For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

August 2012 Blog Posts (230)

सड़क बुलाती है

सड़क बुलाती है,

आओ...मेरा अनुसरण करो,
छोड़ो न कभी मुझे,
भटक जाओगे रास्ता,
मुश्किल हो जाएगा
मंजिल…
Continue

Added by कुमार गौरव अजीतेन्दु on August 19, 2012 at 7:30pm — No Comments

मेरी चाहत

कब से थी दिल कि एक चाहत
ना जाने कब मिलेगी इसे राहत
हमेशा सोचा करते हैं कुछ बातें
सोचते सोचते गुजर जाती है रातें
पता नहीं किस हाल में होगी वह बेवफा
दुनियां से लड़ करता रहा उससे मैं वफ़ा
मुझे जिस पर नाज़ था कि सबसे ज्यादा
शतरंज कि बिसात पर बना दिया एक प्यादा
आज भी मैं यही सोचता हूँ कि आखिर क्या थी गलती
क्यों ज़माने में मोहब्बत के बदले मोहब्बत नहीं मिलती...?

नीलकमल वैष्णव"अनिश"
१९/०८/२०१२

Added by Neelkamal Vaishnaw on August 19, 2012 at 6:00pm — No Comments

अब आ भी जा

हर मोड़ हर किनारे.

जब दिल धडके, तुमको पुकारे.
सुनकर अरदास मेरी, तू आ भी जा,
तू कदम, अब तू ही सहारे..
आरजू अब बस मिलने की..
बाहों में तेरे पिघलने की.
चोट खाए दिल को, 
हाथो से सिलने की..
तरसे ये आंखे देखने को नज़ारे.
तू कदम, अब तू ही सहारे..
सुनकर अरदास मेरी, तू आ भी जा,
बिना चाँद अब क्या करे…
Continue

Added by Pradeep Kumar Kesarwani on August 19, 2012 at 1:41pm — No Comments

मौका कहां पाएगा

जब मेरे जीवन की बाती

फफक-फफक बुझने लगे

और मोह छनकर हृदय से

प्राण को दलने लगे



लोचन मेरे जब नीर लेकर

मन के कलुष धोने लगे

और पाप नभ सा मेरा वो

प्रलय-नाद करने लगे



रुग्‍ण सा बिस्‍तर मेरा वो

आह अधिक भरने लगे

और द्वार शंकित नयन से

अदृश्‍य दूत तकने लगे



हे अधर अपनी धरा को

क्षणभर सनातन साज देना

दूर तारों में छिपा…
Continue

Added by राजेश 'मृदु' on August 19, 2012 at 1:19am — 2 Comments

साँसों का क़र्ज़ लेकर तुझे प्यार कर रहा हूं ........

तेरा इश्क कितना मुश्किल ये तूँ भला क्या जाने

कबसे संभल संभल कर तुझे प्यार कर रहा हूँ !!

*********************************

तेरी राह कितनी मुश्किल ये मै ही जानता हूँ

पगडंडियों से चल कर तुझे प्यार कर रहा हूँ !!

*********************************

कबसे टहल रही हो इस फुल जैसे दिल पर

कांटो पे टहल कर मै तुझे प्यार कर रहा हूँ !!

******************************

कहती हो आओ मिल लो नज़रें उतार लूंगी

दिल में उतर कर मै तो तुझे प्यार कर रहा हूँ…

Continue

Added by शिवानन्द द्विवेदी सहर on August 18, 2012 at 11:00pm — No Comments

अब सब छूटा जाए

अब सब छूटा जाए
मोहे मिला था सब कुछ जग में,अब सब छूटा जाए
याद तिहारी भूल न पाएँ-2 याद बहुत आए
मोहे मिला  था सब  ..........
(1 )'दीपक'थे जले दीप से हर पल,सबनें ही तो जलाया
नीर बहे न आँखों से पर,अपनों नें तो रुलाया
इस दुनियाँ की रीत निराली-2,समझ नहीं पाए
याद बहुत आए.........
मोहे मिला  था सब ..........
(2) नादाँ थे हम नादाँ है और अब का…
Continue

