For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तुम्हारे हृदय में ....

तुम्हारे हृदय में ...

ये
समय ठहरा था
या कोई स्मृति
वाचाल बन
मेरी शेष श्वासों के साथ
चन्दन वन की गंघ सी
मुझे
कुछ पल और
जीवित रखने का
उपक्रम कर रही थी

ये
समय का कौन सा पहर था
मैं पूर्णतयः अनभिज्ञ था
अपनी क्लांत दृष्टि से
धुंधली होती छवियों में
स्वयं को समाहित कर
अपने अंत को
कुछ पल और
जीवित रखने का
असफ़ल
प्रयास कर रहा था
शायद किसी के
इंतज़ार में

तुम
व्यर्थ ही
अनबिंधे मोती सी
मेरी श्वासमाल में
अंतिम छोर को ढके
मेरी चेतना के व्योम को
अपनी थपकियों से
अचेतन के भय से
मुक्त करने का
प्रयास कर रही हो

देखो
अब प्रकाश और
अन्धकार का भेद
धीरे धीरे
चेतना के साथ
शून्यता में लुप्त हो रहा है

महसूस कर रहा हूँ
तुम्हारी आंखों में
वेदना के सागर से गिरती
गर्म लावे की बूंदों को
जो अपने कपोलों पर
खारेपन को छोड़ती हुई
अतृप्त अनुभूति से
मेरी देह को सपन्दित
कर रही है

उदय और अस्त को
कब कोई रोक पाया है
मिटते ही
सायों के वज़ूद
अफ़साने
अमर हो जाते हैं
लफ्ज़
रूह बन जाते है
कहाँ मिटते हैं
मिट के भी
वो तो
वक़्त के अधरों पे
सदियों के लिए
नग्मों के
ख़ज़ाने बन जाते हैं

प्रिय
अब विलाप को
विश्राम दो
क्योंकि
अब
मेरा अंत
अंत नहीं
बल्कि
तुम्हारे हृदय में
कभी न अस्त होने वाला
आरम्भ बन जाएगा

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 587

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on July 8, 2017 at 1:55pm

आदरणीय विजय निकोर साहिब प्रस्तुति के भावों को अपने स्नेह से पोषित करने का दिल से आभार। 

Comment by vijay nikore on July 7, 2017 at 12:24pm

बहुत ही सुन्दर भाव, ऐसे कि बार-बार पढ़ने को मन किया। आपको हार्दिक बधाई, भाई सुशील जी।

Comment by Sushil Sarna on July 5, 2017 at 1:58pm

आदरणीय  narendrasinh chauhan जी  सृजन को अपने स्नेह से शोभित करने का हार्दिक आभार। 

Comment by Sushil Sarna on July 5, 2017 at 1:57pm

आदरणीय समर कबीर साहिब , आदाब  ... सृजन को अपने स्नेह से अलंकृत करने का हार्दिक आभार। आपके द्वारा इंगित संशोधन कर दिए हैं। सृजन को अपना अमूल्य समय देने का हार्दिक आभार। 

Comment by Sushil Sarna on July 5, 2017 at 1:54pm

आदरणीय मो.आरिफ साहिब सृजन के भावों को आत्मीय मान देने का हार्दिक आभार।

Comment by narendrasinh chauhan on July 4, 2017 at 6:36pm

लाजवाब।  खूब सुंदर रचना के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार  करे 

Comment by Samar kabeer on July 4, 2017 at 2:50pm
जनाब सुशील सरना जी आदाब,बहुत उम्दा कविता हुई है,अंतिम पलों का बहुत ख़ूबी से इज़हार किया गया है,इस प्रस्तुति पर दिल से बधाई स्वीकार करें ।
23वीं पंक्ति 'शायद किसी का'को "शायद किसी के"कर लें ।
कुछ पंक्तियां रीपीट हो गई हैं उन्हें भी देख लें ।
Comment by Mohammed Arif on July 3, 2017 at 10:54pm
आदरणीय सुशील सरना जी आदाब,बहुत ही सुंदर भावों की बगिया महकी है । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय नीलेश जी "समझ कम" ऐसा न कहें आप से साहित्यकारों से सदैव ही कुछ न कुछ सीखने को मिल…"
12 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय गिरिराज जी सदैव आपके स्नेह और उत्साहवर्धन को पाकर मन प्रसन्न होता है। आप बड़ो से मैं पूर्णतया…"
12 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय रवि शुक्ला जी रचना की विस्तृत समीक्षा के लिए आपका हार्दिक अभिनन्दन और आभार व्यक्त करता हूँ।…"
12 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आ. बृजेश जी मुझे गीतों की समझ कम है इसलिए मेरी टिप्पणी को अन्यथा न लीजियेगा.कृष्ण से पहले भी…"
16 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"आ. रवि जी ,मिसरा यूँ पढ़ें .सुन ऐ रावण! तेरा बचना है मुश्किल.. अलिफ़ वस्ल से काम हो…"
17 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. रवि जी,ग़ज़ल तक आने और उत्साह वर्धन का धन्यवाद ..ऐ पर आपसे सहमत हूँ ..कुछ सोचता हूँ…"
17 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"अनुज बृजेश , प्रेम - बिछोह के दर्द  केंदित बढ़िया गीत रचना हुई है , हार्दिक बधाई आदरणीय…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय रवि भाई  ग़ज़ल पर उपस्थिति  हो  उत्साह वर्धन  करने के लिए आपका…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"अनुज बृजेश ,  ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका आभार , मेरी कोशिश हिन्दी शब्दों की उपयोग करने की…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय अजय भाई ,  ग़ज़ल पर उपस्थिति हो  उत्साह वर्धन करने के लिए आपका आभार "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"आ. नीलेश भाई ग़ज़ल पर उपस्थिति और उत्साह वर्धन के लिए आपका आभार "
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service