For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Anvita
  • Female
Share on Facebook MySpace

Anvita's Friends

  • आशीष यादव
 

Anvita's Page

Latest Activity

Anvita updated their profile
Jul 7, 2020
Anvita commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मगर हम स्वेद के गायें - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सादर नमस्कार बहुत सुंदर रचना है।मेरी बधाई स्वीकार करें ।"
Jul 7, 2020
Anvita commented on Anvita's blog post एकाकी चांद
"इस ओर ध्यान दिलाने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद ।आशा है आगे भी माग॔दश॔न देकर स्नेह बनाए रखेंगे ।"
Jun 24, 2020
Samar kabeer commented on Anvita's blog post एकाकी चांद
"'ऑख की,ड़िबिया में' इस पंक्ति में 'ऑख' को "आँख" करें । 'खुनक'--"ख़ूनक" 'सांसो के रास्ते'--"साँसों" 'और कामना की बातियाॅ'--"बातियाँ" 'जलती…"
Jun 24, 2020
Anvita commented on Anvita's blog post एकाकी चांद
"आदरणीय समर कबीर साहब अभिवादन स्वीकार करें ।कुछ कमियों के बारे में इंगित करेंगे तो सौभाग्य समझूंगी।धन्यवाद ।सादर अन्विता ।"
Jun 24, 2020
Samar kabeer commented on Anvita's blog post एकाकी चांद
"मुहतरमा अन्विता जी आदाब, अच्छी कविता लिखी आपने, बधाई स्वीकार करें ।"
Jun 24, 2020
Anvita posted a blog post

एकाकी चांद

ऑख की,ड़िबिया में,बंद,सपने हैं,मौसम की खुनक,सांसो के रास्ते,अब,नहीं उतरती,मन की,सीढ़ियाँ ....हालाँकि,उदासी के दियों में,भरपूर है तेल,और कामना की बातियाॅ ....रात भरजलती है ।होड़ लेती हैं, स्मृतियाँ...तारों से !चांदनी के इद॔-गिद॔,मृत सपनों का,वलय है, एकाकी चांद के आंसू ...रात भर टपकते हैं,सुबह,पत्तों पर,धोखा होता है,ओस का।अन्विता ।मौलिक एवं अप्रकाशित ।See More
Jun 22, 2020
Anvita commented on Manan Kumar singh's blog post दीप बन मैं ही जला....(गजल)
"आदरणीय मनन कुमार सिंह जी. आपकी रचना "दीप बन.."के लिए मेरी हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।सादर अभिवादन ।अन्विता"
Jun 22, 2020
Anvita commented on Anvita's blog post "स्मृतियाँ "
"आदरणीय समर कबीर जी नमस्कार, आपकी प्रतिक्रिया के बिना रचना में कुछ अधूरापन सा था। बहुत बहुत आभार ।सादर अन्विता ।"
Jun 21, 2020
Samar kabeer commented on Anvita's blog post "स्मृतियाँ "
"मुहतरमा अन्विता जी आदाब,अच्छी कविता हुई है, बधाई स्वीकार करें ।"
Jun 21, 2020
Anvita commented on Anvita's blog post "स्मृतियाँ "
"आदरणीय नरेन्द्र सिंह जी रचना पर आपकी प्रतिक्रिया के लिए आपका बहुत बहुत आभार व्यक्त करती हूँ. ।सादर।अन्विता ।"
Jun 20, 2020
Anvita and आशीष यादव are now friends
Jun 20, 2020
narendrasinh chauhan commented on Anvita's blog post "स्मृतियाँ "
"बहुत सुन्दर प्रस्तुति"
Jun 20, 2020
Anvita commented on Anvita's blog post "स्मृतियाँ "
"ड़ा.विजय शंकर जी सादर प्रणाम ।सराहना के लिए बहुत बहुत धन्यवाद ।"
Jun 19, 2020
Dr. Vijai Shanker commented on Anvita's blog post "स्मृतियाँ "
"सहमे- सहमे सच पर हावी,झूठ के निम॔म दांव हैं बाकी ।बहुत सुन्दर प्रस्तुति , सुश्री अन्विता जी , बधाई , सादर।"
Jun 19, 2020
Anvita posted a blog post

"स्मृतियाँ "

दुःखते हुए पांव हैं बाकी,रिसते हुए घाव हैं बाकी,आशाएँ जो छोड़ गईं,उजड़े हुए गाँव हैं बाकी।गीत अधर पर ठहरे-ठहरेअश्रु पर पलकों के पहरे,सहमे- सहमे सच पर हावी,झूठ के निम॔म दांव हैं बाकी ।सतरंगी सपनों के ड़र से,लहरों से समझौते करते,ठीक किनारे उलट गई जो,स्मृतियों की नाव है बाकी...।अन्विता ।मौलिक एवं अप्रकाशित ।See More
Jun 19, 2020

