Tags:
Replies are closed for this discussion.
वाह , शब्द नहीं हैं आपकी इस रचना पर कुछ कहने के लिए प्रतीक ,शिल्प भाषा सब कुछ अद्भुत है ,बधाई स्वीकारें आदरणीय विजय जोशी जी
कौन कहता है, पत्थर नहीं बोलते ! सुननेवाला चाहिए ! जिस संवेदना के साथ इस प्रस्तुति में निहित भावनाओं को शाब्दिक होना था, उसका सम्यक निर्वहन होना इस प्रस्तुति को अलंघ्य ऊँचाई दे गया है. आपकी इस लघुकथा से मैं व्यक्तिगत तौर पर तथा यह मंच आम तौर पर लाभान्वित हुआ है. हृदयतल से बधाई एवं शुभकामनाएँ, आदरणीय विजय जोशीजी.
सादर
लाल किले की आत्मकथा में इसकी पीड़ा को व्यक्त करती सुंदर लघु कथा के लिए हार्दिक बधाई श्री विजय जोशी जी
क्रोध से लाल पत्थर जिस दिन बरस जायेंगे, सिर्फ शहीदों को ही नहीं बल्कि हर उस व्यक्ति को अपना अधिकार मिलेगा जो दायित्व का निर्वहन ईमानदारी से करता है| एक दुःख लेकिन यह और भी है कि लाल किले के पत्थरों को ऐसे जोड़ा हुआ है जिससे वो हिल नहीं पाते, आगे नहीं बढ़ पाते, जिसकी ज़रूरत है| लाल किले को द्रवित होते देख मन भी द्रवित हो उठा| हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय विजय जी जोशी, इस लघुकथा के सृजन हेतु|
लाल किले को लाल होने का मर्म सहज ही समझा जाती है यह लघुकथा, अच्छी लगी यह प्रस्तुति, इस अभिव्यक्ति पर बहुत बहुत बधाई आदरणीय विजय जोशी जी.
एक सटीक प्रतीक को लेकर बहुत बढ़िया रचना विषय पर, बहुत बहुत बधाई आपको
आदरणीय उस्मानी जी, प्रदत्त विषय अनुरूप गिरगिट के माध्यम से अपने बात अभिव्यक्त करते हुए बहुत अच्छी लघुकथा लिखी है आपने. इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें. सादर
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |