For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लघुकथा - मंत्री जी का कुत्ता

लघुकथा - मंत्री जी का कुत्ता –
कलुआ ने जब से होश संभाला था वह मंत्री जी के ही साथ था।सुबह से रात तक, हर काम का भागीदार होता था।
आज मंत्री जी का दौरा उसी के गाँव में था।बड़ी दुविधा के साथ बरसों बाद गाँव आया था।लगभग सभी लोग उसे भूल चुके थे।मगर उसके बचपन के सखा हरिया ने उसे पहचान लिया।
"अरे कालीचरण भैया आप"?
"हरीराम, तुम पहचान लिये हमका"।
"क्या बात करते हो भैया, हम आपको भूल सकते हैं।आज हम आपकी वजह से जिंदा हैं।बचपन में भेड़िया से भिड़ गये थे, हमको बचाने के लिये"।
हरिया ने कलुआ की तरफ हाथ मिलाने की गरज़ से हाथ बढ़ाया।
"हम किसी से हाथ नहीं मिलाते"।
"भैया, हम आपके बचपन के मित्र हैं।हम तो जरूर मिलायेंगे"।
हरिया ने ज़बरन कलुआ का हाथ थाम लिया।अगले ही क्षण हाथ ऐसे झटका जैसे जलता कोयला हाथ में आगया हो।
"क्या भैया, आप क्या करते हो, आपके हाथ कैसे हो गये हैं"?
"कुछ मत पूछो हरीराम।हम तो मंत्री जी का कुत्ता हूँ।कुछ लोग चमचा भी बोलते हैं।जो मंत्री जी बोलते हैं, सब करते हैं।
"मगर भैया आपके हाथ ऐसे कैसे"?
"मंत्री जी के काले कारनामों का लेखा जोखा सब हम ही को संभालना पड़ता है ना"।
मौलिक एवम अप्रकाशित

Views: 662

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by TEJ VEER SINGH on October 12, 2017 at 3:32pm
हार्दिक आभार आदरणीय "रौनक" जी।
Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on October 11, 2017 at 5:24pm

"मंत्री जी के काले कारनामों का लेखा जोखा सब हम ही को संभालना पड़ता है ना"। बढ़िया तंज़ | बहुत बढ़िया कथा आदरणीय हार्दिक बधाई आपको |

Comment by TEJ VEER SINGH on October 9, 2017 at 12:42pm
हार्दिक आभार आदरणीय सुरेन्द्र नाथ सिंह जी।
Comment by TEJ VEER SINGH on October 9, 2017 at 12:31pm
हार्दिक आभार आदरणीय शेख उसमानी जी।
Comment by TEJ VEER SINGH on October 9, 2017 at 12:29pm
हार्दिक आभार आदरणीय समर कबीर साहब जी।
Comment by TEJ VEER SINGH on October 9, 2017 at 12:26pm
हार्दिक आभार आदरणीय मोहम्मद आरिफ जी।
Comment by नाथ सोनांचली on October 9, 2017 at 5:48am
आद0 तेजवीर जी सादर अभिवादन, बेहतरीन कथानक,बढ़िया कटाक्ष। वाकई कोयले के साथ रहने पर हाथ काले होंगे ही। बधाई इस प्रस्तुति पर तेजवीर जी। सादर
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on October 8, 2017 at 6:48pm
अधीनस्थ के कंधे पर रख कर गोली चलाना या भ्रष्टाचारण उन पर थोपना बड़े लोगों की प्रवृत्ति है। सच उजागर करती बढ़िया प्रस्तुति के लिए सादर हार्दिक बधाई आदरणीय तेज वीर सिंह जी।
Comment by Samar kabeer on October 8, 2017 at 5:46pm
जनाब तेजवीर सिंह जी आदाब,अच्छी लगी आपकी लघुकथा,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
Comment by Mohammed Arif on October 8, 2017 at 1:41pm
आदरणीय तेजवीर सिंह जी आदाब, बेहतरीन कथानक, अच्छा कथ्य और सायिक कटाक्ष । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
2 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। बोलचाल में दोनों चलते हैं: खिलवाना, खिलाना/खेलाना।…"
16 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आपका आभार उस्मानी जी। तू सब  के बदले  तुम सब  होना चाहिए।शेष ठीक है। पंच की उक्ति…"
16 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"रचना भावपूर्ण है,पर पात्राधिक्य से कथ्य बोझिल हुआ लगता है।कसावट और बारीक बनावट वांछित है। भाषा…"
16 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदरणीय शेख उस्मानी साहिब जी प्रयास पर  आपकी  अमूल्य प्रतिक्रिया ने उसे समृद्ध किया ।…"
17 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदाब। इस बहुत ही दिलचस्प और गंभीर भी रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब।  ऐसे…"
17 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"जेठांश "क्या?" "नहीं समझा?" "नहीं तो।" "तो सुन।तू छोटा है,मैं…"
19 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक स्वागत आदरणीय सुशील सरना साहिब। बढ़िया विषय और कथानक बढ़िया कथ्य लिए। हार्दिक बधाई। अंतिम…"
22 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"माँ ...... "पापा"। "हाँ बेटे, राहुल "। "पापा, कोर्ट का टाईम हो रहा है ।…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"वादी और वादियॉं (लघुकथा) : आज फ़िर देशवासी अपने बापू जी को भिन्न-भिन्न आयोजनों में याद कर रहे थे।…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"स्वागतम "
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service