For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-55 (विषय: घर संसार)

आदरणीय साथिओ,

सादर नमन।
.
"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-55 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है. प्रस्तुत है:  
.
"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-55
विषय: घर संसार
अवधि : 30-10-2019  से 31-10-2019 
.
अति आवश्यक सूचना :-
1. सदस्यगण आयोजन अवधि के दौरान अपनी एक लघुकथा पोस्ट कर सकते हैं। 
2. रचनाकारों से निवेदन है कि अपनी रचना/ टिप्पणियाँ केवल देवनागरी फॉण्ट में टाइप कर, लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड/नॉन इटेलिक टेक्स्ट में ही पोस्ट करें।
3. टिप्पणियाँ केवल "रनिंग टेक्स्ट" में ही लिखें, १०-१५ शब्द की टिप्पणी को ३-४ पंक्तियों में विभक्त न करें। ऐसा करने से आयोजन के पन्नों की संख्या अनावश्यक रूप में बढ़ जाती है तथा "पेज जम्पिंग" की समस्या आ जाती है। 
4. एक-दो शब्द की चलताऊ टिप्पणी देने से गुरेज़ करें। ऐसी हल्की टिप्पणी मंच और रचनाकार का अपमान मानी जाती है।आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है, किन्तु बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता आपेक्षित है। गत कई आयोजनों में देखा गया कि कई साथी अपनी रचना पोस्ट करने के बाद गायब हो जाते हैं, या केवल अपनी रचना के आस पास ही मंडराते रहते हैंI कुछेक साथी दूसरों की रचना पर टिप्पणी करना तो दूर वे अपनी रचना पर आई टिप्पणियों तक की पावती देने तक से गुरेज़ करते हैंI ऐसा रवैया कतई ठीक नहींI यह रचनाकार के साथ-साथ टिप्पणीकर्ता का भी अपमान हैI
5. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति तथा गलत थ्रेड में पोस्ट हुई रचना/टिप्पणी को बिना कोई कारण बताये हटाया जा सकता है। यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
6. रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका, अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल/स्माइली आदि लिखने /लगाने की आवश्यकता नहीं है।
7. प्रविष्टि के अंत में मंच के नियमानुसार "मौलिक व अप्रकाशित" अवश्य लिखें।
8. आयोजन से दौरान रचना में संशोधन हेतु कोई अनुरोध स्वीकार्य न होगा। रचनाओं का संकलन आने के बाद ही संशोधन हेतु अनुरोध करें। 
.    
.
यदि आप किसी कारणवश अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.com पर जाकर प्रथम बार sign up कर लें.
.
.
मंच संचालक
योगराज प्रभाकर
(प्रधान संपादक)
ओपनबुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 4954

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

हार्दिक आभार आदरणीय कल्पना भट्ट जी।

अंदर की बात बेहद गंभीर ,विचारणीय है,मातापिता बच्चों की परवरिश के समय स्टेटस नही समझते है।बदलाव की ये बयार घातक संकेत की ओर इंगित करती है।कथा के लिये बधाई आद०तेजवीर सिंह जी ।

हार्दिक आभार आदरणीय नीता कसार जी।

 

 आदरणीय TEJ VEER SINGH जी बहुत बहुत बधाई बहुत बढ़िया लघुकथा बहतर विषय सादर ।

हार्दिक आभार आदरणीय आसिफ़ ज़ैदी साहब जी।

संवाद शैली में अच्छी लघुकथा कही है हार्दिक बधाई स्वीकारें आ० तेजवीर सिंह जी

मेरी शुभांगी (लघुकथा) :


सेल्फ़ी प्रथम -


बंद कमरे में मधुर संगीत की गूंज। ऐरोबिक्स या योग या मात्र आधुनिक नृत्य का रोग; पता नहीं क्या? दरवाज़े से झांका, तो पाया कि स्मार्ट फ़ोन पर सेल्फ़ी सम्पन्न हुई और सोशल मीडिया की भेंट चढ़ गई। सुंदर, सुडौल काया; होनहार शुभांगी जवाबी संदेशों को आँखें फाड़कर मुस्कराकर पढ़ने लगी! दरवाज़ा होले से बंद! सब कुछ ठीक-ठाक; लेकिन एक अनचाही दस्तक से घबराहट!


सेल्फ़ी द्वितीय -


नाश्ते के बाद ट्यूशन का वक़्त। स्कूटी तैयार। स्कूटी के आइने पर झुकी शुभांगी ने अपनी बड़ी-बड़ी काली सुंदर आंखें फाड़ीं; दो-तीन मुख-मुद्रायें बनाईं। सेल्फ़ी सम्पन्न होते देखी गई बालकनी से। कुछ प्रतिक्रिया हो, इससे पहले ही स्कूटी स्टार्ट और शुभांगी फ़ुर्र। एक और दस्तक!