Added by Deepak Sharma Kuluvi on August 18, 2012 at 2:46pm — No Comments

हवा की कोई आवाज नहीं होती।

हवा की कोई आवाज नहीं होती,

आवाज तो पेड-पौधों के पत्तों की होती है।

हवा तो चलती है

सब से मिलती है

सबसे बात भी करती है

फिर भी बोलती नहीं

सबको गुदगुदाती है,

हंसाती है,

और थपथपा कर दौड जाती है।

अकेली हो कर भी सबकी हो जाती है।

अगर तुम नाराज़ भी हो जाओ

तुम्हें झट से मना लेती है

और तुम तपाक से मान जाते हो।

लेकिन फिर भी हवा की कोई आवाज नहीं होती

आवाज आपकी होती है।

नाम आपका होता है।

काम हवा…

Continue

Added by सूबे सिंह सुजान on August 17, 2012 at 10:22pm — 2 Comments

जय हो देव जय हो

घर घर से आने का होता आह्वान

गली गली बड़े बड़े चित्रों से

सुसज्जित

नीचे लिखे पूजा कर्म विधान

स्थान सुनिश्चित

प्रभु के कामों में न हो व्यवधान

इन सब बातों का रखता है हर एक

पुजारी ध्यान

गलती में कोई खींचे न उनके कान

होती रहे कृपा मिलता रहे धन

धान

बड़े बड़े लाउड स्पीकर से

प्रारम्भ हुआ प्रभु का यशोगान

कुछ निर्धारित समय में बिलम्ब के

बाद

अवतरित हुए

नवनिर्मित अस्थायी मंदिर में

भगवान्

आराधन में नतमस्तक

खड़ी… Continue

Added by SANDEEP KUMAR PATEL on August 17, 2012 at 9:13pm — 2 Comments

रोला छंद -एक प्रयास

रोला छंद -एक प्रयास 
 याद शाम सवेरे ,राधिका को  है आये |
मनभावन कान्हा ,धुन मुरली की बजाये |
गोकुल के गोपाल ,सभी के मन को भाये |
चितचोर मनमोहन ,दिल सबका है चुराये|

Added by Rekha Joshi on August 17, 2012 at 9:06pm — No Comments


सदस्य टीम प्रबंधन
नेताजी (कुण्डलिया-४)

 
नेताजी के मन बसा, चटकीला  शृंगार
नेतानी जी सुरसती, सौम्य  रूप  अवतार…
Continue

Added by Dr.Prachi Singh on August 17, 2012 at 7:14pm — 6 Comments

कविता--जीवन नहीं बीतता।

सांस चली जाती है।

क्योंकि सांस चलती है।

आत्मा चहुँ ओर व्याप्त है।

आत्मा नहीं मरती।

जीवन भी नहीं मरता।

जीवन चलता रहता है।

जीवन नहीं मरता।

जीवन नहीं बीतता।

मैं मर गया,तो जीवन थोडे ही मर जाएगा।

जीवन आत्मा स्वरूप है।

दुबारा कहूँ तो

परमात्मा स्वरूप है।

जीवन नहीं बीतता।

-----------------सूबे सिंह सुजान..............

Added by सूबे सिंह सुजान on August 17, 2012 at 5:51pm — 3 Comments

जीवन नहीं बीतता।

Added by सूबे सिंह सुजान on August 17, 2012 at 5:33pm — No Comments

हिमालय

हिमालय की मौन आँखों में

शान्त माहौल के परिवेश में

कुछ प्रश्नों को देखा है मैंने ।



खड़ा तो है अडिग पर

उसके माथे की सलवटों पर

थकावट के अंशों को देखा है मैंने ।



प्रताड़ित होता है वो तो क्यों ?

नहीं समझते हो तुम

क्रोधित हो वो कैसे हिला दे

धरती को ये देखा है मैंने ।



जब बहती हुयी पवन कुछ

कहकर पैगाम सुनाती है तो

पैगाम -ए - दर्द को छलकते

धरती पर बहते देखा है मैंने ।



कभी ज्वाला सा जल जाता है …

Continue

Added by deepti sharma on August 17, 2012 at 2:00pm — 9 Comments

देश जवाब मांगता है !

जब भी कोई संविधान की सीमा लांघता है ,

गाँधी-नेहरु का देश जवाब मांगता है !

पूछता है क्यों सत्य का गला रुंध है ?

क्यों न्याय पर छा रही अन्याय की धुंध है ?

क्यों लुटती नारी आज यहाँ ,क्यों पौरुष खाक छानता है ?

जब भी कोई संविधान की सीमा लांघता है ,

गाँधी-नेहरु का देश जवाब मांगता है !

क्यों कन्या भ्रूण हत्याएं होती है ?

क्यों अबलायें रोती है ?

क्यों पग पग पर मौत की घाटी है ?

क्यों सत्य अहिंसा पर मिलती लाठी है ?

