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धार्मिक साहित्य

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धार्मिक साहित्य

इस ग्रुप मे धार्मिक साहित्य और धर्म से सम्बंधित बाते लिखी जा सकती है,

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Members: 121
Latest Activity: Jun 15, 2024

Discussion Forum

जय श्री राम

जय श्री रामदोहे____________________पौष शुक्ल की द्वादशी,सजा अवधपुर धाम।प्राण प्रतिष्ठा हो गए,बाल रूप श्री राम।१।रामलला के साथ में, सजे दसों अवतार।युगे - युगे अवतार लें, जग के तारणहार।२।दो हजार चौबीस सन,मास प्रथम बाईस।रघुवर आए महल में,मिटी हृदय की…Continue

Started by सुरेश कुमार 'कल्याण' Jun 15, 2024.

महर्षि वाल्मीकि

महर्षि वाल्मीकिमहर्षि वाल्मीकि का जन्ममहर्षि वाल्मीकि के जन्म के बारे में बहुत भ्रांतियाँ मिलती है कोई कहता है कि उनका जन्म महर्षि कश्यप और अदिति के नौवें पुत्र वरुण और उनकी पत्नी चर्षणी के घर में हुआ। और उनके बड़े भाई महर्षि भृगु भी परम ज्ञानी थे।…Continue

Started by PHOOL SINGH Apr 1, 2024.

पुरुषोत्तम श्री राम

श्री राम के जैसा चरित्र न मिलताचाहे ढूँढ लो इस जहान मेंमर्यादा की जो साक्षात मूर्ति, न उनसे बड़ा कोई ज्ञान में।। शिव का क्रोध और दुर्गा-सी शक्तिहनुमान सी भक्ति राम मेंआकर्षण जिनका श्री कृष्ण के जैसा, सत्य-धर्म सी सरलता राम में।। बुद्ध, महावीर-सी…Continue

Started by PHOOL SINGH Jan 24, 2024.

राम मंदिर

 राम मंदिर राम व्यापक राम विश्वात्माहर जीव में है राम बसाजन्मभूमि श्री राम कहलाती, भव्य मंदिर एक वहाँ बना।। देश की आत्मा देश की आस्थादिग्दर्शन का स्वरूप बनाचेतना, चिंतन, प्रतिष्ठा का, जो राम प्रताप का आधार बना।। दैवीय शक्तियों का जहाँ पे पहराअवध में…Continue

Started by PHOOL SINGH Jan 23, 2024.

सदियों का वनवास अंत कर 1 Reply

गीतपुलकित तन से पुलकित मन से, नाच रहे है जन जन सारे।सदियों  का  वनवास  अंत  कर, सकल  राष्ट्र में राम पधारे।**राजनीति ने करवट  ली  तो, हर  सोया विश्वास जगा है।सच है राजा रंक सभी के, मन में बस उल्लास दिखा है।।घटघट वासी राम भले हों, घटघट उन में आज बसा…Continue

Started by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'. Last reply by Shyam Narain Verma Jan 25, 2024.

वैंकुंठधाम आगमन

काल का नियम कठोर है होतासभी को इसको वरना होश्री राम अछूते रह सके न, क्या मानव जीवन का वर्णन हो|| आते साधू रूप में काल देवताश्री राम से वचन एक लेना होगुप्त बात कोई सुन सके न, इस बात की पुष्टि प्रथम हो|| मृत्यु दंड का भागी होगाविघ्न वार्तालाप में डाले…Continue

Started by PHOOL SINGH Jan 18, 2024.

क्या युद्ध निश्चित था?

क्यूँ रोकते द्रौपदी कोजब कर्ण लक्ष्य भेद में माहिर थाअपमान कराते द्रौपदी से उसका, जानते थे वो ज्येष्ठ पुत्र है कुंती का|| युद्ध से पहले क्यूँ न बतातेरंगमच के बाद ही क्यूँ न बतातेसुतपुत्र नहीं तू ज्येष्ठ पुत्र है, मेरी बुआ तू कुंती का||  क्या सच है…Continue

Started by PHOOL SINGH Jan 15, 2024.

कर्ण का विवाह

प्रथम रुषाली कर्ण की पत्नीजिसे पितृ इच्छा से पातादूसरी कहलाती सुप्रिया, खास भानुमती से जिसका नाता|| अंसावरी को वही बचाताथा आतंकवादियों ने जिसको घेरा  प्रेम करती उससे पहले, फिर सुतपुत्र कह धुत्कारा|| स्वयंवर जीता अंसावरी काप्रेम था उससे करताधुत्कार…Continue

Started by PHOOL SINGH Jan 8, 2024.

भीष्म पितामह और केशव

ईश्वर कहती तुमकों केशवसृष्टि का तुम आधार बनोशंका में मैं पड़ा हूँ गहरी, हो सके तो इसका समाधान करों।। पोता हूँ मैं आपका पितामहमुझसे यूं न मखौल करोआपकी आज्ञा में जीता आया, सात्विकता में सदा आप जियो।। कौरवों के कृत्यों की मैं बात न करताक्यूँ पांडवों को…Continue

Started by PHOOL SINGH Jan 5, 2024.

महावीर कर्ण और द्रौपदी

सशक्त जो बड़ी सुंदर प्यारीस्वयंवर की जिसके शोभा निरालीमोहित करती हर नृप को, क्यूँ नियति के आगे सदा ही हारी।। सौंदर्य की प्रतिमूर्तिखान गुण-ज्ञान की दुनियाँ जानीहर वीर की वो अभिलाषा, ऐसी अतुलनीय वो सुंदर नारी।। मृगी के जैसे नयन है जिसकेकोयल जैसी उसकी…Continue

Started by PHOOL SINGH Jan 5, 2024.

 
 
 

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दोहा पंचक. . . . .इसरार

दोहा पंचक. . . .  इसरारलब से लब का फासला, दिल को नहीं कबूल ।उल्फत में चलते नहीं, अश्कों भरे उसूल…See More
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"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। आयोजन में सहभागिता को प्राथमिकता देते…"
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मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरना जी इस भावपूर्ण प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। प्रदत्त विषय को सार्थक करती बहुत…"
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मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त विषय अनुरूप इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
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मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। गीत के स्थायी…"
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Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपकी भाव-विह्वल करती प्रस्तुति ने नम कर दिया. यह सच है, संततियों की अस्मिता…"
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Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आधुनिक जीवन के परिप्रेक्ष्य में माता के दायित्व और उसके ममत्व का बखान प्रस्तुत रचना में ऊभर करा…"
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Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश भाई, पटल के आयोजनों में आपकी शारद सहभागिता सदा ही प्रभावी हुआ करती…"
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Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ   .... बताओ नतुम कहाँ होमाँ दीवारों मेंस्याह रातों मेंअकेली बातों मेंआंसूओं…"
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Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ की नहीं धरा कोई तुलना है  माँ तो माँ है, देवी होती है ! माँ जननी है सब कुछ देती…"
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Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय विमलेश वामनकर साहब,  आपके गीत का मुखड़ा या कहूँ, स्थायी मुझे स्पष्ट नहीं हो सका,…"
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Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय, दयावान मेठानी , गीत,  आपकी रचना नहीं हो पाई, किन्तु माँ के प्रति आपके सुन्दर भाव जरूर…"
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