Profile Information

Gender
Female
City State
Jabalpur , Madhya Pradesh
Native Place
Jabalpur
Profession
Housewife

Anvita's Blog

एकाकी चांद

ऑख की,ड़िबिया में,
बंद,
सपने हैं,
मौसम की खुनक,
सांसो के रास्ते,
अब,नहीं उतरती,
मन की,
सीढ़ियाँ ....
हालाँकि,
उदासी के दियों में,
भरपूर है तेल,
और कामना की बातियाॅ ....
रात भर
जलती है ।
होड़ लेती हैं, स्मृतियाँ...तारों से !
चांदनी के इद॔-गिद॔,
मृत सपनों का,
वलय है, एकाकी चांद के आंसू ...
रात भर टपकते हैं,
सुबह,पत्तों पर,
धोखा होता है,
ओस का।

अन्विता ।
मौलिक एवं अप्रकाशित ।

Posted on June 22, 2020 at 9:58pm — 4 Comments

"स्मृतियाँ "

दुःखते हुए पांव हैं बाकी,
रिसते हुए घाव हैं बाकी,
आशाएँ जो छोड़ गईं,
उजड़े हुए गाँव हैं बाकी।
गीत अधर पर ठहरे-ठहरे
अश्रु पर पलकों के पहरे,
सहमे- सहमे सच पर हावी,
झूठ के निम॔म दांव हैं बाकी ।
सतरंगी सपनों के ड़र से,
लहरों से समझौते करते,
ठीक किनारे उलट गई जो,
स्मृतियों की नाव है बाकी...।

अन्विता ।
मौलिक एवं अप्रकाशित ।

Posted on June 18, 2020 at 9:49pm — 6 Comments

"समय नहीं है"

चुप है समय,

दिशाओं के अनुमान में,

भ्रमित और आहत है मन

सत्य के संधान में,

शब्द करते हैं सवारी,

नुकीले अस्त्रों की,

शब्द,

बनना चाहिए था

जिन्हें मरहम!

अंगुलियां उठती हैं

सामर्थ्य पर;

थाम सकतीं थीं जो,अशक्तता ...

अंगुलियां जो,ढाल सकतीं थीं

दहकते लावे को

फूल की शक्ल में; शून्य हैं ऑखे,

ऑखे, जो संजो सकतीं थीं

पल-पल का इतिहास,

आहत है मन,

जो प्रहरी था सच का,

निःशब्द है अपने आखेट पर,

अभी समय नहीं… Continue

Posted on June 14, 2020 at 1:18pm — 2 Comments

"नियति "

आस छोड़ी न थी,
न,प्रयास बौने थे,
जीतना कहाँ
संभव होता
हम
नियति के हाथों के,
खिलौने थे।
ओढे, बिछाए,
तह लगाकर
रख दिए
हमारी इच्छाओं के
ही तो,बिछौने थे।

अन्विता ।
मौलिक एवं अप्रकाशित ।

Posted on June 13, 2020 at 1:10pm — 2 Comments

Comment Wall

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

  • No comments yet!
 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a discussion

पटल पर सदस्य-विशेष का भाषयी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178 के आयोजन के क्रम में विषय से परे कुछ ऐसे बिन्दुओं को लेकर हुई…See More
19 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"नीलेश जी, यक़ीन मानिए मैं उन लोगों में से कतई नहीं जिन पर आपकी  धौंस चल जाती हो।  मुझसे…"
yesterday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आदरणीय मैं नाम नहीं लूँगा पर कई ओबीओ के सदस्य हैं जो इस्लाह  और अपनी शंकाओं के समाधान हेतु…"
yesterday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आदरणीय  बात ऐसी है ना तो ओबीओ मुझे सैलेरी देता है ना समर सर को। हम यहाँ सेवा भाव से जुड़े हुए…"
yesterday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आदरणीय, वैसे तो मैं एक्सप्लेनेशन नहीं देता पर मैं ना तो हिंदी का पक्षधर हूँ न उर्दू का। मेरा…"
yesterday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"नीलेश जी, मैंने ओबीओ के सारे आयोजन पढ़ें हैं और ब्लॉग भी । आपके बेकार के कुतर्क और मुँहज़ोरी भी…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"नमन, ' रिया' जी,अच्छा ग़ज़ल का प्रयास किया आपने, विद्वत जनों के सुझावों पर ध्यान दीजिएगा,…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"नमन,  'रिया' जी, अच्छा ग़ज़ल का प्रयास किया, आपने ।लेकिन विद्वत जनों के सुझाव अमूल्य…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आ. भाई लक्ष्मण सिंह 'मुसाफिर' ग़ज़ल का आपका प्रयास अच्छा ही कहा जाएगा, बंधु! वैसे आदरणीय…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय लक्ष्मण भाई "
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आदाब, 'अमीर' साहब,  खूबसूरत ग़ज़ल कही आपने ! और, हाँ, तीखा व्यंग भी, जो बहुत ज़रूरी…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service