ज़ल हुई है बधाई"
Sep 27
Ravi Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"आदरणीय दंडपाणि जी अच्छे शेर कहे आपने तरही मिसरे पर मुबारक बाद पेश है"
Sep 27
Ravi Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"आदाणीय मुनीश जी तरही मिसरे पर ग़ज़ल की उम्दा कोशिश हुई है बधाई ।"
Sep 27
Ravi Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"आदाणीय चेतन प्रकाश जी तरही मिसरे पर उम्दाकोशिश हुई है बधाई ।"
Sep 27
Ravi Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"आदरणीय अमीर साहब  उम्दा ग़ज़ल कही आपने दूसरा शेर रवायती अंदाज में बहुत अच्छा लगा छठे शेर में कौन बहका गई तक मेरी पहुंच नहीं हुई ।  और आठवां शेर का उला बाकी मिसरों की तरह शानदार नहीं लगा बहर हाल उम्दा अशआार के लिये दिली मुबारक बाद कुबूल…"
Sep 27

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Ravi Shukla's Blog

तरही ग़ज़ल फ़िराक़ साहब के मिसरे पर

थी यही फूल की किस्मत कि बिखर जाना था,

ये कहाँ तय था कि जुल्फों में ठहर जाना था।

मौज ने चाहा जिधर मोड़ दिया कश्ती को,

"मुझको ये भी न था मालूम किधर जाना था"।

जो थे साहिल पे तमाशाई यही कहते थे,

डूबने वाले को अब तक तो उभर जाना था।

बज़्मे अग्यार में है जलवा नुमाई तेरी ,

इस तग़ाफ़ुल पे तेरे मुझको तो मर जाना था।

गर्द हालात की चहरे पे है,लेकिन तुझको,

आईना बन के मैं आया तो सँवर जाना था।

सुब्ह का भूला…

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Posted on March 1, 2019 at 4:30pm — 8 Comments

गीत दफ्तर पर

सिस्टम से अब और निभाना मुश्किल है,

आँसू पीकर हँसते जाना मुश्किल है।।

लंबे चौड़े दफ्तर हैं पर छोटी सोच लिए।

भाँग कुएँ में मिली हुई है पानी कौन पिए।

कागज के रेगिस्तानों में भटक रहा,

मृग तृष्णा से प्यास बुझाना मुश्किल है।

भावुकता में मैदां छोड़ूँ क्या होगा।

कोई और यहाँ आकर रुसवा होगा।।

अजगर बन कर पड़ा रहूँ कैसे संभव,

जोंकों को भी खून पिलाना मुश्किल है।

लानत और मलामत का है भार बहुत।

न्याय नहीं निर्णय का शिष्टाचार…

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Posted on November 16, 2018 at 9:48pm — 5 Comments

तरही ग़ज़ल : साफ छुपते भी नहीं सामने आते भी नहीं

2122  1122  1122  22/112

कोई पूछे तो मेरा हाल बताते भी नहीं,

आशनाई का सबब सबसे छुपाते भी नहीं।

शेर कहते हैं बहुत हुस्न की तारीफ़ में हम

पर कभी अपनी ज़बाँ पर उन्हें लाते भी नहीं।

जब भी देते हैं किसी फूल को हँसने की दुआ,

शाख़ से ओस की बूंदों को गिराते भी नहीं।

ये तुम्हारी है अदा या है कोई मजबूरी,

प्यार भी करते हो और उसको जताते भी नहीं।

सिर्फ़ अल्फ़ाज़ से पहचान…

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Posted on August 29, 2018 at 4:00pm — 17 Comments

गीत : एक भारत श्रेष्ठ भारत

एक भारत श्रेष्ठ भारत आइये मिलकर बनाएं

देश का  सम्मान गौरव लक्ष्य हासिल कर बढ़ाएं

 

शांति के हम पथ प्रदर्शक ध्वज अहिंसा ले चलेंगे

विश्‍व गुरु बन कर पुन: संस्थापना सच की करेंगे

दें नहीं उपदेश अपने आचरण से  कर दिखाएं

 

धर्म पूजा, जाति भाषा, वेश भूषा, बोलियाँ सब

एकता के सूत्र में बंध कर चली है टोलियाँ सब

संगठन में शक्ति है, ऐसी लिखें फिर से कथाएं

 

रेल का हमको दिखाई दे रहा है पथ समांतर

मूल में इसके छिपा है साथ…

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Posted on July 25, 2017 at 11:00am — 8 Comments

Comment Wall (12 comments)

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At 11:59am on October 16, 2020, बसंत कुमार शर्मा said…

सादर प्रणाम स्वीकारें आदरणीय, सादर स्नेह बनाये रखें, अच्छा लगा आपकी मित्रता रिक्वेस्ट देख करमैं भी रेल परिवार से ही हूँ 

वर्तमान में उप मुख्य सतर्कता अधिकारी के पद कार्य कर रहा हूँ. 

