For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"सुशील , शालिनी को लेने कब जाएगा ?" माँ ने चिंतित स्वर में कहा ।
" कब है रक्षा-बंधन ?"
"बस ! आज से ठीक चार दिन बाद ।
"मगर...मगर...।"
" क्या मगर , मगर ।'
" कुछ नहीं माँ.....।"
अब सुशील माँ से कैसे कहे कि उसने शालिनी की मोटी उधार की रकम आज तक नहीं चुकाई जो माँ के बग़ैर पूछे ले आया था ।
मौलिक एवं अप्रकाशित ।

Views: 644

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Mohammed Arif on August 7, 2017 at 8:30am
बहुत-बहुत आभार आदरणीय सुरेंद्रनाथ जी । आपकी उत्साहवर्धक टिप्पणी से लेखन सार्थक हो गया ।
Comment by नाथ सोनांचली on August 7, 2017 at 8:27am
जनाब मोहम्मद आरिफ भाई जी सादर अभिवादन, लघुकथा का शानदार रूप,बहुत खूब,दिल खोल कर बधाई लीजिये।सादर
Comment by Mohammed Arif on August 6, 2017 at 11:03pm
आदरणीय मोहित मुक्त जी आपकी टिप्पणी और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत-बहुत आभार ।
Comment by Mohammed Arif on August 6, 2017 at 11:00pm
आदरणीय तस्दीक़ अहमद साहब आपकी टिप्पणी से संबल मिला । बहुत-बहुत आभार ।
Comment by Mohammed Arif on August 6, 2017 at 10:58pm
आली जनाब मोहतरम समर कबीर साहब आदब, आपकी हौसला अफज़ाई , निरपेक्ष टिप्पणी से काफी संबल मिला । बहुत-बहुत आभार ।
Comment by Mohammed Arif on August 6, 2017 at 6:47pm
आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी आदाब,आपकी पहली सटीक , निरपेक्ष प्रतिक्रिया ने ने सफल लघुकथा होने की मुहर लागा दी । मुझे हमेशा आपकी और आली जनाब समर कबीर साहब की प्रतिक्रिया का इंतज़ार रहता है । बहुत-बहुत शुक्रिया ।
Comment by Tasdiq Ahmed Khan on August 6, 2017 at 3:42pm
मुहतरम जनाब आरिफ साहिब ,गागर में सागर भर दिया अपने ,उम्दा लघुकथा ,मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं। उस्मानी साहिब की प्रतिक्रिया में अपने गलती मेरा नाम टाइप करदिया है
Comment by Samar kabeer on August 6, 2017 at 2:34pm
जनाब मोहम्मद आरिफ़ साहिब आदाब,कम शब्दों में बड़ी बात कहना भी एक फ़न है, जो सबको नहीं आता,बहुत उम्दा और कामयाब लघुकथा के लिये दिल से बधाई स्वीकार करें ।
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on August 6, 2017 at 9:56am
'रक्षाबंधन' को सार्थक करती एक-दूसरे के प्रति 'कर्ज़/उधारी/दायित्व' आदि के बंधन को उभारती छोटी-सी, किन्तु विचारोत्तेजक बढ़िया प्रस्तुति के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत बधाई मुहतरम जनाब मोहम्मद आरिफ़ साहब। यह दुविधा की स्थिति कई भाईयों या बहिनों के साथ रहती/रह सकती है। सत्य व यथार्थ। सादर।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Shyam Narain Verma commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"नमस्ते जी, बहुत ही सुन्दर और ज्ञान वर्धक लघुकथा, हार्दिक बधाई l सादर"
12 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
23 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
23 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। बोलचाल में दोनों चलते हैं: खिलवाना, खिलाना/खेलाना।…"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आपका आभार उस्मानी जी। तू सब  के बदले  तुम सब  होना चाहिए।शेष ठीक है। पंच की उक्ति…"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"रचना भावपूर्ण है,पर पात्राधिक्य से कथ्य बोझिल हुआ लगता है।कसावट और बारीक बनावट वांछित है। भाषा…"
yesterday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदरणीय शेख उस्मानी साहिब जी प्रयास पर  आपकी  अमूल्य प्रतिक्रिया ने उसे समृद्ध किया ।…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदाब। इस बहुत ही दिलचस्प और गंभीर भी रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब।  ऐसे…"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"जेठांश "क्या?" "नहीं समझा?" "नहीं तो।" "तो सुन।तू छोटा है,मैं…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक स्वागत आदरणीय सुशील सरना साहिब। बढ़िया विषय और कथानक बढ़िया कथ्य लिए। हार्दिक बधाई। अंतिम…"
yesterday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"माँ ...... "पापा"। "हाँ बेटे, राहुल "। "पापा, कोर्ट का टाईम हो रहा है ।…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"वादी और वादियॉं (लघुकथा) : आज फ़िर देशवासी अपने बापू जी को भिन्न-भिन्न आयोजनों में याद कर रहे थे।…"
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service