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बहुत अच्छा विषय है, सही सोच वाला व्यक्ति अज्ञानी को सदैव ज्ञान प्राप्त करने के लिए उत्साहित करेगा, अल्पज्ञानी को अनुभव देगा और ज्ञान की तरफ बढ़ रहे व्यक्ति की छोटी-छोटी गलतियों को इंगित कर उसे दक्ष बनायेगा| इस रचना के सृजन हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीया राहिला जी|
मोहतरमा राहिला साहिबा , संयुक्त परिवार में होने वाली कलह को पत्नी के ज़रिये अच्छा उभारा है आपने लघु कथा में। ..... मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं
अच्छी लघु कथा राहिला जी बहुत बहुत बधाई आपको
आदरणीय वीर भाईसाहब बहुत ही सुन्दर रचना है, शब्द सम्प्रेषण गज़ब का है /ये तो बस तेरे प्यार का अमृत है बुधिया! जो मुझे जिंदा रखे हुए है/ वाह , हार्दिक बधाई आपको ! सादर
भाई आदरणीय वीर मेहता जी आप ने वृद्ध दंपत्ति के सहारे रिक्शे वाले के दर्द को उकेर दिया. बहुत ही कमाल किया आप ने. एक साथ दोदो दर्दो की अभिब्यक्ति दे दी. बधाई इस शानदार लघुकथा के लिए.
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