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छंदमुक्त काव्य
जिंदगी से जिंदगी लड़ने लगी है
आदमी को आदमी की शक्ल
अब क्यूँ इस तरह अखरने लगी है //
आँख में आँख का तिनका…
ContinuePosted on November 19, 2020 at 1:00pm — 1 Comment
हठ धर्मिता तुम्हारी तुम ही धरो
मुझ से तो तुम बस सहयोग ही करो
मानव जनम मिला है तत्सम आचरण करो
हठ धर्मिता तुम्हारी तुम ही धरो
प्रेरणा न बन सको तो कोई फरक नही
लेकिन किसी सन्मार्ग में कंटक तो न बनो
हठ धर्मिता तुम्हारी तुम ही धरो
मै आज हूँ बस आज और अभी
गुजरे हुये पलो से मेरी तुलना तो न करो
भविष्य से मेरा कोई सम्बन्ध है कहा
वर्तमान को ही मैंने जीवन कहा
हठ धर्मिता तुम्हारी तुम ही धरो
मुझ से तो तुम बस सहयोग…
ContinuePosted on November 14, 2020 at 6:00pm — 6 Comments
जिस इश्क में दिल्लगी नही होती
उस इश्क की तो जानू उमर भी नही होती
सिलसिला साँसों का जिस रोज़ थम गया
रौशनी गई दिये से और प्यार मर गया
धड़कन में अगर खून की लाली नही होती
उस इश्क की तो जानू उमर भी नही होती
दिखावा प्यार का तुम खूब कर चुके
दे दे के तोहफे प्यार में मिरा घर भर चुके
सेंकडो तो आने जाने के बहाने कर चुके
जोश था जो मिलन का वो आज मर चुका
जिस इश्क में दिल्लगी नही…
ContinuePosted on September 19, 2020 at 3:00am — 2 Comments
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