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मनोज अहसास's Blog (146)

अहसास की ग़ज़ल:मनोज अहसास

2×15

कोशिश इतनी भी मत कीजे यादों को झुठलाने में ।

आँखों मे आँसू भर जायेगे ज्यादा मुस्काने में।

और भी कोई चीज़ बची है क्या तेरे मैखाने में,

सारे ग़म तो मिला दिए तूने मेरे पैमाने में।

बरस हज़ारों बीत गए हो जैसे तुझको देखे बिना,

बीस साल की गिनती तो मैं गिनता हूँ अनजाने में।

कोई फैसला लिखने बैठेगा तो उससे पूछूगा,

सारी गवाही पूरी हैं या देर है उनके आने में।

इतना पता मिल जाता बस वो सही सलामत रहते हैं,

अब तो…

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Added by मनोज अहसास on July 12, 2023 at 12:02am — No Comments

अहसास की ग़ज़ल:मनोज अहसास

1222   1222  1222   1222

वही इक ख्वाब तो अपनी निगाहों ने भी देखा था।

हमारे पास कोशिश थी,तुम्हारे पास पैसा था।

तुम्हारे हक़ में आया फैसला तो कैसा अचरज हो,

मेरी आँखों में मिन्नत थी, तेरे कदमों का रुतबा था।

कहीं से भी नहीं लगता तेरी हस्ती से अब संगदिल,

यही वो शख्स है मैं जिसके ख़्वाबों में भी रहता था।

तेरा रुख ऐसा होगा ये अगर महसूस हो जाता,

कभी भी मैं नहीं कहता तू मुझसे प्यार करता था।

रिहाई जाने कब…

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Added by मनोज अहसास on July 10, 2023 at 1:06am — 2 Comments

अहसास की ग़ज़ल:मनोज अहसास

2122   2122    2122   212

हमने तो मुद्दत से उनका ख्वाब भी देखा नहीं

लग रहा है इस दिए में तेल अब ज्यादा नहीं

ज़िन्दगी का क्या भरोसा डगमगाते दौर में

आप तक ले जाये ऐसा तो कोई रस्ता नहीं

शायरी भी बोझ दिल का बन गयी है दोस्तो

वो कोई कैसे पढ़ेगा जो मैं लिख सकता नहीं

तुम अगर आ जाओ अब भी तो ही क्या हो जाएगा

मैं नहीं,तुम भी नहीं वो,वक़्त भी वैसा नहीं

एक सूरत लेकिन अब भी है मेरे उद्धार की

पर सिवा तेरे किसी में ध्यान भी…

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Added by मनोज अहसास on April 25, 2023 at 11:43pm — 5 Comments

अहसास की ग़ज़ल:मनोज अहसास

एक ताज़ा ग़ज़ल जो अधूरी लगती है

122 122 1212 122 122 1212

मेरे साथ लम्हें गुज़ार ले,मुझे भूलने का ख्याल क्यों?

मुझे इस भंवर से उबार ले,मुझे भूलने का ख्याल क्यों?

भले आज तुझसे मैं दूर हूँ, किसी बेबसी का सुरूर हूँ

मुझे फिर से दिल में उतार ले,मुझे भूलने का ख्याल क्यों?

मैं तेरी नज़र का करार था ,तेरे सूने मन की बहार था।

मुझे गौर से तो निहार ले ,मुझे भूलने का ख्याल क्यों?

मुझे देख ले फिर उसी तरह,मेरे पास आजा किसी तरह

मुझे चाँद कह के पुकार ले,मुझे भूलने…

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Added by मनोज अहसास on April 18, 2023 at 11:17pm — 2 Comments

अहसास की ग़ज़ल:मनोज अहसास :इस्लाह के लिए

2122 1122 1122 22

उठ के चल राह में तू मेरी उजाले कर दे

या कि चुपचाप मुझे मेरे हवाले कर दे

तुझको पीना है मेरा खून अभी मुद्दत तक

मेरे हिस्से में भी दो चार निवाले कर दे

अपनी तकदीर से ज्यादा तुझे शक है मुझपर

मेरे पीछे तू कईं देखने वाले कर दे

ये भी मुमकिन है बदल दे मुझे रस्तों का मिजाज़

ये भी मुमकिन है तेरे पाँवों में छाले कर दे

तोड़ डाला है हवाओं ने भरम मेरा तो

कहीं ये दौर तेरे…

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Added by मनोज अहसास on April 13, 2023 at 11:22pm — No Comments

