For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल -- ज़िन्दगी की ग़ज़ल हो रही है ( दिनेश कुमार )

212___212___212___2

बे-ख़ुदी के हसीं मरहले में
चैन दिल को मिला मयकदे में

हौसला जब मिटा हादसे में
मुश्किलें बढ़ गईं रास्ते में

हमसफ़र मेरा कोई नहीं था
यूँ बहुत लोग थे क़ाफ़िले में

इश्क़ में डूब जाओ तुम इतना
क़ुर्ब महसूस हो फ़ासले में

ग़ौर से मेरे चेहरे को पढ़िए
है उदासी निहाँ क़हक़हे में

बोल कर सच मैं तकलीफ़ में हूँ
वो झूठा है देखो मज़े में

ज़िन्दगी की ग़ज़ल हो रही है
बँध रहे दर्दो-ग़म क़ाफ़िये में

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 655

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by surender insan on August 8, 2017 at 2:29pm
आदरणीय दिनेश जी आदाब। हर शे'र लाजवाब जी । शे'र दर शे'र दाद के साथ दिली मुबारकबाद क़ुबूल करें जी ।
Comment by Ravi Shukla on August 8, 2017 at 10:03am

आदरणीय दिनेश जी बढि़या गजल कही आपने । शे'र दर शे'र दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल करें ।

Comment by Gurpreet Singh jammu on August 7, 2017 at 11:29am

खूबसूरत अशआर से सजी इस शानदार ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई  आदरणीय दिनेश कुमार जी 

Comment by Mohammed Arif on August 7, 2017 at 8:36am
आदरणीय दिनेश जी आदाब, हर शे'र लाजवाब । शे'र दर शे'र दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल करें ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 6, 2017 at 5:20pm

आदरणीय दिनेश भाई , खूबसूरत गज़ल के लिये आपको हार्दिक बधाइयाँ ।

Comment by surender insan on August 6, 2017 at 8:37am
आदरणीय भाई दिनेश कुमार जी आदाब। सभी अशआर बहुत उम्दा हुए है शेर दर शेर दिली मुबारक़बाद क़बूल करे जी।
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on August 6, 2017 at 8:00am
बहुत ही शानदार ग़ज़ल हुई आदरणीय पंकज जी..सादर बधाई
Comment by Samar kabeer on August 5, 2017 at 3:30pm
जनाब दिनेश कुमार जी आदाब,अच्छी ग़ज़ल हुई है,दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।
कृपया मंच पर अपनी सक्रियता बनाएं ।
Comment by Sushil Sarna on August 5, 2017 at 3:03pm

ग़ौर से मेरे चेहरे को पढ़िए
है उदासी निहाँ क़हक़हे में

वाह क्या बात है आदरणीय बहुत सुंदर अशआर कहे हैं आपने ... दिल से मुबारकबाद कबूल फरमाएं सर।

Comment by Gajendra shrotriya on August 5, 2017 at 12:24pm
सभी अशआर अच्छे हुए हैं आदरणीय दिनेश कुमार जी। आपका रचनाकर्म सतत प्रवाहशील रहे। मेरी शुभकामनाएँ स्वीकार करें।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
yesterday
Shyam Narain Verma commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"नमस्ते जी, बहुत ही सुन्दर और ज्ञान वर्धक लघुकथा, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। बोलचाल में दोनों चलते हैं: खिलवाना, खिलाना/खेलाना।…"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आपका आभार उस्मानी जी। तू सब  के बदले  तुम सब  होना चाहिए।शेष ठीक है। पंच की उक्ति…"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"रचना भावपूर्ण है,पर पात्राधिक्य से कथ्य बोझिल हुआ लगता है।कसावट और बारीक बनावट वांछित है। भाषा…"
Friday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदरणीय शेख उस्मानी साहिब जी प्रयास पर  आपकी  अमूल्य प्रतिक्रिया ने उसे समृद्ध किया ।…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदाब। इस बहुत ही दिलचस्प और गंभीर भी रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब।  ऐसे…"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"जेठांश "क्या?" "नहीं समझा?" "नहीं तो।" "तो सुन।तू छोटा है,मैं…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक स्वागत आदरणीय सुशील सरना साहिब। बढ़िया विषय और कथानक बढ़िया कथ्य लिए। हार्दिक बधाई। अंतिम…"
Friday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"माँ ...... "पापा"। "हाँ बेटे, राहुल "। "पापा, कोर्ट का टाईम हो रहा है ।…"
Friday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service