For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल इस्लाह के लिए (गुरप्रीत सिंह)

2122 -1212 -22


आस दिल में दबी रही होगी
और फिर ख़्वाब बन गई होगी।

टूट जाए सभी का दिल या रब
दिलजले को बड़ी ख़ुशी होगी।

ज़ह्न हारा हुआ सा बैठा है
दिल से तक़रार हो गई होगी।

जिसकी खातिर लुटा दी जान उसने
चीज़ वो भी तो कीमती होगी।

जब मुड़ा तेरी ओर परवाना
शमअ बेइन्तहा जली होगी।

(मौलिक व् अप्रकाशित)

Views: 985

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Hari Prakash Dubey on July 16, 2017 at 5:09pm

  

आदरणीय  Gurpreet Singh जी , खूबसूरत ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई ! इस्लाह के लिए का मतलब क्या होता है ? बस एक जिज्ञासा ! सादर  

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on July 16, 2017 at 3:57pm

वाह बढ़िया ग़ज़ल हुई है आदरणीय गुरप्रीत जी | हार्दिक बधाई |

Comment by khursheed khairadi on July 13, 2017 at 7:31am
आदरणीय गुरप्रीत सर ,उम्दा ग़ज़ल हुई है।दिली मुबारक़बाद क़बूल फर्मावें। सादर।
Comment by Gurpreet Singh jammu on July 12, 2017 at 9:46pm
आदरणीय गोपाल नारायण जी ; सुरेन्द्र नाथ जी ,लक्ष्मण धामी जी और महेंद्र कुमार जी...इस नाचीज़ की हौसला अफजाई के लिए आप सब का तहे दिल से शुक्रिया
Comment by Gurpreet Singh jammu on July 12, 2017 at 9:43pm
आदरणीय समर सर जी..बहुत शुक्रिया ग़ज़ल पसंद करने के लिए...
जी हाँ आपने सही कहा .ये हम सब कि जिम्मेदारी है..सो मंच पर निरंतर सक्रिय रहने कि भरपूर कोशिश रहेगी
Comment by Gurpreet Singh jammu on July 12, 2017 at 9:40pm
आदरणीय बृजेश जी का भी बहुत बहुत शुक्रिया
Comment by Gurpreet Singh jammu on July 12, 2017 at 9:39pm
शुक्रिया आदरणीय रवी सर जी...भविष्य में बेहतर करने कि कोशिश रहेगी
Comment by Mahendra Kumar on July 12, 2017 at 8:38pm

टूट जाए सभी का दिल या रब 
दिलजले को बड़ी ख़ुशी होगी ...वाह! इस बढ़िया ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए आ. गुरप्रीत जी. सादर.

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 12, 2017 at 10:38am
आ. भाई गरप्रीत जी उम्दा गजल हुई है।हार्दिक बधाई।
Comment by नाथ सोनांचली on July 11, 2017 at 10:53pm
आद0 गुरप्रीत जी सादर अभिवादन, अच्छी गजल कहीं आपने,बधाई स्वीकारें

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
22 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Saturday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service