अहसास की ग़ज़ल:मनोज अहसास :इस्लाह के लिए

2122   2122   2122  212

तुम हमारे दौर के इक रहनुमा हो तो हँसों।

नाच कठपुतली का जग में हो रहा देखो हँसों।1

इश्क़ वालों ने किसी भी दौर में पाया न चैन,

सूखी आँखों से सभी की दास्तां लिक्खो, हँसों।2

मुझको दिल से है ज़रूरत अपने घर की छांव की,

मेरे पथ में बिछ चुके हर खार को देखो,हँसों।3

घर किसी का तोड़ने फिर आ गई है वो मशीन,

खूब दिल से ये तमाशा देखने वालों हँसों ।4

चूर हो जाओगे तुम टकरा के इन…

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Added by मनोज अहसास on April 1, 2023 at 12:04am — 2 Comments

अहसास की ग़ज़ल:मनोज अहसास

2122    2122     2122     212

ज़िन्दगी बेशक ज़रा छोटी हो पर ऐसी न हो।

जिसमें अपने पास सुनने वाला भी कोई न हो।

तुम ज़रा कह दो उसे पापा सुबह तक आएंगे,

मेरी बेटी आज फिर जिद में अगर सोई न हो।

फासलों का क्या भरोसा वक़्त की सब बात है,

वो शिकायत मत सुना जो दिल से खुद तेरी न हो।

अब यहाँ से लौट कर जाना तो मुमकिन है नहीं,

वो जगह भी देख ले जो आज तक देखी न हो।

आपके होने से इतना तो भरोसा है मुझे,

एक तो शै है जो…

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Added by मनोज अहसास on March 25, 2023 at 7:08pm — 2 Comments

अहसास की ग़ज़ल:मनोज अहसास :इस्लाह के लिए

1222×4

एक ताज़ा ग़ज़ल प्रस्तुत है मित्रों इसमें यह सुझाव देने की कृपा करें कि यदि तक की जगह भी कर दिया जाए तो कैसा रहेगा

वफ़ा के रास्ते पे कोई रहबर तक नहीं आता

किसी का ज़िक्र क्या वो अपना होकर तक नहीं आता

मैं अपनी जिंदगी उस रास्ते पर छोड़ आया था

जहाँ से अब कोई रास्ता मेरे घर तक नहीं आता

तुम्हारा दुख वहीं चौखट पे लग के रोता रहता है

सौ जमघट देख कर वो दिल के भीतर तक नहीं…

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Added by मनोज अहसास on March 22, 2023 at 11:00pm — No Comments

अहसास की ग़ज़ल:मनोज अहसास

1222×4

ज़रा सा और मैं दुनिया के ग़म में चूर हो जाता

हमारे बीच का ये फासला भरपूर हो जाता

मैं जैसे रोज जलता हूँ तेरी यादों की बारिश में

किसी दिन तू भी मुझसे मिलने को मजबूर हो जाता

मैं अपने आप से लड़कर भी अक्सर हार जाता हूँ

ज़माने से अगर लड़ता तो चकनाचूर हो जाता

इसी डर ने मुझे तुझ तक पहुँचने से सदा रोका

मेरे साये से तेरा नाम ही बेनूर हो जाता

तेरी बातें बहुत दिन बाद इक हमदर्द से की तो

मुझे…

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Added by मनोज अहसास on March 17, 2023 at 11:16pm — 5 Comments

अहसास की ग़ज़ल:मनोज अहसास

2×15

एक ताज़ा ग़ज़ल

टुकड़े टुकड़े में दिन बीता और पहाड़ सी रात कटी।

तेरी उल्फत में जाने जां ज़ीस्त यूँ ही बेबात कटी।

तूने छीन के अँधियारों से मुझको दिया नया जीवन,

तू क्या जाने फिर तेरे बिन कैसे ये सौगात कटी।

इस दुनिया की सबसे पुरानी शर्त है उपयोगी होना ,

उसका मर जाना बेहतर है जिस घोड़े की लात कटी।

चाहत के दो कतरे पीकर जीवन भर सुलगा जीवन,

खुद को लम्हा लम्हा जलाके ये तेरी खैरात कटी।

कैद कर लिया है खुद को बस…

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Added by मनोज अहसास on January 28, 2023 at 11:25pm — 2 Comments