लोकतंत्र का प्रहरी क्यों दर दर…

Continue

Added by Naval Kishor Soni on August 17, 2012 at 1:30pm — 6 Comments

हे वनराज ! तुम निंदनीय हो !

हे वनराज ! तुम निंदनीय हो !

अक्षम हो प्रजारक्षा में,

असमर्थ हो हमारी प्राचीन

गौरवपूर्ण विरासत सँभालने में ;

आक्रांता लाँघ रहे हैं सीमायें,

नित्य कर रहे हैं अतिक्रमण

हमारी भावनाओं का,…

Continue

Added by कुमार गौरव अजीतेन्दु on August 17, 2012 at 1:16pm — 6 Comments

यह कैसी आज़ादी है ???

यह कैसी आज़ादी है , यह कैसी आज़ादी है ?

भ्रष्टाचार और मंहगाई ने सबकी नींद उड़ा दी है ?

कुछ लोग हुए आबाद ,भूखों मरती आबादी है !

यह कैसी आज़ादी है , यह कैसी आज़ादी है ?

संविधान के बाहर जाकर औकात दिखादी है !

संविधान के मूल्यों की बलि आज चढ़ा दी है…

Continue

Added by Naval Kishor Soni on August 17, 2012 at 1:00pm — 1 Comment

कुण्डलियाँ छंद...

चलो बचायें देश!
******************

बुनियादें  मज़बूत  हों , सुदृढ़  रहे  मकान.

श्रीमन कभी न दीजिये , अफवाहों पर ध्यान.
अफवाहों पर ध्यान , तोड़ने की है साजिश.
अन्दर-बाहर दुश्मन , खड़ा है लेकर माचिस!!
कहता है अविनाश , ताड़कर गलत इरादें.
चलो बचायें देश , थाम लें फिर बुनियादें..........
--------------------------------------------------
अविनाश बागडे...

Added by AVINASH S BAGDE on August 17, 2012 at 12:15pm — 6 Comments

सब कुछ छूटा जाए

सब कुछ छूटा जाए
 

मोहे मिला था सब कुछ लेकिन सब कुछ छूटा जाए

याद तिहारी भूल न पाएँ-2 याद बहुत आए
मोहे मिला  था सब  ..........
(1) 'दीपक'थे जले दीप से हर पल सबनें ही तो जलाया
नीर बहे न आँखों से पर,अपनों नें तो रुलाया
इस दुनियाँ की रीत निराली,समझ नहीं पाए
याद बहुत आए.........
मोहे मिला  था सब ..........
(2) नादाँ थे हम नादाँ है और अब का समझेंगे
किससे करेंगे…
Continue

Added by Deepak Sharma Kuluvi on August 17, 2012 at 11:00am — 4 Comments

सपने कभी कभी सच भी होते हैं

आज़ादी

मेरे देश की आज़ादी

चीख रही थी

लाउड स्पीकर से

ऐ मेरे वतन के लोगो

ऐ मेरे प्यारे वतन

बहरे सुन रहे थे

गूंगे गुनगुना रहे थे

अंधे देख देख विश्मित हो रहे थे

लाल लाल शोलों से घिरा

एक दरख्त

कुछ लोग चढ़े हुए

हरे नीले पीले लाल

हाँ लाल लाल लाल

उस काले से दरख्त पे

सुर्ख लाल पत्ते

जिनकी नोंको से टपक रही थी

शराब सी शबनम

टप टप- टप टप

घेरा डाले बैठे से

बाज़ चील कौए

डाल डाल…

Continue

Added by SANDEEP KUMAR PATEL on August 17, 2012 at 9:57am — 2 Comments

कडवे मीठे शब्द


संवेदनाओं की गहरी
-जड़ों पे टिके
अभिव्यक्ति के विशाल वृक्ष पे
भावनाओं की विस्तृत साखें
स्मृतियों के हरे भरे सब्ज पत्ते
आशाओं की उद्दीप्त नवल कोपल
और लटकते हैं
कडवे मीठे शब्द
कच्चे ,अध् पके ,अध् कच्चे
और कभी कभी पके शब्द
नीम नीम
या
शहद शहद
लज्ज़त लेने को
चख लेता हूँ
शब्द शब्द
अभिव्यक्ति के दरख्त पे
शब्द शब्द

संदीप पटेल "दीप"

Added by SANDEEP KUMAR PATEL on August 17, 2012 at 9:21am — 4 Comments

Monthly Archives

2024

2023

2022

2021

2020

2019

2018

2017

2016

2015

2014

2013

2012

2011

2010

1999

1970

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service