जबलपुर पश्चिम मध्य रेल 

At 12:59am on October 5, 2018, mirza javed baig said…

मोहतरम जनाब रविरवि शुक्ला जी आदाब 

मुझे अपने फ्रेंड्स लिस्ट में जोड़ने के लिए शुक्रिया 

आपसे बहुत कुछ सीखने का अवसर मिलेगा। 

At 9:25am on September 9, 2018, Ajay Tiwari said…

आदरणीय रवि जी,

आपकी मैत्री हासिल करना किसका सौभाग्य नहीं होगा. और मुझे ख़ुशी है कि ये सौभाग्य अब मुझे भी प्राप्त है. हार्दिक आभार.

At 3:39pm on April 5, 2017, Gurpreet Singh jammu said…

आदरणीय रवि शुक्ला जी आपसे बहुत अच्छी चैटिंग हो रही थी... लेकिन ऐन वक़्त पर मेरे नेट ने धोखा दे दिया ( ये अक्सर मेरे साथ ऐसा ही करता है ) और आप से  बात चीत बीच में ही कट गई ,,, खैर फिर मौका मिला तो बात आगे बढ़ांएंगे,,, संपर्क करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद 

At 11:45pm on July 16, 2016,
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
said…

आदरणीय रवि शुक्ल जी.
सादर अभिवादन !
मुझे यह बताते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी  ग़ज़ल - व्यापार होना चाहिए को "महीने की सर्वश्रेष्ठ रचना" सम्मान के रूप मे सम्मानित किया गया है | इस शानदार उपलब्धि पर बधाई स्वीकार करे |

आपको प्रसस्ति पत्र यथा शीघ्र उपलब्ध करा दिया जायेगा, इस निमित कृपया आप अपना पत्राचार का पता व फ़ोन नंबर admin@openbooksonline.com पर उपलब्ध कराना चाहेंगे | मेल उसी आई डी से भेजे जिससे ओ बी ओ सदस्यता प्राप्त की गई हो |
शुभकामनाओं सहित
आपका
गणेश जी "बागी
संस्थापक सह मुख्य प्रबंधक 
ओपन बुक्स ऑनलाइन

At 8:23pm on December 17, 2015, Nirdosh Dixit said…
प्रणाम स्वीकारें आदरणीय शुक्ल जी, सादर आभार आपका।
At 11:19pm on November 7, 2015, जयनित कुमार मेहता said…
आपका हार्दिक आभार आदरणीय रवि जी..
At 7:31pm on November 4, 2015,
सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh
said…

क्षमा कीजियेगा आ० रवि शुक्ल जी आज ही आपका कमेंट देखा...

करवाचौथ पर लिखा गया मेरा गीत मात्रिक गीत नहीं है... इसे फायलुन X 4 की आवृति पर  लिखा गया है..

मात्रिक गीतों में मात्रा को गिराकर पढने का कोई विधान नहीं होता .. 

मात्रिक गीत (गीतिका छंद पर आधारित) के  कुछ  उदाहरण देखिये 

http://www.openbooksonline.com/profiles/blogs/5170231:BlogPost:557225

http://www.openbooksonline.com/profiles/blogs/5170231:BlogPost:518431

मंच पर गीत नवगीत पर एक आलेख देखिये 

http://www.openbooksonline.com/group/chhand/forum/topics/5170231:Topic:358338?commentId=5170231%3AComment%3A359492&xg_source=activity&groupId=5170231%3AGroup%3A156482

At 9:36pm on September 16, 2015, shree suneel said…
आदरणीय रवि शुक्ला जी, हार्दिक बधाई आपको 'महीने का सक्रिय सदस्य' चुने जाने पर, मेरी ओर से. सादर.
At 2:01pm on September 16, 2015,
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
said…

आदरणीय

रवि शुक्ला जी,
सादर अभिवादन,
यह बताते हुए मुझे बहुत ख़ुशी हो रही है कि ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार में विगत माह आपकी सक्रियता को देखते हुए OBO प्रबंधन ने आपको "महीने का सक्रिय सदस्य" (Active Member of the Month) घोषित किया है, बधाई स्वीकार करें | प्रशस्ति पत्र उपलब्ध कराने हेतु कृपया अपना पता एडमिन ओ बी ओ को उनके इ मेल admin@openbooksonline.com पर उपलब्ध करा दें | ध्यान रहे मेल उसी आई डी से भेजे जिससे ओ बी ओ सदस्यता प्राप्त की गई है |
हम सभी उम्मीद करते है कि आपका सहयोग इसी तरह से पूरे OBO परिवार को सदैव मिलता रहेगा |
सादर ।
आपका
गणेश जी "बागी"
संस्थापक सह मुख्य प्रबंधक
ओपन बुक्स ऑनलाइन

 
 
 

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