अहसास की ग़ज़ल:मनोज अहसास

221 2121 1221 212

मुश्किल में अपने इश्क़ की यूँ देखभाल कर।

अपने कहे का ,अपने लिखे का ख़्याल कर।

महसूस हो न दिल मे कभी उसकी याद तो,

अपने ज़मीर को जगा के सौ सवाल कर।

इक तरफा प्यार फिर भी बहुत कामयाब है,

खुद में ही उलझे रहना है सिक्के उछाल कर।

हम ही नहीं थे आपकी महफ़िल की रौशनी,

अच्छा किया है आपने दिल से निकाल कर।

ये चार दिन की बात तो मेरे लिए थी बस,

तू चाँदनी को रखना हमेशा संभाल कर।

कुदरत के…

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Added by मनोज अहसास on January 22, 2023 at 12:06am — 5 Comments

अहसास की ग़ज़ल:मनोज अहसास

12122   12122   12122    12122

तेरे ख्यालों के अंजुमन में हज़ार पहरे लगे हुए हैं

सजाये कैसे ग़ज़ल का दामन गुनाहों में हम रंगे गए हैं

हमारे जैसा उदास कोई हमें कहीं भी नहीं मिला पर

हमारे दुख से बड़े बहुत दुख ज़माने भर में भरे पड़े हैं

कभी नहीं वो कहेंगे हमसे के उनके दिल में है प्यार अब भी

सकार को भी जिया था हमने नकार को भी समझ रहे हैं

ये ज़िन्दगी की उदास खुशबू जो बस गयी है मेरी रगों में

ज़रा सा खुश हूँ मैं इसमें क्योंकि तुम्हारें…

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Added by मनोज अहसास on January 20, 2023 at 8:00pm — 3 Comments

अहसास की ग़ज़ल:मनोज अहसास

2122  2122   2122   212

कौन सी मंज़िल पे ये रस्ता नया ले जाएगा।

मुझको लगता है ये मेरा हौसला ले जाएगा।

ऐ फरेबी वक़्त मुझको हर सितम तेरा कुबूल,

मेरी साँसों से अधिक तू मेरा क्या ले जाएगा।

ये अँधेरा युग तो इक दिन बीत जाएगा मगर,

कीमती मौसम हमारी उम्र का ले जाएगा।

इससे पहले वक़्त अपनी चाल चल दे डाकिये,

उससे कहना मेरे होने का पता ले जाएगा।

टूट जाएगा मेरी उम्मीद का सच जानकर,

मेरी ग़ज़लों को कुरेदा तो…

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Added by मनोज अहसास on December 26, 2022 at 12:15am — 11 Comments

अहसास की ग़ज़ल:मनोज अहसास

2122    2122     2122     212

पीर को,अनुराग को, पछतावे को, संताप को।

छोड़कर कैसे चलूँ, मुश्किल में,अपने आप को।

मन घिरा है वासना में,और मर्यादा में तन,

अर छुपाना भी कठिन है,उबले जल की भाप को

अब यहाँ से वापसी का रास्ता कोई नहीं,

मुश्किलों से पँहुचे हो,समझाओ अपने आपको।

मेघ ऐसे घिर गए हैं सूर्य धूमिल हो गया,

कामनाओं की नदी पर चाहती है ताप को।

हमको खुद को दर्द देने के बहाने चाहिए,

सौ सबब*…

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Added by मनोज अहसास on November 25, 2022 at 5:14pm — 6 Comments

अहसास की ग़ज़ल:मनोज अहसास

221   2121    1221    212

बेहद ज़रूरी है तू सभी को बिसार कर,

कुछ रोज अपने आप से जी भर के प्यार कर।

उलझन हो तेरी खत्म, मेरा दर्द भी मिटे,

इक बार मेरे दिल पे ज़रा दिल से वार कर।

कुछ फासले अधूरे हैं अब भी हमारे बीच,

इतना सफर इक दूसरे के बिन गुजार कर।

लगता है मैं भी मतलबी सा हो गया हूँ अब

सारी उमर की ख्वाहिशें दिल में ही मार कर।

अहसान भी हो जाएगा और दाम भी अलग

इस दौर में तू सोच समझ कर उधार…

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Added by मनोज अहसास on November 2, 2022 at 11:06pm — 4 Comments

