For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-90

परम आत्मीय स्वजन,

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 90 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है| इस बार का मिसरा -ए-तरह जनाब आनंद नारायण 'मुल्ला' साहब की ग़ज़ल से लिया गया है|

"इस के आगे बस ख़ुदा का नाम है "

2122      2122      212

फाइलातुन फाइलातुन फाइलुन

(बह्र: रमल मुसद्दस महजूफ)

रदीफ़ :- है
काफिया :- आम (नाम, गाम, काम, आराम  आदि)
 

मुशायरे की अवधि केवल दो दिन है | मुशायरे की शुरुआत दिनाकं 22 दिसंबर दिन शुक्रवार को हो जाएगी और दिनांक 23 दिसंबर दिन शनिवार समाप्त होते ही मुशायरे का समापन कर दिया जायेगा.

 

नियम एवं शर्तें:-

  • "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" में प्रति सदस्य अधिकतम एक ग़ज़ल ही प्रस्तुत की जा सकेगी |
  • एक ग़ज़ल में कम से कम 5 और ज्यादा से ज्यादा 11 अशआर ही होने चाहिए |
  • तरही मिसरा मतले को छोड़कर पूरी ग़ज़ल में कहीं न कहीं अवश्य इस्तेमाल करें | बिना तरही मिसरे वाली ग़ज़ल को स्थान नहीं दिया जायेगा |
  • शायरों से निवेदन है कि अपनी ग़ज़ल अच्छी तरह से देवनागरी के फ़ण्ट में टाइप कर लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें | इमेज या ग़ज़ल का स्कैन रूप स्वीकार्य नहीं है |
  • ग़ज़ल पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे ग़ज़ल पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल आदि भी न लगाएं | ग़ज़ल के अंत में मंच के नियमानुसार केवल "मौलिक व अप्रकाशित" लिखें |
  • वे साथी जो ग़ज़ल विधा के जानकार नहीं, अपनी रचना वरिष्ठ साथी की इस्लाह लेकर ही प्रस्तुत करें
  • नियम विरूद्ध, अस्तरीय ग़ज़लें और बेबहर मिसरों वाले शेर बिना किसी सूचना से हटाये जा सकते हैं जिस पर कोई आपत्ति स्वीकार्य नहीं होगी |
  • ग़ज़ल केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, किसी सदस्य की ग़ज़ल किसी अन्य सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी ।

विशेष अनुरोध:-

सदस्यों से विशेष अनुरोध है कि ग़ज़लों में बार बार संशोधन की गुजारिश न करें | ग़ज़ल को पोस्ट करते समय अच्छी तरह से पढ़कर टंकण की त्रुटियां अवश्य दूर कर लें | मुशायरे के दौरान होने वाली चर्चा में आये सुझावों को एक जगह नोट करते रहें और संकलन आ जाने पर किसी भी समय संशोधन का अनुरोध प्रस्तुत करें | 

मुशायरे के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है....

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 22  दिसंबर दिन शुक्रवार लगते ही खोल दिया जायेगा, यदि आप अभी तक ओपन
बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.comपर जाकर प्रथम बार sign upकर लें.


मंच संचालक
राणा प्रताप सिंह 
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 13430

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

हर गली हर मोड़ पे नाकाम है
आदमी टूटा हुआ इक जाम है

चेहरे पे चेहरे लगाना आम है
झूठ सच का दूसरा अब नाम है

एक रोटी के लिए वो देखिए
हो रही औरत वहाँ नीलाम है

एक भाई, भाई को ही मार दे
मज़हबों का क्या यही पैग़ाम है

आप मेरी बात से हैरां न हों
मुझ पे मेरे क़त्ल का इलज़ाम है

जा चुका है हर कोई मुँह मोड़ कर
ये मुहब्बत का मेरी इनआम है

क्या कहानी सोच कर बैठा था मैं
और क्या उसका हुआ अंजाम है

सच कहूँ तुमसे तो दिल की क़ब्र में
मैं सुकूँ से हूँ बहुत आराम है

ठोकरें खा कर ही सब ने क्यूँ कहा
‘‘इसके आगे बस ख़ुदा का नाम है’’

बाद जिसके फिर उगे सूरज नहीं
ज़िन्दगी ढलती हुई वो शाम है

क़ैद है ये मुल्क़ अपना अब तलक
मत कहें जम्हूरियत आवाम है

(मौलिक व अप्रकाशित)

