For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल दिनेश कुमार -- अंधेरा चार सू फैला दमे-सहर कैसा

1212-- 1122-- 1212-- 22

अंधेरा चार सू फैला दमे-सहर कैसा

परिंदे नीड़ में सहमे हैं, जाने डर कैसा

ख़ुद अपने घर में ही हव्वा की जात सहमी है 

उभर के आया है आदम में जानवर कैसा

अधूरे ख़्वाब की सिसकी या फ़िक्र फ़रदा की

हमारे ज़हन में ये शोर रात-भर कैसा

सरों से शर्मो हया का सरक गया आंचल 

ये बेटियों पे हुआ मग़रिबी असर कैसा

वो ख़ुद-परस्त था, पीरी में आ के समझा है 

जफ़ा के पेड़ पे रिश्तों का अब समर कैसा

दिनेश कुमार 

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 337

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 22, 2025 at 6:02pm

बहुत खूब, आदरणीय दिनेश कुमार जी. वाह वाह 

इस अच्छे प्रयास पर हार्दिक बधाई स्वीकार करें 

शुभ-शुभ

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on May 5, 2025 at 12:15pm

वाह-वह और वाह भाई दिनेश जी....बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल कही है बधाई.... 

Comment by दिनेश कुमार on March 9, 2024 at 8:35am

बहुत बहुत शुक्रिया आपका आदरणीय समर साहब। ठीक करता हूं। 

देर से रिप्लाई के लिए माफ़ कीजिएगा।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 1, 2024 at 9:05am

आ. भाई दिनेश जी, अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।

Comment by Samar kabeer on December 19, 2023 at 3:22pm

जनाब दिनेश कुमार जी आदाब, ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है, बधाई स्वीकार करें I 

'परिंदे नीड़ में सहमे हैं, जाने डर कैसा'

इस मिसरे को उचित लगे तो यूँ कहें :-

'परिंदे सहमे हुए हैं है उनको डर  कैसा'

'ख़ुद अपने घर में ही हव्वा की जात सहमी है'

इस मिसरे में 'ज़ात' शब्द उचित नहीं लगता. इसकी जगह "बेटी" शब्द ठीक रहेगा ग़ौर करें I 

कुछ टंकण त्रुटियाँ देखें :-

अँधेरा 

दम-ए-

ज़ह्न 

शर्म-ओ-

आँचल  

Comment by Dr. Vijai Shanker on December 15, 2023 at 1:18am

बहुत सुन्दर प्रस्तुति , आदरणीय दिनेश कुमार जी , बधाई। सादर।

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on December 5, 2023 at 9:17pm

सुनन्दरम।

Comment by सुरेश कुमार 'कल्याण' on December 4, 2023 at 12:21pm

वाह दिनेश जी वाह बहुत ही सुन्दर रचना 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"रिमझिम-रिमझिम बारिशें, मधुर हुई सौगात।  टप - टप  बूंदें  आ  गिरी,  बादलों…"
2 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"हम सपरिवार बिलासपुर जा रहे है रविवार रात्रि में लौटने की संभावना है।   "
9 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"कुंडलिया छंद +++++++++ आओ देखो मेघ को, जिसका ओर न छोर। स्वागत में बरसात के, जलचर करते शोर॥ जलचर…"
9 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"कुंडलिया छंद *********** हरियाली का ताज धर, कर सोलह सिंगार। यौवन की दहलीज को, करती वर्षा पार। करती…"
10 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम्"
19 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण भाई अच्छी ग़ज़ल हुई है , बधाई स्वीकार करें "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"आदरणीय सुरेश भाई , बढ़िया दोहा ग़ज़ल कही , बहुत बधाई आपको "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीया प्राची जी , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"सभी अशआर बहुत अच्छे हुए हैं बहुत सुंदर ग़ज़ल "
Wednesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service