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dehradun
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teaching
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साहित्य में रूचि है | कविता, कहानिया, उपन्यास, सामाजिक मुद्दों को पढ़ना अच्छा लगता है और अपने मन के विचारों को कागज पर उतार कर मन को सुकून मिलता है चाहे फिर वह कहानी के रूप मे हो या फिर कविता के रूप मे

Savi's Blog

"जिंदगी से रूबरू हम"

अपनी ही जिन्दगी से शर्मसार हैं आज हम,

क्या बनने कि कोशिश थी, क्या बन गये हम|



जज्बातों कि लाश को सीढियाँ बना मंजिल तो पा ली,

पर क्या अब  खुद  को  इन्सान  कह  सकते हैं  हम|



अपनों की भीड़ में, अपनों को ढूंढ़ कर देख…

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Posted on June 30, 2012 at 8:02pm — 14 Comments

खेवनहार

सोचने लगती हूँ तो लगता है जैसे कल की ही बात है, बारहवीं के पेपर देकर फ्री हुई तो खूब मस्ती हो रही थी | एक दिन मम्मी ने कहा “चल हेमा अजित भैया के घर चलते हैं, भाभी का फ़ोन आया था  भैया कई दिनों से ऑफिस नहीं गए उनकी तबियत ठीक नहीं है | मैंने कहा चलो चलते हैं | मामाजी के यहाँ मुझे हमेशा अच्छा लगता था, बस उनकी एक ही आदत शराब पीने वाली मुझे अच्छी नहीं लगती थी | मैंने मम्मी से पूछा कि मामाजी क्या अब भी शराब पीते हैं |मम्मी…

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Posted on June 26, 2012 at 5:00pm — 12 Comments

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