For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अहसास की ग़ज़ल : मनोज अहसास

2×11

बदहाली का एक समंदर सर पर है।
शहर की हालत वीरानों से बदतर है।

जिद पर तो बेशक मैं भी आ सकता हूँ ,
लेकिन मुझको बात बिगड़ने का डर है।

जो आँखों की भाषा समझ नहीं पाते,
उन लोगों से कुछ ना कहना बेहतर है।

लूट लिया जिसने आपस के रिश्तों को,
तुम लोगों की आँखों मे वो रहबर है?

नीव हिलाकर चीख रहे हैं झूठे लोग,
उनके पास योजना सबसे बढ़कर है।

एक इमारत है बनने की कोशिश में,
उसकी खातिर मुश्किल में मेरा घर है।

मुश्किल है अब पूरा होना साझा गीत
राग रंग की महफ़िल ही अब बेघर है।

मौलिक और अप्रकाशित

Views: 676

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Aazi Tamaam on June 5, 2021 at 10:27pm

सादर प्रणाम आ मनोज जी

बेहद खूबसूरत ग़ज़ल है

Comment by Ravi Shukla on June 5, 2021 at 9:35pm

आदरणीय मनोज कुमार अहसास जी , ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है, बधाई स्वीकार करें । छठे शेर का कथ्य खास पसंद आया 

Comment by मनोज अहसास on June 4, 2021 at 12:02pm

आदरणीय मुसाफिर जी हार्दिक आभार

सादर

Comment by मनोज अहसास on June 4, 2021 at 12:01pm

आदरणीय समर कबीर साहब हार्दिक आभार

सादर

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on June 1, 2021 at 9:10pm

आ. भाई मनोज जी, गजल का प्रयास अच्छा हुआ है । हार्दिक बधाई। आ. समर जी की बात का संज्ञान लें..

Comment by Samar kabeer on May 31, 2021 at 2:38pm

जनाब मनोज कुमार अहसास जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है, बधाई स्वीकार करें ।

'उनके पास योजना सबसे बढ़कर है'

इस मिसरे की बह्र देखें ।

'राग रंग की महफ़िल ही अब बेघर है'

इस मिसरे की भी तक़ती'अ कर के देखें ।

Comment by मनोज अहसास on May 29, 2021 at 11:28pm

बहुत-बहुत आभार आदरणीय चेतन प्रकाश जी

Comment by Chetan Prakash on May 29, 2021 at 1:56pm

आदाब! ग़ज़ल  का प्रयास  किया  है, आपने ! पहले  शे'र में किंचित भटकाव है ! और  आखिरी  शे'र में भी ! किन्तु नजर में  बहुत ज्यादा  नहीं चुभता ! हाँ दोनों मिसरों में 'अब' का दोहराव  नहीीं होना चाहिए  !

'

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय Sanjay Shukla जी आदाब  ओ.बी.ओ के नियम अनुसार तरही मिसरे को मिलाकर  कम से कम 5 और…"
3 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"नमस्कार, आ. आदरणीय भाई अमित जी, मुशायरे का आगाज़, आपने बहुत खूबसूरत ग़ज़ल से किया, तहे दिल से इसके…"
13 minutes ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आसमाँ को तू देखता क्या है अपने हाथों में देख क्या क्या है /1 देख कर पत्थरों को हाथों मेंझूठ बोले…"
25 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"2122 1212 22 बेवफ़ाई ये मसअला क्या है रोज़ होता यही नया क्या है हादसे होते ज़िन्दगी गुज़री आदमी…"
43 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"धरा पर का फ़ासला? वाक्य स्पष्ट नहीं हुआ "
56 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय Richa Yadav जी आदाब। ग़ज़ल के अच्छे प्रयास के लिए बधाई स्वीकार करें। हर तरफ शोर है मुक़दमे…"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"एक शेर छूट गया इसे भी देखिएगा- मिट गयी जब ये दूरियाँ दिल कीतब धरा पर का फासला क्या है।९।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई अमित जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल से मंच का शुभारम्भ करने के लिए बहुत बहुत हार्दिक…"
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी आदाब।  ग़ज़ल के अच्छे प्रयास के लिए बधाई स्वीकार…"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"2122 1212 22 बात करते नहीं हुआ क्या है हमसे बोलो हुई ख़ता क्या है 1 मूसलाधार आज बारिश है बादलों से…"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"खुद को चाहा तो जग बुरा क्या है ये बुरा है  तो  फिर  भला क्या है।१। * इस सियासत को…"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"सादर अभिवादन, आदरणीय।"
5 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service