For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग-1)

साथियों,
"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग -1) अत्यधिक डाटा दबाव के कारण पृष्ठ जम्प आदि की शिकायत प्राप्त हो रही है जिसके कारण "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग -2) तैयार किया गया है, अनुरोध है कि कृपया भाग -1 में केवल टिप्पणियों को पोस्ट करें एवं अपनी ग़ज़ल भाग -2 में पोस्ट करें.....

कृपया मुशायरे सम्बंधित अधिक जानकारी एवं मुशायरा भाग 2 में प्रवेश हेतु नीचे दी गयी लिंक क्लिक करें 

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग -2)

Views: 24647

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

बहुत खूब भाई मोहम्मद नायाब जी. उम्दा ग़ज़ल हुई है, सभी अशआर अच्छे है हालांकि हव्वे वाला शेअर भर्ती का लग रहा है। गिरह भी बहुत पसंद आई। शेअर-दर-शेअर मेरी  मुबारकबाद स्वीकार करें। 

//फैसला ये दिया गया है मुझे।।// 

फैसला तो सुनाया जाता है न? क्या इस मिसरे में "हुक्म ऐसा दिया गया है मुझे" करना बेहतर न होगा?

जनाब मोहम्मद नायाब साहब उम्दा कलाम के लिए दाद कबूल कीजिये|

नायाब भाई मुबारकबाद पेश करता हूँ |

आदरणीय नायाब साहब, लाजवाब गजल कहने के लिए बधाइयाँ।

मैं तो इंसान हूँ सभी के लिए ।

देवता क्यों कहा गया है मुझे ।।...इस अशआर पर खास तौर से बधाइयाँ

जनाब मोहम्मद नायब जी, आपकी ग़ज़ल बहुत प्रभावित की, गिरह लगाने का हुनर अच्छा लगा, बहुत बहुत बधाई। 

अच्छी ग़ज़ल कही है आपने आदरणीय मोहम्मद नायाब जी| हार्दिक बधाई| 

आदरणीय नायब साहब, बहुत अच्छे अशआर हुए हैं. हार्दिक बधाई.

मैं तो इंसान हूँ सभी के लिए ।

देवता क्यों कहा गया है मुझे ।। बहुत ही लाजवाब शे'र ।

             शे'र दर शे'र दाद के साथ दिली मुबारकबाद भाई नायाब जी ।

( १ )
दीप   जैसा   बना  गया  है  मुझे
तम से लड़ना सिखा गया है मुझे।१।


कुछ भी हो पर न सच का साथ तजूँ
पथ  वो  ऐसा  दिखा  गया  है  मुझे।२।


दोष  मेरे  वो अपने  सर  लेकर
सब की नजरों उठा गया है मुझे।३।


बात उस की दुखों से तार गयी
गंगा जल ज्यों पिला गया है मुझे।४।


सब्र तौफ़ीक दे के जब से गया
"सब्र करना तो आ गया है मुझे"।५।


जिसकी रगरग में बस रहा था कभी
झट से पल में भुला गया है मुझे।६।


जिसको पूछा न था सुखों में कभी
वो ही दुख में निभा गया है मुझे।७।

मौलिक/अप्रकाशित

लक्ष्मण भाई, शायद अपने अपना सर्वश्रेष्ठ आने वाले दिनों  के लिए रख लिया।

बहरहाल इस ग़ज़ल के लिए बधाई।

आ. भाई अजय जी, सादर आभार।

पहले और आख़री बेहतरीन अशआर के साथ शानदार ग़ज़ल हेतु सादर हार्दिक बधाई आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' साहिब।

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"घर-आंगन रमा की यादें एक बार फिर जाग गई। कल राहुल का टिफिन बनाकर उसे कॉलेज के लिए भेजते हुए रमा को…"
1 minute ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें। सादर"
14 minutes ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"आदाब। रचना पटल पर आपकी उपस्थिति, अनुमोदन और सुझाव हेतु हार्दिक धन्यवाद आदरणीया प्रतिभा पाण्डेय जी।…"
24 minutes ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"आपका आभार आदरणीय वामनकर जी।"
1 hour ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"आपका आभार आदरणीय उस्मानी जी।"
1 hour ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"आदरणीया प्रतिभा जी,आपका आभार।"
1 hour ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"  ऑनलाइन शॉपिंग ने खरीदारी के मापदंड ही बदल दिये हैं।जरूरत से बहुत अधिक संचय की होड़ लगी…"
2 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"आदरणीय मनन सिंह जी जितना मैं समझ पाई.रचना का मूल भाव है. देश के दो मुख्य दलों द्वारा बापू के नाम को…"
3 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"जुतयाई (लघुकथा): "..और भाई बहुत दिनों बाद दिखे यहां? क्या हालचाल है़ंं अब?""तू तो…"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"आदरणीय मनन कुमार सिंह जी, इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें। सादर"
4 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"आदाब। गोष्ठी का आग़ाज़ अनुपम रचना से करने के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। रचना को…"
5 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"समाधि के फूल वे लड़के बापू की समाधि से एक फूल उठा लाए।घर खुशबू से नहा गया।उनकी खुशियों का ठिकाना न…"
11 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service