आज मैखाने का दस्तूर अज़ब है साक़ी |
जाम दिखता नहीं पर बाकी तो सब है साक़ी ।
मयकशी के लिए अब मैं भी चला आया हूँ
तेरी आँखों से ही पीने की तलब है साक़ी|
भूल जाता हूं मैं दुनिया के सभी रंजो अलम
जाम नज़रों का तेरे हाय गज़ब है साक़ी|
अपनी आँखों से ही इक जाम पिला दे मुझको
तेरे मयख़ाने में ये आख़िरी शब है साक़ी|
तेरी चौखट की तो ये बात निराली लगती
जाति मजहब न कोई नस्ल–नसब है…
ContinuePosted on October 22, 2022 at 9:30pm — 5 Comments
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बचपन की याद हमको दिलाती हैं बेटियाँ|
उंगली पकड़ के जब भी घुमाती हैं बेटियाँ|
हाथों से अपने जब भी खिलाती हैं देखिये
दादी की याद हमको दिलाती हैं बेटियाँ|
बेटा बसा है देखिये जब से विदेश में
इस घर के सारे बोझ उठाती हैं बेटियाँ |
जर्जर शरीर में जो न आती है नींद तो
दे दे के थपकियाँ भी सुलाती हैं बेटियाँ|
बेटी की शान में मैं भला और क्या कहूँ,
बेटे से बढ़ के…
ContinuePosted on November 11, 2021 at 9:00pm — 3 Comments
S S S S S S S S S S S S S S S
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देश के दुश्मन सबके दुश्मन इनसे यारी ठीक नहीं|
इनसे हाथ मिलाने वालों यह गद्दारी ठीक नहीं|
मंदिर-मस्ज़िद-धर्मों-मज़हब रक्षित औ महफूज़ हैं फिर
इनकी खातिर गोलीबारी -तेग-कटारी ठीक नहीं
माँ की अस्मत ख़तरे में औ मुल्क में हो गर त्राहिमाम
तब तो लोग कहेंगे दिल्ली की सरदारी ठीक नही।
आरक्षण की ख़ातिर ही अंधे-बहरे कुर्सी पर हैं
इस हालत से देश की होगी कुई बीमारी ठीक नहीं|
चारण हूँ मद्दाह नहीं मैं सच…
ContinuePosted on February 4, 2019 at 2:00pm — 4 Comments
२१२२ २१२२ २१२२ २१२
पढ़ न पाए ये ज़माना इश्क की तहरीर अब
इसलिए ही ख़त जलाये औ तेरी तस्वीर अब
मंदिरो-मस्ज़िद में जाकर मिन्नतें-सजदा किये
फिर भी तुमसे दूर रहना है मेरी तक़दीर अब|
लोग कुछ मजनूँ कहें अब और कुछ फ़रहाद भी
यह तुम्हारे इश्क की ही लग रही तासीर अब |
ज़ख़्म गहरा हो गया हो या कि फिर नासूर तो
प्यार का ही लेप उस पर हो दवा अक्सीर अब|
है मुक़द्दर में नही मत सोचकर बैठो मियाँ
बदलेगी तक़दीर निश्चित…
Posted on May 23, 2018 at 1:30pm — 2 Comments
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