अहसास की ग़ज़ल:मनोज अहसास

221   2121   1221   212



कल रात तेरे शहर से गुज़रे तमाम रात।

ख़्वाबों में हमने देखे वो रस्ते तमाम रात।

मायूसी औ थकन के सिवा कुछ नहीं मिला,

बोझिल सहर की आस में जागे तमाम रात।

जलती ज़मीं की प्यास बुझाने के वास्ते,

तारे फ़लक की गोद में रोये तमाम रात।

अब मिल रही है हमको सज़ा हर गुनाह की,

ख़त तुझको एक उम्र लिखे थे तमाम रात।

मैं शायरी को छोड़के भी खुश न रह सका,

मिसरे महीनों आँखों में तड़पे तमाम…

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Added by मनोज अहसास on August 21, 2022 at 11:00pm — 8 Comments

अहसास की ग़ज़ल::; मनोज अहसास

2122    2122     2122     212

है तेरे दम से ही रौशन मेरे जीवन की बहार।

तू नहीं तो ज़िन्दगी में मिल नहीं सकता करार।

पास तेरे रहने का हासिल नहीं है वक़्त पर ,

मेरी साँसों में बसा है तेरी साँसों का खुमार।

ज़िन्दगी की उलझनों से तंग आ जाता हूँ जब,

याद आ जाता है मुझको तब तेरी बाहों का हार।

हर घड़ी तेरी कमी महसूस होती है यहाँ,

ये पराया शहर मुझको तोड़ता है बार बार।

फासले ऐसे भी होंगे ये कभी सोचा न था,

है सफर इक रात का…

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Added by मनोज अहसास on May 10, 2022 at 10:30pm — 3 Comments

अहसास की ग़ज़ल::; मनोज अहसास

नज़र में उलझन भरी हुई है, तमाम रस्ते उजड़ गये हैं ।

सँभलना जितना भी हमने चाहा, हम उतने ज्यादा बुरे गिरे हैं।

हमारे जैसा उदास कोई, हमें कहीं भी नहीं मिला पर,

हमारे दुख से बड़े बहुत दुख ज़माने भर में भरे पड़े हैं।

कभी नहीं वो कहेंगे हमसे, के उनके दिल में है प्यार अब भी,

सकार को भी जिया था हमने नकार को भी समझ रहे हैं।

ये ज़िन्दगी की उदास खुशबू ,जो बस गयी है मेरी रगों में,

ज़रा सा खुश हूँ मैं इसमें क्योंकि तुम्हारें ग़म भी सजे हुए…

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Added by मनोज अहसास on April 28, 2022 at 5:38pm — 6 Comments

अहसास की ग़ज़ल::; मनोज अहसास

2×15

दूर कहीं पर धुंआ उठा था दम घुटता था मेरा भी

ख़्वाब में मैंने देख लिया था दिल सुलगा था मेरा भी

एक अदद मिसरा जो दिल से निकले और पहुँचे दिल तक

हर सच्चे शाइर की तरहा ये सपना था मेरा भी

टुकड़े टुकड़े दिल है पर मरने की चाह नहीं होती

तेरे अहसानों के बदले इक वादा था मेरा भी

मेरी आँखों की लाचारी तुम भी समझ नहीं पाए

खारे पानी के दरिया में कुछ हिस्सा था मेरा भी

दिल को यही दिलासा देकर काट रहा हूँ तन्हाई

इस मिट्टी के…

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Added by मनोज अहसास on March 29, 2022 at 12:18am — 6 Comments

अहसास की ग़ज़ल : मनोज अहसास

2122     2122      2122      212

वक्त इतना भी कठिन कब है,ज़रा महसूस कर।

एक रोशन दिन की ये शब है,ज़रा महसूस कर।

खुद को तन्हा कहना तेरी भूल है, इतना समझ

हर कदम साथी तेरा रब है,ज़रा महसूस कर।

मिल ही जाएगी तेरी मंज़िल अगर चलता रहा

रास्ता थोड़ा सा ही अब है,ज़रा महसूस कर।

तू नहीं पहला बशर है ठोकरों की चोट में,

सालों से चलने का ये ढब है ज़रा महसूस कर।

बेबसी, मायूसियाँ,नाक़ामियाँ, रुसवाईयाँ,

जिंदगी की ये ही तो…

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Added by मनोज अहसास on January 26, 2022 at 11:00pm — 2 Comments

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