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पुराने ख़त मेरे अब भी जो सामने होंगे,
तो पढ़के होंठ यकीनन ही कांपते होंगे।
सफर उदास रहा जिनकी आस में अपना,
किसी के साथ वो चुपचाप चल पड़े होंगे।
तुम्हारे होठों को छूकर करार पाएंगे,
इसी ख्याल से मिसरे बहक रहे होंगे।
बिछड़ के उनसे मैं कितना उदास रहता हूँ,
मैं सोचता हूँ वो अक्सर ये सोचते…
Posted on February 14, 2021 at 11:07pm — 5 Comments
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ये मानता हूँ पहले से बेकल रहा हूँ मैं,
लेकिन तेरे ख़्यालों का संदल रहा हूँ मैं।
अब होश की ज़मीन पर टिकते नहीं क़दम,
बरसों तुम्हारे प्यार में पागल रहा हूँ मैं।
हैरत से देखते हैं मुझे रास्ते के लोग,
बिल्कुल किनारे राह के यूँ चल रहा हूँ मैं।
मुझको उदासियां मिली है आसमान से,
चुपचाप इन के आसरे में जल रहा हूँ मैं।
साहिल पर जाके तू मुझे मुड़ कर तो देखता,
इक वक्त तेरी रूह की हलचल रहा हूँ…
Posted on January 28, 2021 at 11:35pm — 4 Comments
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अपनी खता लिखूं या ख़ुदा का किया लिखूं .
इस दौरे नामुराद को किसका लिखा लिखूं .
उठती नहीं है तेरी तरफ मेरी उंगलियां,
फिर कौन सी कलम से तुझे बेवफा लिखूं.
मैं तेरा नाम ला नहीं सकता बयान में,
अपने ख़्याल पर बता किस का पता लिखूं.
मेरी पुकार तो नहीं जाएगी आप तक,
मैं किसके जरिए साल मुबारक नया लिखूं.
है याद मुझको तेरा वो छूना मेरे क़दम,
तब कैसे खुद को तेरी नज़र से गिरा…
Posted on January 15, 2021 at 11:33pm — 6 Comments
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क्या है मेरे होठों की दुआ मैं भुला चुका.
किस तरह मानता है ख़ुदा मैं भुला चुका.
मेरे सभी गुनाहों को अब तू भी भूल जा,
तुझसे हुई है जो भी खता मैं भुला चुका.
असली खुशी दबी पड़ी है गर्त में कहीं,
अब उसको ढूंढने की अदा मैं भुला चुका.
नज़दीक से गुज़र के मेरे देख ले कभी,
वो तेरी रहबरी की हवा मैं भुला चुका.
मुझको पुकार ने की तो आदत सी हो गई,
पर किसको दे रहा हूँ सदा मैं भुला…
Posted on August 8, 2020 at 9:30am
शुक्रिया मनोज जी |
आपका हार्दिक आभार :)
आभार
आ० मनोज जी
सर्वश्रेष्ठ लेखन कभी भी आसान नहीं होता . आपको इस सम्मान के लिये मेरी और से बधाई . सादर .
आदरणीय मनोज कुमार एहसास जी.
सादर अभिवादन !
मुझे यह बताते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी रचना "मेरी बेटी" को "महीने की सर्वश्रेष्ठ रचना" सम्मान के रूप मे सम्मानित किया गया है, तथा आप की छाया चित्र को ओ बी ओ मुख्य पृष्ठ पर स्थान दिया गया है | इस शानदार उपलब्धि पर बधाई स्वीकार करे |
आपको प्रसस्ति पत्र शीघ्र उपलब्ध करा दिया जायेगा, इस निमित कृपया आप अपना पत्राचार का पता व फ़ोन नंबर admin@openbooksonline.com पर उपलब्ध कराना चाहेंगे | मेल उसी आई डी से भेजे जिससे ओ बी ओ सदस्यता प्राप्त की गई हो |
शुभकामनाओं सहित
आपका
गणेश जी "बागी
संस्थापक सह मुख्य प्रबंधक
ओपन बुक्स ऑनलाइन
आपकी मित्रता का ह्रदय से स्वागत है आदरणीय मनोज जी
सादर!
जिंदगी की कशमकश व्यक्त करती अच्छी गजल। प्रयास अच्छा है
जय श्री राधे
भ्रमर ५
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