सेल्फ़ी तृतीय -


ट्यूशन से लौटने पर थका मुरझाया सा चेहरा। माथे पर तनाव की लकीरें। फ़िर भी एक और सेल्फ़ी लेने के बाद कमरे में शुभांगी की चहलक़दमी और वीडियो चैट शुरु। उधर फ़ोन पर दोनों तरफ़ तनाव और इधर इनकी तरफ़ भी तनाव। अब इनसे रहा नहीं गया। प्यार से पूछ ही बैठे :


"बिटिया, कुछ परेशान सी दिख रही हो! अपने मम्मी-डैडी को नहीं बता सकतीं, तो अपनी परेशानी मुझे बता दो; किसी से न कहूंगा; ख़ुद मदद करने की कोशिश करूंगा।"


"आप परेशान न हों दादा जी! आप अपने काम से काम रखिये! मुझे कोई परेशानी नहीं! ... लीव मी अलोन, प्लीज़!" लाड़ली पोती का यह जवाब सुनकर वे अपने कक्ष में चले गए और पुराने फ़ोटो एलबम निकाल कर पोती के जन्म से लेकर किशोरावस्था और कुछ वर्षों पहले तक की सहेजकर रखी तस्वीरों को देखकर दादा-पोती और घर-संसार के अतीत के सुख में खो गये।


"समथिंग इज़ रोंग! शुभांगी के मम्मी-डैडी अतिविश्वासी या लापरवाह या ग़लत हो सकते हैं; मैं नहीं! इसे मैंने और मेरी पत्नी ने भी पाला-पोषा है! मैं अपनी शुभांगी का अब दादा ही नहीं, दादी भी हूं।... बल्कि असली माँ-बाप भी। उसके व्यस्त मम्मी-डैडी को असली पेरेंटशिप आती होती, तब न!" यह सोचते हुए वे कक्ष में ही चहलक़दमी करने लगे और लाड़ली पोती को 'पॉज़िटिव टाइम' देने की तरक़ीबें सोचने लगे। उधर शुभांगी सोशल मीडिया पर व्यस्त थी।


(मौलिक व अप्रकाशित)

समाज की सही तस्वीर दिखाई है आपने आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी साहिब। सेल्फी के चरणों का प्रयोग भी उत्तम है। इस सृजन हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें। रचना थोड़ी सी कसावट और मांग रही है।

हार्दिक बधाई आदरणीय शेख उस्मानी जी।बेहतरीन लघुकथा।नया कथ्य, नया कलेवर, नया विषय, नयी तकनीक। बहुत खूब।

मेरे इस नव प्रयास पर समय देकर मुझे प्रोत्साहित करने के लिए बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय तेजवीर सिंह साहिब।

मेरी प्रविष्टि पर समय देकर सुझाव सहित मेरी हौसला अफजाई हेतु बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय डॉ. चन्द्रेश कुमार छतलानी साहिब।

वाह, कुछ अलग सा लिखा है आपने प्रदत्त विषय पर, बहुत बढ़िया. आज के सेल्फी के दौर में हर चीज सेल्फी से शुरू होकर सेल्फी पर ही ख़त्म होती है. आज के परिवेश में सही पेरेंटिंग जैसे गंभीर सवाल को भी उठाया है आपने, बहुत बहुत बधाई इस बढ़िया रचना के लिए आ शेख शहज़ाद उस्मानी साहब

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"अपने घर में किसी का स्वागत नहीं किया जाता. मैं भी आपका अनुकरण करने का प्रयास करूँगा. बल्कि करने…"
18 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - गुनाह कर के भी उतरा नहीं ख़ुमार मेरा
"आदरणीय नीलेश जी, हार्दिक बधाई.  प्रस्तुत अश’आर के लिए तहेदिल से बधाई.  मैं उस से…"
27 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय सौरभ सर, नमस्ते अवश्य, कई कारणों से मैं मंच से दूर हो गया था। मैं कोशिश करूँगा कि सप्ताह में…"
38 minutes ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आपके शब्द-शब्द से मेरी स्वीकृति है आदरणीय शिज्जु "शकूर" जी।"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"नहीं, कहने का आशय सूचना और चर्चा के आधार पर ही निर्भर कर रहा है, आदरणीय.  कोई यूँ ही बरसर्क…"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"  जी, आदरणीया प्रतिभा जी.  हम सभी आप जैसे संवेदनशील सदस्यों की संलग्नता और इनकी सतत…"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आपके संकल्प और आपकी सहमति का स्वागत है, आदरणीय रवि भाईजी.  ओबीओ अपने पुराने वरिष्ठ सदस्यों की…"
1 hour ago
Tilak Raj Kapoor replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"मुझे लगता है कि जो भी चर्चा हो उसमें कोई ऐसा आक्षेप न आए जो किसी ऐसे व्यक्ति को आहत करे जो सीधे…"
1 hour ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - गुनाह कर के भी उतरा नहीं ख़ुमार मेरा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण धामी जी "
2 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - गुनाह कर के भी उतरा नहीं ख़ुमार मेरा
"धन्यवाद आ. गिरिराज जी "
2 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-121
"सादर नमस्कार। नियमित सहभागी साथियों की रचना पटल पर उपस्थिति और प्रतिक्रिया से दिल ख़ुश हो जाता है।…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-121
"आ. भाई शेख शहजाद जी, सादर अभिवादन। सुन्दर लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
2 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service