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मुझे लूटो कि कांधों में अभी जुन्नार बाक़ी है
मेरे सर पे अभी पुरखों की ये दस्तार बाक़ी है
लड़ाई के सभी जज़्बे तिरोहित हो गये यारों
अना से मेल खाता सा कोई हथियार बाक़ी है
इशारों ने इशारों की बहुत बातें सुनी, लेकिन
अभी गुफ़्तार में शामिल बहुत इक़रार बाक़ी है
दरारें जिस तरह खाई बनीं इस से तो लगता है
अभी भी बीच में अपने कोई दीवार बाक़ी है
गदा बन कर तेरे दर पे बहुत आया मेरे मौला
मेरे घर में, तेरा आना, मगर इक बार बाक़ी है
क़िसी टुट पूंजिये को घेर कर इतना न इतराओ
अभी उस पार सीना ठोकता सरदार बाक़ी है
अलाने डे फलाने डे मनाते यूँ न बहको तुम
मेरे बच्चों अभी राखी सा भी त्यौहार बाक़ी है
सँभलना, छू नहीं बातों को मेरी, दूर ही रहना
पुरानी है बहुत लेकिन अभी भी धार बाक़ी है
किनारा तो किनारा है समझना क्या इसे यारों
सफ़ीनों के समझने को अभी मझधार बाक़ी है
जमाने के सभी फेंके हुये पत्थर हटाया, पर
मेरे अपने ने फेंका था वही इक ख़ार बाक़ी है
कहीं ऐसा न हो नफ़रत तुम्हारी ख़ुद बदल जाये
मेरे सीने में सागर सा अभी तक प्यार बाक़ी है
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मौलिक एवँ अप्रकाशित
Comment
अलाने डे फलाने डे मनाते यूँ न बहको तुम
मेरे बच्चों अभी राखी सा भी त्यौहार बाक़ी है...क्या बात है
जमाने के सभी फेंके हुये पत्थर हटाया, पर....भाईसाब हटाया /हटाये ...आप देखिएगा
कहीं ऐसा न हो नफ़रत तुम्हारी ख़ुद बदल जाये
मेरे सीने में सागर सा अभी तक प्यार बाक़ी है ...क्या बात है ..आदरणीय भाईसाब हर शेर उम्दा गहराई लिए अशारों के इस ग़ज़ल रूपी गुलदस्ते को सलाम आपको बधाई सादर
जमाने के सभी फेंके हुये पत्थर हटाया, पर
मेरे अपने ने फेंका था वही इक ख़ार बाक़ी है
कहीं ऐसा न हो नफ़रत तुम्हारी ख़ुद बदल जाये
मेरे सीने में सागर सा अभी तक प्यार बाक़ी है
बहुत ही खूबसूरत अशआर कहे है सर आपने …सर अगर बुरा न माने तो क्षमा सहित इस पंक्ति में एक वचन और बहु वचन पर अटक गया हूँ जमाने के सभी फेंके हुये पत्थर हटाया, पर … इसमें फेंके हुये और पत्थर में मेल नहीं हो रहा या तो ये फेंका हुआ हो या पत्थरों हो .... शेष आप अधिक बेहतर जानते हैं … ये मेरा भ्रम भी हो सकता है … कृपय शंका का समाधान करें … कृपया मेरे दृष्टिकोण को अन्यथा न लेवें।
वाह अनुज ! सुभान अल्लाह.क्या खूबसूरत गजल है पर भैय्या उर्दू के कठिन शब्द पूरा जायका नहीं लेने देते , अर्थ भी दिया करो मित्र .
गदा बन कर तेरे दर पे बहुत आया मेरे मौला
मेरे घर में, तेरा आना, मगर इक बार बाक़ी है
कहीं ऐसा न हो नफ़रत तुम्हारी ख़ुद बदल जाये
मेरे सीने में सागर सा अभी तक प्यार बाक़ी
सभी शेर एक से बढ़ कर एक हैं ...बधाई सुंदर प्रस्तुति के लिये.... सादर
बहुत शानदार ग़ज़ल
गदा बन कर तेरे दर पे बहुत आया मेरे मौला
मेरे घर में, तेरा आना, मगर इक बार बाक़ी है....बहुत खूब वाह
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