For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

 वृद्धाश्रम के द्वार पर विधवा माँ को छोड़कर जाते समय बेटे ने उसका मोबाइल अपने कब्जे में किया और जाते हुए बोला, ‘तुम यहाँ आराम से रहना. इसकी अब तुम्हें जरूरत ही क्या. मैं आकर हाल लेता रहूँगा ‘

बेटा चला गया तब माँ की आँखों के रुके आंसू बाहर निकलने को बेताब हुए .

’तुम्हारी कोई बेटी नही है क्या ?’- अचानक व्यवस्थापिका ने आकर उससे पूछा .

‘नही, पर क्यों ?’- उसने धीरे से कहा.

‘इसलिए कि आज तक कोई बेटी अपनी माँ को वृद्धाश्रम छोड़ने नही आयी’

‘सच कहती हो बहन, मैंने दो बार अपना एबॉर्शन सिर्फ इसलिए कराया था, कि एक बेटा मेरी गोद में आये. उसका प्रायश्चित तो मुझे करना ही होगा ‘

(मौलिक/अप्रकाशित )

Views: 680

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on April 8, 2018 at 1:36pm

आदरणीय डा. साहब..बहुत खूबसूरती से एक मर्मान्तक भाव रचना पेश की है आपने..नमन करता हूँ..

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on April 6, 2018 at 10:45pm

वाह.. आपने एक बार फिर से साबित कर हमें सिखाया है कि कितना भी चिर-परिचित/पुराना कथानक/कथ्य क्यों न हो, लेखक अपने शिल्प, कहन और परिकल्पना के सुनियोजित चतुर संयोजन से एक नवीनतम प्रभावोत्पादक और विचारोत्तेजक सृजन कर सकता है प्रवाहमय और दिलचस्प। हमारे समाज में आज भी ऐसे वाक्यात हो रहे हैं। मध्यम वर्गीय परिवार बेटियों से आस लगाए बैठे हैं या बेटियां ही उनका सहारा बनती हैं। लेकिन विपदा यह है कि या तो उन्हें जन्म ही लेने नहीं दिया जाता है या जन्म के बाद उनके साथ अन्याय होता रहता है। बेहतरीन सारगर्भित सृजन के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत मुबारकबाद मुहतरम जनाब डॉ. गोपाल नारायण श्रीवास्तव साहिब।

Comment by Sushil Sarna on April 6, 2018 at 1:33pm

वाह आदरणीय डॉ गोपाल जी भाई साहिब वाह .... एक यथार्थ को बड़े ही मार्मिक ढंग से आपने इस लघु कथा में दर्शाया है जिसका असर दिल में दूर तक हुआ है। इस सन्देश को कोई समझ ले तो भ्रूण हत्या , पुत्र मोह , लिंग भेद आदि समस्त समस्याओं का निदान हो सकता है और एक सुंदर समाज का निर्माण हो सकता है। फिर शायद किसी वृद्धाश्रम का निर्माण न हो। हार्दिक बधाई स्वीकार करें सर।

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 5, 2018 at 4:23pm

सुंदर लघु कथा 

Comment by Samar kabeer on April 5, 2018 at 11:40am

जनाब डॉ.गोपाल नारायण जी आदाब,अच्छी लघुकथा हुई है,बधाई स्वीकार करें ।

Comment by TEJ VEER SINGH on April 5, 2018 at 10:52am

हार्दिक बधाई आदरणीय डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी । बेहतरीन लघुकथा।

Comment by surender insan on April 5, 2018 at 8:40am

 बहुत खूब ।लघुकथा का बहुत अच्छा प्रयास बहुत बहुत बधाई हो।

Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 5, 2018 at 6:56am

बहुत खूब आ. डॉ गोपाल नारायण जी,
समाज के कडवे सच को दर्शाती इस लघुकथा पर बधाई  

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय तिलकराज भाईजी, मुझे उचित प्रतीत नहीं होता कि मैं उपर्युक्त संवाद-प्रक्रिया पर कुछ…"
37 minutes ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय रिचा यादव जी, प्रोत्साहन के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
42 minutes ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय लक्ष्मण धामहजी जी, प्रोत्साहन के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
43 minutes ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय मिथलेश जी, प्रोत्साहन के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
44 minutes ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"एक छोटा सा अंतर है किसी को अपना उस्ताद या गुरु मानते हुए संबाेधित करने और मंच पर किसी…"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय जयहिंद जी नमस्कार ख़ूब ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिए सादर"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल कही आपने गिरह भी ख़ूब है बधाई स्वीकार कीजिए सादर"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय दयाराम जी नमस्कार एक ग़ज़ल क ही आपने बधाई स्वीकार कीजिए सादर"
2 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"इतनी मुश्किल भी नहीं सच्ची कहानी लिखना एक राजा की मुहब्बत में है रानी लिखना उसकी तारीफ़ में जो…"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय जयहिंद जी बहुत शुक्रिया आपका  सादर"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय लक्ष्मण जी  बहुत शुक्रिया आपका  सादर"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय Aazi जी बहुत शुक्रिया आपका  सादर"
2 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service