आदरणीय महेंद्र कुमार जी बहुत ही खूबसूरत गज़ल कही आपने आदरणीय महेंद्र कुमार जी बहुत ही खूबसूरत गज़ल कही आपने आपको बहुत बहुत बधाइयां

आप मेरी बात से हैरां न हों
मुझ पे मेरे क़त्ल का इलज़ाम है.......... बहुत ही लाजवाब 

शेर दर शेर, उम्दा होते ख्यालात। बधाई।

आदरणीय महेंद्र जी खूबसूरत गज़ल से आपने मुशायरे का आगाज़ किया ढेरों  मुबारकबाद आपको .....

अच्छी गजल कही आपने आदरणीय महेंद्र जी,बधाइयाँ।दूसरे शेर की उला बहर में प्रतीत नहीं हो रही,देखिएगा।

जनाब महेंद्र कुमार जी अच्छी ग़ज़ल है

शेर दर शेर दाद ते साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ।

आ. भाई महेंद्र जी, बेहतरीन गजल से मंच का शुभारम्भ करने के लिए हार्दिक बधाई ।

हर गली हर मोड़ पे नाकाम है
आदमी टूटा हुआ इक जाम है । वाह! वाह!! कमाल का मतला है 

।बहुत ही लाजवाब ग़ज़ल है । हर शे'र बढ़िया । दिली मुबारकबाद क़ुबूल करें आदरणीय महेंद्र कुमार जी ।

आदरणीय महेन्द्र जी, आसान लफ़्ज़ों में सुन्दर ग़ज़ल हुई है. पढ़ते हुए अच्छा लगा. शेर-दर-शेर दाद लीजिए. 

शुभेच्छाएँ 

जनाब मंच संचालक महोदय आदाब,उमूमन तरही मुशायरों का ये तरीक़ा होता है कि जिस शाइर की ग़ज़ल से मिसरा लिया जाये वो ग़ज़ल के शैर का होना चाहिए,मतले का सानी मिसरा नहीं,क्योंकि एक तो हमारे मंच पर मिसरे को मतले में लेने पर पाबंदी है,और मतले के मिसरे पर गिरह लगाना नए सीखने वालों के लिए बहुत दुश्वार होता है,इसलिये आपसे गुज़ारिश है कि आइन्दा जब भी तरही मिसरा निकालें वो शैर का सानी मिसरा हो मतले का नहीं ।

जनाब महेन्द्र कुमार जी आदाब,तरही मिसरे पर ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है,दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।

दूसरे शैर के ऊला मिसरे में 'चेहरे पे चेहरे'लिखने से बह्र मुतास्सिर हो रही है,उर्दू के लिहाज़ से "चहरे"लिखना मुनासिब होता है ।

'मज़हबों का क्या यही पैग़ाम है'

इस मिसरे में 'मज़हबों'ग़लत है,'मज़हब' का बहुवचन "मज़ाहिब" होता है,इसलिये ये मिसरा यूँ होना चाहिए :-

'क्या मज़ाहिब का यही पैग़ाम है'

गिरह कमज़ोर है ।

'बाद जिसके फिर उगे सूरज नहीं'

इस मिसरे में 'उगे'बहुवचन हो रहा है,'उगे'की जगह "उगा" होना चाहिए ।

आख़री शैर में क़ाफ़िया दोष है,सही शब्द है "अवाम"

बेहतरीन ग़ज़ल का आगाज़, मुबारक बाद पेश करती हूँँ।

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash and Dayaram Methani are now friends
6 seconds ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, प्रदत्त विषय पर आपने बहुत बढ़िया प्रस्तुति का प्रयास किया है। इस…"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"बुझा दीप आँधी हमें मत डरा तू नहीं एक भी अब तमस की सुनेंगे"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर विस्तृत और मार्गदर्शक टिप्पणी के लिए आभार // कहो आँधियों…"
8 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"कुंडलिया  उजाला गया फैल है,देश में चहुँ ओर अंधे सभी मिलजुल के,खूब मचाएं शोर खूब मचाएं शोर,…"
14 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आपने प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया गजल कही है। गजल के प्रत्येक शेर पर हार्दिक…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"गजल**किसी दीप का मन अगर हम गुनेंगेअँधेरों    को   हरने  उजाला …"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई भिथिलेश जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर उत्तम रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service