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घुटन – लघुकथा  -

घुटन – लघुकथा  -

"जुम्मन मियाँ, यह क्या हो गया हमारे शहर को। तिरंगा फ़हराने  को लेकर दंगा फ़साद और मोतें"?

"सुखराम जी, यह केवल हमारे शहर का मसला नहीं है। ऐसी खतरनाक़ हवायें तो सारे देश में चल रहीं हैं। कहीं झंडे को लेकर, कहीं गाय को लेकर और कहीं मंदिर के बहाने"।

"अरे मियाँ, आजकल तो बलात्कार की भी बाढ़ सी आगयी है। वह भी नाबालिग बच्चियों के साथ। पता नहीं, ईश्वर कहाँ सोया पड़ा है"?

"सुखराम भाई, सब कुछ ईश्वर के भरोसे थोड़े ही चलता है। हमारी सरकार और प्रशासन की भी तो कोई जिम्मेवारी है कि नहीं"?

"सबसे बड़ी समस्या तो यही है कि सरकार के काम काज पर उंगली उठाते ही आप उनके दुश्मन हो जाते हो। जिसका खामियाज़ा बिना कारण भुगतना पड़ता है"।

"अब आप ही बताओ इन हालात में कोई शरीफ़ इंसान कैसे शुक़ून से जिये"?

 "भैया, कितनी भी ज़हरीली हवायें चलें, कभी ना कभी तो थमेंगी ही।सब्र रखो और स्वच्छ हवा का इंतज़ार करो"।

"पर भाई जी, इन ज़हरीली हवाओं से जो जान माल का नुक़सान होगा, उसकी भरपाई कैसे होगी"?

“ सरकार ने कुछ घोषणा की तो हैं”|

“ उसमें भी तो बंदर बाँट होगी”|

मौलिक एवम अप्रकाशित

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Comment by TEJ VEER SINGH on February 4, 2018 at 10:13am

हार्दिक आभार आदरणीय सुरेंदर इंसान जी।

Comment by surender insan on February 3, 2018 at 2:12pm

सोचने पर मजबूर करती बहुत अच्छी रचना की आपने ।बहुत बहुत बधाई हो।

Comment by TEJ VEER SINGH on February 3, 2018 at 11:10am

हार्दिक आभार आदरणीय बृजेश कुमार 'ब्रज' जी।

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on February 2, 2018 at 8:46pm

बहुत ही सही विषय उठाया है आदरणीय इस कथा के माध्यम से...सादर

Comment by TEJ VEER SINGH on February 2, 2018 at 7:42pm

हार्दिक आभार आदरणीय विजय निकोरे जी।

Comment by vijay nikore on February 2, 2018 at 1:18pm

इस अच्छी सामयिक लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई, आ० आदरणीय तेजवीर सिंह जी

Comment by TEJ VEER SINGH on February 1, 2018 at 9:24am

हार्दिक आभार आदरणीय  सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप' जी।

Comment by नाथ सोनांचली on February 1, 2018 at 3:59am

अच्छा व्यंग आद0 तेजवीर जी। इस सामयिक पुट के साथ लिखे गये लघुकथा पर मेरी बधाई स्वीकार करें।सादर

Comment by TEJ VEER SINGH on January 31, 2018 at 10:26pm

हार्दिक आभार आदरणीय तस्दीक अहमद खान साहब जी।

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on January 31, 2018 at 8:21pm

मुहतरम जनाब तेजवीर साहिब ,संदेश देती बहुत ही ज़बरदस्त लघुकथा हुई है ,मुबारकबाद क़ुबूल फरमायें।

 

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