For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

पहली दफ़ा मुझे न खुशी से खुशी हुई

221 2121 1221 212

पहली दफ़ा मुझे न खुशी से खुशी हुई
दामे हयात में मेरी जाँ है फँसी हुई

घुटने लगा है दम मेरा रिश्तों के बोझ से
ये दुनिया जैसे बर्फ के अंदर धँसी हुई

तेरी शिकायतों का करूँ क्या कोई गिला
आँखों में तेरी दिख गई हसरत दबी हुई

था इक मलाल दिल में तगाफ़ुल का हमनशीं
वो बात तेरे वस्ल से आई गई हुई

औराक़ पर उतर गये पल इंतज़ार के
मिसरों में तेरी शक्ल सी मानो बनी हुई

-मौलिक व अप्रकाशित

Views: 522

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on February 12, 2015 at 9:58pm
हौसलाअफ़्ज़ाई के लिए आप सभी का तहेदिल से शुक्रिया अदा करता हूँ
Comment by दिनेश कुमार on February 12, 2015 at 9:07pm
औराक़ पर उतर गये पल इंतज़ार के
मिसरों में तेरी शक्ल सी जैसे बनी हुई

वाह वाह ,शिज्जु सर जी, बहुत ही उम्दा ग़ज़ल हुई है |

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 12, 2015 at 11:40am

घुटने लगा है दम मेरा रिश्तों के बोझ से----बहुत खूब 
ये दुनिया जैसे बर्फ के अंदर धँसी हुई---दुनिया ये जैसे करेंगे तो बेहतर लगेगा 

तेरी शिकायतों का करूँ क्या कोई गिला
आँखों में तेरी दिख गई हसरत दबी हुई---क्या कहने 

इस सुन्दर ग़ज़ल के लिए दिल से बधाई 

Comment by khursheed khairadi on February 12, 2015 at 12:43am

औराक़ पर उतर गये पल इंतज़ार के
मिसरों में तेरी शक्ल सी जैसे बनी हुई

वा....ह ,शिज्जु सर क्या ही उम्दा ग़ज़ल हुई है |सभी अशहार नायाब हैं |ढेरों दाद कबूल फरमावें |सादर अभिनन्दन |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on February 11, 2015 at 9:57pm

आदरणीय शिज्जु भाई जी बेहतरीन ग़ज़ल हुई है हार्दिक बधाई स्वीकार करे 

Comment by Hari Prakash Dubey on February 11, 2015 at 8:44pm

आदरणीय शिज्जु "शकूर" साहब .... घुटने लगा है दम मेरा रिश्तों के बोझ से

ये दुनिया जैसे बर्फ के अंदर धँसी हुई.....कमाल की पंक्तियाँ , बधाई आपको , सादर !

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on February 11, 2015 at 6:26pm

बहुत खूबसूरत गजल कही है आपने आदरणीय शिज्जू जी. वाह! हर एक शेर लाजबाब. दिली बधाई कुबुलें

Comment by Dr. Vijai Shanker on February 11, 2015 at 11:48am
घुटने लगा है दम मेरा रिश्तों के बोझ से
ये दुनिया जैसे बर्फ के अंदर धँसी हुई ।
ग़ज़ल अच्छी बनी ,आदरणीय सहजू शकूर जी, बधाई , सादर।
Comment by Shyam Narain Verma on February 11, 2015 at 11:27am
बहुत सुन्दर गजल।  ढेरों दाद कुबूल करें। सादर

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on February 11, 2015 at 8:51am

पहली दफ़ा मुझे न खुशी से खुशी हुई
दामे हयात में मेरी जाँ है फँसी हुई         --  शानदार मतला , वाह ! गज़ल भी खूब कही है , 

औराक़ पर उतर गये पल इंतज़ार के
मिसरों में तेरी शक्ल सी जैसे बनी हुई  -- इस शे र के लिये भी बहुत बधाइयाँ ॥

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। उत्तम गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
50 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on AMAN SINHA's blog post काश कहीं ऐसा हो जाता
"आदरणीय अमन सिन्हा जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें। सादर। ना तू मेरे बीन रह पाता…"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on दिनेश कुमार's blog post ग़ज़ल -- दिनेश कुमार ( दस्तार ही जो सर पे सलामत नहीं रही )
"आदरणीय दिनेश कुमार जी बहुत बढ़िया ग़ज़ल हुई है शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। इस शेर पर…"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया .... गौरैया
"आदरणीय सुशील सरना जी बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। हार्दिक बधाई। गौरैया के झुंड का, सुंदर सा संसार…"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on AMAN SINHA's blog post यह धर्म युद्ध है
"आदरणीय अमन सिन्हा जी, इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .प्रेम
"वाह वाह वाह... क्या ही खूब शृंगार का रसास्वाद कराया है। बहुत बढ़िया दोहे हुए है। आखिरी दोहे ने तो…"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Ashok Kumar Raktale's blog post कैसे खैर मनाएँ
"आदरणीय अशोक रक्ताले जी, बहुत शानदार गीत हुआ है। तल्ला और कल्ला ने मुग्ध कर दिया। जो पेड़ों को काटे…"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Samar kabeer's blog post "ओबीओ की 14वीं सालगिरह का तुहफ़ा"
"आपकी ज़िंदगी ओबीओ  मेरी भी आशिकी ओबीओ  इस समर में फले कुछ समर ऐ समर ये खुशी…"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बढ़िया ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल फरमाएं। सादर।"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम. . . . रोटी
"आदरणीय सुशील सरना जी बहुत बढ़िया प्रस्तुति। हार्दिक बधाई। आख़री दोहे में  गोल गोल ये रोटियां,…"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आदरणीय सुशील सरना जी, मयखाने से बढ़िया दोहे लेकर आए हैं। हार्दिक बधाई स्वीकार करें। सादर।"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि
"आदरणीय सुशील सरना जी बहुत बढ़िया दोहा छंद की प्रस्तुति हुई है। हार्दिक बधाई स्वीकार करें। इस दोहे…"
5 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service