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"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग-1)

साथियों,
"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग -1) अत्यधिक डाटा दबाव के कारण पृष्ठ जम्प आदि की शिकायत प्राप्त हो रही है जिसके कारण "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग -2) तैयार किया गया है, अनुरोध है कि कृपया भाग -1 में केवल टिप्पणियों को पोस्ट करें एवं अपनी ग़ज़ल भाग -2 में पोस्ट करें.....

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"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग -2)

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वाह मोहतरम मसऊद साहिब, बेहतरीन ग़ज़ल हुई दिली मुबारक़बाद कुबूल फरमाएँ

आद0 हाफिज मसूद जी सादर अभिवादन। आपके हवाले से एक बेहतरीन ग़ज़ल मिली पढ़ने को। शैर दर शैर दाद के साथ मुबारकबाद कुबूल कीजिये

वाह हाफिज साहब रह वो ऐसी दिखा गया बहुत बेहतरीन गजल बधाई कुबूल कीजिए

आ. भाई हफिज मसूद जी, उम्दा गजल के लिए हार्दिक बधाई ।

आदरणीय हाफ़िज़ मसऊद साहब, अच्छी ग़ज़ल कही है आपने। हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए। सादर।

दाग़ आने लगे नज़र खुद ही ।

आईना वो दिखा गया है मुझे ।।

बहुत खूब जनाब हाफ़िज़ मसूद साहिब। दाद-ओ-मुबारकबाद क़बूल करें। 

आदरणीय हाफ़िज़ मसूद मुहम्मदाबादी जी, आपकी एक अच्छी ग़ज़ल से आयोजन भी आबाद हुआ. दिली दाद क़बूल करें> 

सादर

मह्मुदाबादी साहब मुबारबाद पेश करता  हूँ बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है |

आदरणीय महमूदाबाद साहब। बेहतरीन गजल के लिए बधाइयाँ।

दाग़ आने लगे नज़र खुद ही ।

आईना वो दिखा गया है मुझे ।।.....इस अशआर पर खास दाद कबूल फरमायें।

//रह वो ऐसी दिखा गया है मुझे।

ढ़ंग जीने का आ गया है मुझे।।//

जनाब हाफ़िज़ साहब, आपकी ग़ज़ल में शेर दर शेर धीरे धीरे उतरता चला गया, अच्छी ग़ज़ल कही है. बहुत बहुत बधाई। तनिक रह को लेकर भ्रम है, क्या राह को रह कहने में कोई विशेष उद्देश्य है क्योंकि राह के साथ भी मिसरा हो सकता था। ..

राह ऐसी दिखा गया है मुझे।

मोहतरम हाफ़िज़ मसऊद साहब ..इस मुरस्सा कलाम के लिए ढेर सारी मुबारकबाद कबूल फरमाइए ..दुसरे शेर में ताकाबुले रदीफ़ का ऐब है ..नज्रेसानी करलें|

दाग़ आने लगे नज़र खुद ही ।

आईना वो दिखा गया है मुझे ।। वाह! वाह!! बहुत ख़ूब ! लाजवाब शे'र ।

                  .शे'र दर शे'र दाद के साथ दिली मुबारकबाद आदरणीय हाफ़िज़ मसूद जी ।

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"बहुत बहुत शुक्रिया आ सुकून मिला अब जाकर सादर 🙏"
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Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"शुक्रिया आ सादर हम जिसे अपना लहू लख़्त-ए-जिगर कहते थे सबसे पहले तो उसी हाथ में खंज़र निकला …"
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Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
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